पंचांग, 12 अगस्त 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः आज दोपहर 2.49 से पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं। पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पॉच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
नोटः आज श्रावण पूर्णिमा तथा रक्षाबंधन (मतान्तरे) सनातन धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। हर माह में एक बार पूर्णिमा पड़ती है। सावन मास की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पावन पर्व भी मनाया जा रहा है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः श्रावण़,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः पूर्णिमा प्रातः काल 07.06 तक है,
वारः शुक्रवार ,
नक्षत्रः धनिष्ठा रात्रि 01.36 तक है।
विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।
योगः सौभाग्य प्रातः 11.33 तक,
करणः बव,
सूर्य राशिः कर्क, चंद्र राशिः मकर,
राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.53, सूर्यास्तः 06.59 बजे।