जगदीप धनखड़ होंगे देश के अगले उपराष्ट्रपति, 11 अगस्त को लेंगे शपथ

चुनाव के नतीजे आने से पहले एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ की जीत तय मानी जा रही थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि दोनों सदनों में मौजूद आँकड़ों के अनुसार बहुमत के लिए 388 वोट की जरूरत होती है और इस बार अकेले भाजपा के पास ही दोनों सदनों के सदस्यों को मिलाकर संख्या 390 (लोकसभा में 303 सांसद और राज्यसभा में 93 सांसद) के ऊपर थी।

  • जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले, जबकि मार्गरेट अल्वा को सिर्फ 182 वोट से संतोष करना पड़ा
  • मतदान के दौरान 780 में से 725 सांसदों ने अपने मत का इस्तेमाल किया
  • उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता थी

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नई दिल्ली :

देश के नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए शनिवार को हुए मतदान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ विजयी घोषित हुए हैं। उनका मुकाबला विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से था। धनखड़ को जहां 528 वोट मिले, वहीं अल्वा को सिर्फ 182 वोट से संतोष करना पड़ा, जबकि 15 वोट अमान्य करार दिये गए। लोकसभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “सुबह 10 बजे से शुरू हुआ चुनाव शाम 5 बजे तक चला। इस दौरान 780 में से 725 सांसदों ने अपने मत का इस्तेमाल किया।  वोटिंग खत्म होने के तुरंत बाद ही बैलेट बॉक्स को सील कर दिया गया। मतों की गिनती शाम 6 बजे शुरू हुई. कुल 725 वोट (92.94%) डाले गए, जिसमें से 710 वोट (97.93%) ही मान्य थे।”

जीत के लिए 390 से अधिक मतों की आवश्यकता थी।  संसद में वर्तमान सदस्यों की मौजूदा संख्या 788 है, जिनमें से केवल भाजपा के 394 सांसद हैं। ऐसे में आंकड़ों के लिहाज से पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल धनखड़ की जीत पहले से ही तय मानी जा रही थी। धनखड़ 71 वर्ष के हैं और वह राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उनकी पृष्ठभूमि समाजवादी रही है।  जनता दल (यूनाईटेड), वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, अन्नाद्रमुक और शिवसेना ने धनखड़ का समर्थन किया था।  आपको बता दें कि, लोकसभा और राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 788 है, लेकिन उच्च सदन राज्यसभा में 8 सीट रिक्त होने के कारण इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने वाले सांसदों की कुल संख्या 780 थी।

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 55 सांसदों ने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग नहीं किया। इनमें से टीएमसी के 34 सांसद शामिल थे। हालांकि टीएमसी के दो सांसदों ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के आदेश के बावजूद वोटिंग में हिस्सा लिया। ये नाम शिशिर और दिव्येंदु अधिकारी के हैं। इसके अलावा एसपी और शिवसेना के दो और बीएसपी के एक सांसद ने भी वोटिंग नहीं की। भाजपा के दो सांसदों- सनी देओल और संजय धोत्रे ने भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वोटिंग से किनारा किया।

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 55 सांसदों ने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग नहीं किया। इनमें से टीएमसी के 34 सांसद शामिल थे। हालांकि टीएमसी के दो सांसदों ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के आदेश के बावजूद वोटिंग में हिस्सा लिया। ये नाम शिशिर और दिव्येंदु अधिकारी के हैं। इसके अलावा एसपी और शिवसेना के दो और बीएसपी के एक सांसद ने भी वोटिंग नहीं की। भाजपा के दो सांसदों- सनी देओल और संजय धोत्रे ने भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वोटिंग से किनारा किया।

राजस्थान के झुंझुणूं जिले में एक सुदूर किठाना गांव में कृषि परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति तक का सफर बेहद दिलचस्प है। जगदीप धनखड़ साल 1989 में जनता दल पार्टी के सांसद के तौर पहली बार राजस्थान के झुंझुणूं जिले से संसद पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी। 1993 में वे अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। साल 2019 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।