अभिनय में खुद को चुनौतियां देना ही मुझे अच्छा लगता है: संगीता घोष

  • कलर टीवी के धरावाहिक स्वर्ण घर की शूटिंग के लिए इन ट्राई सिटी में आई हुई हैं

लेखन : कोरल ‘पुरनूर’, छाया: भरत भण्डारी

मैं एक ही तरह के रोल कर करके एक ही इमेज में खुद को बांधे हुए नहीं रखना चाहती। यही कारण है कि पहले सकारात्मक रोमांटिक रोल और फिर एक के बाद एक दो बार नकारात्मक रोल निभाकर मैंने स्वयं को चुनौती दी। उसके बाद फिर से सकारात्मक रोल किये। इसी लिए अभिनय में खुद को चुनौतियां देना ही मुझे अच्छा लगता है। अब एक बार फिर से खुद को एक ऐसी महिला के रोल में चुनौती दे रहीं हूं जोकि समाज में महिलाओं के संघर्ष को एक नई दिशा दिखाता हुआ दिखाई देगा।

टीवी की दुनिया में अभिनय का एक बड़ा नाम संगीता घोष इन दिनों शहर में हैं। वह यहां कल टीवी के लिए पंजाबी कहानी पर आधारित एक धारावाहिक स्वर्ण घर की शूटिंग कर रहीं हैं। एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि इसमें उनकी मुख्य भूमिका स्वर्ण बेदी की है जोकि सेवानिव़ति की उम्र में फिर से साबित करने को लेकर संघर्षरत है और उसके लिए वह एक आम महिला की तरह संघर्ष करती है। वह बताती हैं कि यह कहानी पंजाब के एक गांव में एक ऐसी महिला की कहानी है जोकि अपने पति के निधन के बाद घर में अपनी अनदेखी होने पर स्वयं का बेचारी और असहाय बनाये रखने की बजाये खुद को साबित करती है। अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करती है। भले ही उसकी जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आती हैं, मगर वह हार मानने की बजाये संघर्ष कर खुद को साबित करती है। उनका यह रोल हर उस एक महिला के लिए रोल मॉडल साबित हो सकता है जोकि अपने परिवार में अपने पति की मौत के बाद अपने ही परिजनों खासकर अपने बेटों और बेटियों के होते हुए भी अनदेखी का शिकार होती हैं। उन्हें जिंदगी जीने की एक नई राह दिखायेगा कि इंसान को चाहे वह औरत हो या फिर आदमी, अगर वह किसी भी तरह से अपने परिजनों की अनदेखी का शिकार हो रहा है तो वह चुप बैठने की बजाये खुद को इस लायक बनाये की जो उसकी अनदेखी कर रहे हैं, वही वक्त आने पर उसके ओ पीछे भागते हुए नजर आयें।

महज दस वर्ष की उम्र में अभिनय की शुरुआत करने वाली संगीता को पहला अवसर ही नामचीन निर्देशक त्र्ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित  हम हिंदुस्तानी से हुई। उसके बाद उसने डॉनियर और निरमा जैसे उत्पादों के लिए मॉडलिंग की और वर्ष 1996 में अपनी कालेज की पढ़ाई पूरी होते ही उन्होंने अपना पूरा ध्यान अभिनय की ओर केंद्रित कर लिया। हालांकि उससे पहले उन्होंने धीरज कुमार जैसे निर्माता निर्देशक के साथ कुरुक्षेत्र,अधिकार,दास्तान और दरार जैसे धारावाहिकों में काम कर लिया था। उन्हें अभिनय के क्षेत्र में असली पहचान मिली देश में निकला होगा चांद में पम्मी के किरदार से। जिसकी हर किसी ने काफी तारीफ की। इसके आलावा  वह सेट्रडे ससपेंस,खुशी, थ्रिलर एट 10,रिश्ते,मेंहदी तेरे नाम की,संभव असंभव, जमीन से आसमान तक, रब्बा इश्क न होवे,विरास्त,कहता है दिल जी ले जरा,रिश्तों का चक्रव्यूह,भ्रम और दिव्य दृष्टि जैसे धारावाहिकों में अपने अलग अलग किरदारों से टीवी की दुनिया में अपनी एक अलग ही पहचान बना चुकी हैं और आज वह किसी भी तरह के परिचय की मोहताज नहीं हैं। अब उनका कलर टीवी पर चल रहा स्वर्ण घर उनके अभिनय की एक नई इबादत लिख रहा है। जिसमें वह मुख्य भूमिका में हैं। उनका कहना है कि वह अवसर मिलिने पर कमेडी रोल भी करना चाहेंगी,क्योंकि वह स्वयं खुब हंसती रहती हैं और आज के तानाव भरे माहौल में किसी दूसरे को हंसाना सबसे बड़ी चुनौती है। टीवी धरावाहिकों में महिलाओं को ही महिलाओं के प्रति साजिश करते हुए दिखाये जाने से समाज पर क्या असर पड़ता है, के बारे में पूछे जाने पर वह कहती हैं, ये धारावाहिक हैं जोकि आपकी सेच में सिर्फ मनोरंजन तक ही सीमित रहने चाहिए। अगर उसमें किसी को किसी का बुरा करते हुए दिखाया जाता है तो उसका अंजाम भी बुरा करने वाले को भुगगते हुए दिखाया जाता है। अत: आपका उद्देश्य उसे देखना मनोरंजन तक ही सीमित होना चाहिए। अन्यथा आज हर दूसरे घर में यह बात सामान्य है कि भाई भाई के खिलाफ बहन भाई के खिलाफ और भाई बहन के खिलाफ या अन्य रिश्ते एक दूसरे के खिलाफ षडयंत्र कर रहे हैं।

टीवी जगत में अभिनय के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोडऩे वाली संगीता घोष की यह दिली इच्छा है कि वह अमिताभ बच्चन, जार्ज क्लूनी,राबर्ट डिनीरो और मेहिल स्ट्रीप जैसे अभिनेता और अभिनेत्रियों साथ काम करें। अभिनेत्रियों में उन्हें श्रीदेवी हमेशा से पसंद रहीं हैं।