शुक्रवार को बंद रहते हैं किशनगंज के 37 सरकारी स्कूल, झारखंड में भी ऐसा हो चुका
मालूम हो कि किशनगंज जिले के कम से कम 37 सरकारी स्कूलों ने जुमे के लिए रविवार से शुक्रवार तक अपने साप्ताहिक अवकाश को मनमाने ढंग से स्थानांतरित कर दिया है। इस संबंध में बिहार सरकार की ओर से कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। ऐसा झारखंड के जामताड़ा और दुमका के सरकारी स्कूलों में पहले हो चुका है. वहां भी अधिकारियों से उचित अनुमति मांगे बिना स्कूलों द्वारा कथित तौर पर निर्णय लिया गया था। इस मामले पर बोलते हुए दुमका के डीएसई संजय कुमार डार ने मीडिया से कहा कि सभी स्कूलों के नाम में ‘उर्दू’ है, और इस तरह निर्णय के पीछे की स्थितियों की जांच की जाएगी।
- झारखंड के गिरिडीह व रामगढ़ के बाद किशनगंज में धर्म के आधार पर स्कूलों के नियम
- बिहार के किशनगंज जिले के 37 स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को छु्टी दी जा रही
- सरकारी दस्तावेजों में भी जुमे की छुट्टी का जिक्र, मगर अधिकारियों को जानकारी नहीं
डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो, पटना/किशनगंज:
झारखंड में मुस्लिमों की बड़ी आबादी वाले जिलों के 100 से अधिक सरकारी स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश की खबरें हाल में ही सामने आई थीं। अब झारखंड की तरह बिहार के 37 स्कूलों में रविवार की जगह जुमे यानी शुक्रवार को अवकाश रखे जाने की बात सामने आई है। इन स्कूलों में बच्चे रविवार को पढ़ने आते हैं और शुक्रवार को छुट्टी मनाते हैं। बिहार के किशनगंज जिले में के 19 स्कूलों का मामला सुर्खियों में बना हुआ है जहां शुक्रवार को छुट्टी दी जाती है।
बिहार के किशनगंज जिले में मुस्लिम समुदाय के लोग अधिक हैं, इसलिए यहां शिक्षा के मंदिर को भी धर्म के आधार पर चलाया जा रहा है। यहां नियम सरकार नहीं बल्कि आबादी नियमों को बना रही है और यह खेल बहुत लंबे समय से चला आ रहा है। सबसे खास बात यह है कि शिक्षा विभाग को इसकी भनक तक नहीं है। किशनगंज मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। लगभग 80 % मुस्लिम आबादी है और यहां आबादी का दबाव सरकारी नियमों व संविधान पर भारी पड़ रहा है। जहां पूरे हिंदुस्तान में स्कूल रविवार को बंद होते है। वहीं किशनगंज में नियम सबसे अलग हैं. यहां के कई स्कूलों में जुमे की छुट्टी होती है।
बता दें कि किशनगंज जिले के 37 ऐसे सरकारी स्कूल हैं जो रविवार को खुले और शुक्रवार को बंद रहते हैं। आखिर रविवार को ये 37 स्कूल किसके आदेश पर खुलते हैं और कब से ऐसा आदेश जारी किया गया इसकी जानकारी ना तो शिक्षा विभाग के पास है और ना ही किसी अधिकारी के पास।
जिला शिक्षा पदाधिकारी की मानें तो यहां 19 स्कूल ऐसे हैं जो किसी सरकारी आदेश के बंद रखे जाते हैं। इन बंद रहने वाले स्कूलों को रविवार को खोला जाता है। पदाधिकारी का कहना है कि यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। जिसे लोगों ने व्यवस्था मान रखी है। जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता का कहना है कि सिर्फ किशनगंज ही नहीं बिहार में कई जगह ऐसे कई स्कूल हैं जो शुक्रवार को बंद रखे जाते हैं। इसमें कोई दिक्कत वाली बात नहीं है।
वहीं, डीपीओ मोहम्मद अशफाक आलम का कहना है कि बिहार के किशनगंज में जब से स्कूलों की स्थापना हुई है तभी से इन स्कूलों को शुक्रवार को बंद रहते हैं। उन्होंने स्कूलों को बंद करने के नियम पर नवभारत टाइम्स डॉटकॉम से कहा कि यह परंपरा स्कूलों की स्थापना से ही है। मोहम्मद अशफाक ने बताया कि लाइन एरिया में सभी स्कूलों को बंद रखा जाता है। उन्होंने कहा कि जुमा के दिन नमाज के लिए छुट्टी दी जाती है। उन्होंने इस सरकारी आदेश का भी जिक्र किया जिसमें सरकारी दफ्तरों में भी नमाज के लिए एक घंटे की छुट्टी का प्रवाधान किया गया था।
बताते चलें, इससे पहले झारखंड के जामताड़ा जिले के कुछ सरकारी स्कूलों में रविवार की बजाय शुक्रवार की छुट्टी दिए जाने की खबर सामने आई थी। दावा किया गया था कि स्कूल के नोटिस बोर्ड पर बकायदा शुक्रवार को जुमे का दिन घोषित करके अवकाश लिखा गया है। वहीं, शिक्षा विभाग की ओर से उन स्कूलों को उर्दू स्कूल बताते हुए ऐसा कदम शिक्षकों की सुविधा को देखकर उठाया जाना बताया गया था।
इसी महीने की शुरुआत में झारखंड में भी ऐसा ही मामला सामने आाया था। जामताड़ा में लगभग 100 सरकारी स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश रविवार से बदलकर शुक्रवार कर दिया गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जुमे के दिन न तो स्टूडेंट्स आते हैं और न ही टीचर। स्कूल की दीवार पर भी शुक्रवार को जुमा लिखा गया है।
झारखंड के गढ़वा जिले में एक सरकारी स्कूल में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। वहां पढ़ने वाले बच्चे हाथ जोड़कर नहीं, बल्कि हाथ बांधकर ‘तू ही राम है तू ही रहीम है’ प्रार्थना करते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्कूल के अधिकतर बच्चे मुस्लिम समुदाय से आते हैं। गांव में भी 75% आबादी मुस्लिमों की ही है।
गांव वालों ने इसे लेकर प्रिंसिपल योगेश राम पर दबाव बनाया था। प्रिंसिपल ने स्थानीय लोगों के दबाव में पिछले 9 साल से यह सिलसिला जारी रहने की बात मानी थी। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से भी इसकी शिकायत की थी।