चंडीगढ़. क्लासिक कहानियों की सीरीज के तहत लीडरशिप कोच अमूल्य शुक्ल की इस बार की कहानी संध्या शुरुआत कुछ ऐसी रही —अगर कोई व्यक्ति धार्मिक संकीर्णता और सांप्रदायिक कट्टरता से बिल्कुल परे रहकर इंसानियत के नाते सभी इंसानों से प्यार करे, और किसी भी भेदभाव में न फँसे, तो ऐसे व्यक्ति को आप क्या कहेंगे? कोई दीवाना-पागल या फिर एक सच्चा इंसान? यह सवाल उठाया अमूल्य शुक्ल ने कहानी सन्ध्या के पहले सत्र में।
इस कहानी ‘हिंसा परमो धर्म‘ के माध्यम से मंत्रमुग्ध हुए श्रोता यह तय नहीं कर पा रहे थे कि कलम के महान सिपाही प्रेमचंद ने इस कहानी को 100 साल पहले लिखा था या फिर आज? क्योंकि इसकी सारी बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी 100 साल पहले।
कहानी का मुख्य पात्र जामिद समाज के दोनों संप्रदाय के लोगों से या तो प्रताड़ित होता है या फिर शोषित होता है। कुल मिलाकर अमूल्य ने सवाल उठाया कि क्या ऐसे द्वंद में हम लोग जीना चाहते हैं, या अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा देना चाहते हैं, या फिर दोनों समुदायों के बीच सामंजस्य स्थापित करके खुशहाल जीवन व्यतीत करना चाहते हैं।
अमूल्य ने याद दिलाया कि विभाजन की त्रासदी पर बनी क्लासिक फिल्म गरम हवा में कैफ़ी आजमी ने बहुत गहरा संदेश दिया था —
जो दूर से तूफान का करते हैं नज़ारा,उनके लिए तूफान वहां भी है यहां भी…धारे में जो मिल जाओगे बन जाओगे धारा,वरना तो ये तूफान वहां भी है यहां भी…
अमूल्य ने कैफ़ी आज़मी, निदा फ़ाज़ली, इब्ने इंशा, नज़ीर अकबराबादी जैसे शायरों के कलाम के द्वारा शांति व सौहार्द, मेल मिलाप का का संदेश बांटने की अपील भी की ।
जीवन एवं साहित्य, संगीत प्रेमी इस कार्यक्रम से ऑनलाईन जुड़ सकते हैं, अमूल्य शुक्ल के फेसबुक या यूट्यूब चैनल के जरिए। यह शो रविवार सायं ऑनलाइन होता है – किसी प्रेरणादायक हस्ती के जीवन एवं रचना संसार पर केन्द्रित। अमूल्य टॉक्स को ज़ूम के माध्यम से और फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिये लाइव प्रस्तुत किया जाता है।
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