ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी प्रकरण में बुधवार 13 जुलाई को भी सुनवाई जारी रही। मंदिर पक्ष ने अपनी बहस को पूरा करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग करीब 25 जजमेंट भी अदालत में पेश किए। साथ ही मंदिर पक्ष से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने कहा कि अगर कोई आक्रांता आकर हमारे मंदिर को नष्ट भी कर दे तो उसकी दिव्यता खत्म नहीं होती। जबकि कल बहस की शुरुआत करते हुए मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने कहा था कि कहीं भी नमाज पढ़ लेने से वो जगह मस्जिद नहीं हो जाती।
लखनऊ(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, वाराणसी :
ज्ञानवापी केस में वाराणसी की कोर्ट में बुधवार को तीखी बहस हुई। मंदिर पक्ष ने कहा कि अगर किसी आक्रांता ने मंदिर नष्ट भी कर दिया है तो इससे उसकी दिव्यता खत्म नही हो जाती है। वहीं मस्जिद पक्ष ने कहा कि वहां नमाज होती थी, होती है और आगे भी होती रहेगी।
इस पर पत्रकारों से बातचीत में मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता तौहीद अहमद ने कहा कि हमने अपनी बहस में कई सारे एक्ट का हवाला दिया है। रही बात नमाज होने से मस्जिद होने की तो वहां नमाज होती थी, होती है और आगे भी होती रहेगी।
51 बिंदुओं पर मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलों को रख चुका है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि अगर मुस्लिम कहीं पर नमाज पढ़ते हैं तो वो मस्जिद ही हो, ये जरूरी नहीं। वो सड़क, ट्रेन, बस कहीं भी नमाज पढ़ते हैं। हमारा वाद सुनने योग्य है। मुस्लिम पक्ष की ओर से अधिवक्ता अभय यादव ने केस को खारिज करने की मांग की। हिंदू पक्ष अब वाद की पोषणीयता को लेकर आज अपने पक्ष को रखेगा। हिन्दू पक्ष का कहना है कि यहां विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 लागू नहीं होता है। ये कहीं भी जरूरी नहीं कि मुसलमान जहां पर नमाज पढ़ रहा हो तो वो मस्जिद ही हो।
18 अगस्त 2021 को पांच महिलाओं द्वारा सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मंदिर में दर्शन पूजन और विग्रहों को संरक्षित करने को लेकर याचिका दी गयी थी। न्यायालय द्वारा ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया गया था। अधिवक्ता कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष ने वहां शिवलिंग मिलने का दावा किया। साथ ही ज्ञानवापी परिसर में हिंदू धर्म से जुड़ी कलाकृतियां और मंदिर के शिखर मिलने का भी दावा किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज के यहां वाद की पोषणीयता को लेकर सुनवाई चल रही है।