हम दर्शन करने आए हैं, करके ही लौटेंगे; बादल फटने की घटना के बाद भी श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार
पंचतरणी के बाद 39 लाेगाें के जत्थे से आगे निकलकर शुक्रवार की शाम चार बजे ये 9 लाेग गुफा के पास पहुंच गए थे। स्नान के बाद अमित कुमार, सुजीत पांडेय, राजीव पांडेय, दिलीप कुमार, पप्पू कुमार साथ शाम छह बजे बाबा की आरती में शामिल हुए। उन्होंने बताया, “मैंने अपनी आंखाें के सामने सैलाब में श्रद्धालुओं काे बहते देखा है। भंडारे में खा रहे कई श्रद्धालु सैलाब में बह गए। बड़ी-बड़ी चट्टानें बह रही थीं। कई कैंप तबाह हाे गए। उनकी संख्या कितनी हाेगी यह कहना मुश्किल है।”
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, श्रीनगर/चंडीगढ़:
भारी बारिश के बीच शुक्रवार शाम करीब साढ़े पांच बजे गुफा के पास बादल फटा। पहाड़ की ढलानों से पानी और गाद की मोटी धारा घाटी की ओर बहने लगी। तीर्थस्थल के बाहर बेस कैंपों में पानी घुस गया। इसमें दर्जनों टेंट और कई सामुदायिक रसोई क्षतिग्रस्त हो गईं। यहां तीर्थयात्रियों को भोजन परोसा जाता है। रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा। इस हादसे में कई लोगों की मौत हुई है। दर्जनों लापता हैं। इस त्रासदी के बाद अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई है। 30 जून से इसकी शुरुआत हुई थी।
अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने की घटना के बाद भी आधार शिविरों में टिके बाबा बर्फानी के भक्तों का हौसला डिगा नहीं है। हालांकि हादसे की विभीषिका ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया है। इसके बावजूद उनका भरोसा कायम है। वे कहते हैं कि बाबा ने इतनी दूर बुलाया है तो अब दर्शन भी करवाएंगे।
महाराष्ट्र के पुणे से आए गणेश ने कहा कि हादसे ने उन्हें हिला कर रख दिया है परंतु भरोसा है बाबा सब ठीक करेंगे। कोई भी हादसा हमारा मनोबल कमजोर नहीं कर सकता। हम दर्शन करने आए हैं और बाबा के दर्शन करके ही जाएंगे।
भंडारा लगाने वाली टीम के सदस्य राकेश कुमार ने कहा कि हादसे से कुछ समय पहले ही मैं गुफा से नीचे आया था। हादसे के बाद से मन काफी दुखी है। भोलेनाथ मृतकों की आत्मा को शांति दे। नोएडा से आए रितेश का कहा है कि हमें भोले बाबा ने बुलाया है। उनके दर पर माथा टेके बिना वापस नहीं लौटेंगे। सुरक्षा बल और सरकारी मशीनरी घायलों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं और खराब हुए रास्ते को ठीक कर रहे हैं।
ओडिशा से आए सुरेंद्र बताते हैं कि हादसे से एक मिनट पहले ही मैं वहां से निकला था। इसलिए मेरी जान बच गई। घटनास्थल पर काफी भगदड़ मची थी। मां-बाप से जुदा हुई एक बच्ची रो रही थी। सुरक्षा बलों ने उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। बाकी घायलों को भी आगे के टेंटों में सुरक्षित लाया गया।
बता दें कि इस हादसे में अब तक 16 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। करीब 40 लोग लापता और 50 से अधिक घायल हुए हैं। सेना, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ समेत आपदा प्रबंधन से जुड़ीं कई टीमें लगातार राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं।