भाजपा की ओर से समर्थित राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके बाद से उनको समर्थन का बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से बड़ा ऐलान किया है। मायावती ने इस समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि आदिवासी समाज बसपा के मूवमेंट का खास हिस्सा है। द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का फैसला इस कारण लिया गया है। उन्होंने साफ किया कि उनकी पार्टी ने यह फैसला भाजपा या एनडीए के पक्ष में नहीं लिया गया है। साथ ही, उन्होंने विपक्षी पार्टियों के विरोध में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिए संबंधी फैसला न लिए जाने की बात कही है। मायावती ने इस फैसले से एक तीर से दो शिकार किया है। एक तो उन्होंने आदिवासी चेहरे को समर्थन देकर इस समाज के बीच अपनी पहुंच को बढ़ाने की कोशिश की है। साथ ही, एक पार्टी की महिला अध्यक्ष के एक महिला को समर्थन देकर आधी आबादी को भी संदेश देने की कोशिश करती वे दिखती हैं। मायावती की घोषणा से उनकी पार्टी के 10 सांसद और एक विधायक का वोट राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को मिल जाएगा। यह एनडीए उम्मीदवार के जीत के अंतर को बड़ा करेगा।
नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली:
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है। द्रौपदी मुर्मू को लेकर सीएम बनर्जी के रुख में शुक्रवार को बड़ा परिवर्तन देखने को मिला। उन्होंने उनके खिलाफ की गई अपनी सभी बयानबाजी को ठुकरा दिया और कहा कि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के चुनाव में जीतने की संभावना अधिक है।
सीएम बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी द्रौपदी मुर्मू को चुनाव में उतारने से पहले विपक्ष के साथ चर्चा करती तो सभी विपक्षी दल उनका समर्थन करने पर विचार कर सकते थे। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू के जीतने की बेहतर संभावना है। ममता बनर्जी ने कोलकाता के इस्कॉन में रथ यात्रा के उद्घाटन के दौरान य बातें कहीं।
आपको बता दें कि एनडीए की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं और विपक्ष की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं। वहीं विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए यशवंत सिन्हा का नाम ममता बनर्जी ने ही किया आगे किया था।
बसपा सुप्रीमो के फैसले के काफी गंभीर अर्थ निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मायावती एक बड़े वर्ग के बीच खुद को दलित और आदिवासी समाज के हितैषी के रूप में अपनी छवि बनाए रखना चाहती हैं। बसपा यूपी के साथ-साथ उत्तराखंड, झारखंड और अन्य राज्यों में भी किस्मत आजमाती रही है। इन इलाकों में पार्टी अपनी अलग छवि के साथ वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरने की रणनीति बना रही है। द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का ऐलान करते हुए मायावती ने कहा भी कि हमारी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपने मूवमेंट का खास हिस्सा मानते हुए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए अपना समर्थन देने का निर्णय लिया है। हालांकि, मायावती के खिलाफ यूपी चुनाव 2022 के बाद अखिलेश यादव ने भाजपा को समर्थन देने का आरोप लगाया था। अब राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने के बाद सपा इस मामले को अधिक गंभीरता से उठा सकती है।
वर्ष 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एनडीए की ओर से रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाया गया था। उस समय भी मायावती ने उन्हें समर्थन दे दिया था। बहुजन समाज की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती ने समर्थन की घोषणा कर खुद को इस वर्ग से जोड़े रखने की कोशिश करती दिखी थीं। मायावती ने तब कहा भी था कि वे भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन दलित समाज के उम्मीदवार को समर्थन देंगे। सपा और बसपा के समर्थन की घोषणा के बाद भाजपा उम्मीदवार के आराम से जीतने की संभावना प्रबल हो गई थी। पिछले चुनाव के समय मायावती के सामने प्रदेश के एक दलित चेहरे के समर्थन या विरोध की चुनौती थी, उस समय उन्होंने इसे समर्थन देकर अपने आधार को बचाने का प्रयास किया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनडीए की और से राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया, शरद पवार , पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं से चुनाव में समर्थन मांगा है। उन्होंने इसके लिए कई नेताओं से व्यक्तिगत रूप कॉल करके बात भी की है।