Monday, December 23
  • कहा- कांग्रेस पार्टी इस चुनाव से अलग रही, लेकिन  स्थानीय नेताओं ने दिया निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन
  • बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को जनता ने नकारा, मैदान साफ़ होने के बावजूद गठबंधन जनता का भरोसा नहीं जीत पाया  – हुड्डा
  • शहरों में भी भाजपा को मिले सिर्फ 26.3% वोट जबकि आज़ाद उम्मीदवारों ने दोगुने 52.2% वोट किये हासिल- हुड्डा

कोरल’पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ः 22 जून

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नगर पालिका और नगर परिषद चुनाव में जीत हासिल करने वाले सभी उम्मीदवारों को बधाई दी है। उन्होंने हार का सामना करने वाले उम्मीदवारों को भी भविष्य के लिए शुभकामनाएं देकर जनता के हित में काम करने को कहा। हुड्डा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी हालांकि इस चुनाव से अलग रही परन्तु, पार्टी के स्थानीय नेताओं ने अपने-अपने इलाके में निर्दलीय उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया था। चेयरमैन की एक-एक सीट पर कहीं-कहीं चार से पांच स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता भी चुनाव लड़ रहे थे। 46 नगरपालिका और नगर परिषद सीटों में से लगभग 19 जगहों पर इन आजाद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। 30 जगह करीबी मुकाबले में वे दूसरे स्थान पर रहे। जहाँ तक वोट शेयर की बात है तो आज़ाद उम्मीदवारों ने शहरों में भाजपा को मिले 26.3 प्रतिशत वोट के मुकाबले दोगुने यानी 52.2 प्रतिशत वोट हासिल किये। इससे लगता है शहरी जनता ने भी बीजेपी को पूरी तरह नकार दिया है।

हुड्डा का कहना है कि इस चुनाव में मैदान साफ़ होने के बावजूद बीजेपी-जेजेपी गठबंधन जनता का विश्वास हासिल करने में पूरी तरह नाकाम हुई है। चुनावों में जनता ने बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को नकार दिया है। बड़ी तादाद में निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत और उन्हें मिला वोट शेयर बताता है कि मौजूदा सरकार और सरकार की कार्यप्रणाली से जनता बुरी तरह नाराज़ है और अपनी नाराजगी को वोट के माध्यम से जनता ने स्पष्ट कर दिया है। अब हरियाणा की जनता बेसब्री से विधानसभा व लोकसभा चुनावों का इंतजार कर रही है ताकि वोट की चोट से बीजेपी-जेजेपी सरकार को सबक सिखाया जा सके।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नगर पालिका व नगर परिषद चुनाव विजेताओं से आह्वान किया कि वो जनहित को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। स्थानीय स्तर पर लोग सड़क, गलियों की खस्ता हालत, सीवरेज, पीने का पानी, साफ-सफाई से संबंधित अनेकों समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इन समस्याओं का समाधान करना चुने हुए प्रतिनिधियों की सबसे पहली जिम्मेदारी है।