नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के परिवार की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने जो अबतक इस मामले की पड़ताल की है, वह किसी मामूली सी कंपनी की प्रॉपर्टी में कल्पना से भी ज्यादा इजाफा का मामला है और शायद इसी वजह से सोनिया और राहुल गांधी की उलझनें बढ़ गई हैं और उन्हें अब ईडी अधिकारियों के सामने पेश होकर खुद को बेदाग साबित करना होगा। सोनिया को इस मामले में 8 जून को पेश होना है, जबकि राहुल को आज की तारीख दी गई थी, लेकिन विदेश में रहने की वजह से उन्होंने थोड़ी मोहलत मांगी है। लेकिन, जो खटकने वाली बात है वह ये कि गांधी परिवार की स्वामित्व वाली एक कंपनी की संपति सिर्फ एक दशक में 5 लाख रुपये से बढ़कर 800 करोड़ रुपये की कैसे हो गई ?
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली:
ED ने नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी को पूछताछ के लिए तलब किया है। अधिकारियों के अनुसार, जांच एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत कांग्रेस के दोनों नेताओं के बयान दर्ज करना चाहती है।
दरअसल बात साल 2008 की है, जब नेशनल हेराल्ड अखबार को छापने वाले एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के मालिक कांग्रेस पार्टी ने इसकी खराब हालत को देखते हुए इसे बंद करने का फैसला किया था। तब कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली, मुंबई, पंचकुला, लखनऊ और पटना में प्राइम लोकेशन पर स्थित AJL की संपत्तियों को किराए पर देकर वाणिज्यिक विकल्प तलाशना शुरू कर दिया। इन शहरों में संपत्तियों का अधिग्रहण उन राज्यों में कांग्रेस सरकारों की मदद से किया गया था। बताया जा रहा कि इन सभी संपत्तियों को अखबारों के मुद्रण और प्रकाशन के विशिष्ट उद्देश्य के लिए मामूली रकम पर प्राप्त की गईं थीं।
इसके बाद सीन में आती है साल 2010 में सोनिया गांधी, ऑस्कर फर्नांडिस और कुछ करीबियों द्वारा बनाई नई कंपनी यंग इंडियन यंग इंडियन जब अस्तित्व में आई तब इसकी शेयर कैपिटल सिर्फ 5 लाख रुपये थी। इसके बाद कथित तौर पर कोलकाता स्थित एक शेल कंपनी से 1 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया गया था ताकि वह AJL और उसकी सभी संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए कांग्रेस पार्टी के साथ लेनदेन कर सके। आज सोनिया गांधी और उनके दो बच्चे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यंग इंडियन के बहुसंख्यक शेयरधारक हैं।
प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक जांच के अनुसार, गांधी परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनी जिसकी शुरुआत महज 5 लाख रुपये से हुई थी, अब पूरे देश में 800 करोड़ रुपये की संपत्ति की मालिक है। वर्तमान में राजधानी नई दिल्ली में स्थित इसकी एक प्रमुख संपत्ति हेराल्ड हाउस में एक पासपोर्ट कार्यालय है। ED द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में AJL को आवंटित पंचकूला की जमीन की अनुमानित कीमत 65 करोड़ रुपये आंकी गई है। AJL और यंग इंडियन की डिटेल्स भी आयकर विभाग द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में यंग इंडियन द्वारा एजेएल के अधिग्रहण को चुनौती देने वाली 2017 की आकलन रिपोर्ट का हिस्सा है। हाई कोर्ट ने इनमक टैक्स विभाग के आरोपों को सही करार देते हुए उसे यंग इंडियन के बहुसंख्यक शेयरधारकों सोनिया और राहुल गांधी के आयकर रिटर्न को फिर से खोलने की अनुमति दी।
दरअसल, यंग इंडियन को सेक्शन 25 के तहत एक चैरिटेबल संस्था बनाई गई थी, जिसे टैक्स से छूट दी गई थी। गाँधी परिवार की कंपनी ने आयकर विभाग में इस छूट के लिए मार्च 2011 को आवेदन दिया था, जब केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस की सरकार थी और 9 मई 2011 को बिना किसी दिक्कत के इसे मंजूरी भी दे दी गई।
एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत होने के बावजूद यंग इंडियन ने पब्लिशिंग हाउस होने की आड़ में संपत्तियों का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया। इसे वर्ष 2010-11 में भी टैक्स में छूट प्राप्त हुआ। यंग इंडियन अपनी बेशकीमती संपत्तियों पर नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रही है, जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस भी शामिल है। इसकी अनुमानित कीमत करोड़ों में है। आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने इसकी लीज इस आधार पर रद्द कर दिया था कि अखबार छापने की जगह इसका इस्तेमाल वित्तीय फायदे के लिए किया जा रहा है, जो कि लीज के नियमों का उल्लंघन है।
गाँधी परिवार ने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज किया जा चुका है। पंचकूला की प्रॉपर्टी भी पहले ही ईडी जब्त कर चुकी है। सोनिया और राहुल गाँधी को प्रवर्तन निदेशालय अधिकारियों के सामने कंपनी की इन्हीं के बारे में बताना है। बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस, एजेएल द्वारा अधिग्रहित पहली संपत्तियों में से एक था। इमारत वर्तमान में भारत सरकार को किराए पर दी गई है, जो अपने परिसर में एक पासपोर्ट सेवा केंद्र चलाती है। आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने वर्तमान में सैकड़ों करोड़ की कीमत के आवंटन खंड के उल्लंघन का हवाला देते हुए अपनी लीज डीड रद्द कर दी है।
संपत्ति के कब्जे को लेकर गाँधी परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगने के बाद 2019 में ईडी ने पंचकूला में एजेएल द्वारा अधिग्रहित 65 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया। गाँधी परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला एजेएल के स्वामित्व वाली संपत्तियों के अधिग्रहण के बाद यंग इंडियन को ट्रांसफर किए जाने के बाद शुरू हुआ। ईडी ने जमीन की जानकारी का खुलासा करते हुए बताया कि प्लॉट नंबर सी-17, सेक्टर 6, पंचकूला को एजेएल को तत्कालीन हरियाणा के सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने 1982 में पहली बार आवंटित किया था।
कंपनी द्वारा वाणिज्यिक हितों के लिए भूमि का उपयोग करते पाए जाने के 10 साल बाद आवंटन रद्द कर दिया गया था। हालाँकि, वही जमीन कंपनी को 2005 में महज 59.39 लाख रुपए में आवंटित की गई थी। इसी तरह मई 2020 में ईडी ने मुंबई के बांद्रा में एजेएल की संपत्ति को कुर्क किया, जिसमें एक 9 मंजिला इमारत भी शामिल है। इसकी कीमत 16.38 करोड़ रुपए है। ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से संबंधित कुर्की आदेश एजेएल और उसके चेयरमैन-सह-मैनेजिंग डायरेक्टर रहे मोती लाल वोरा के खिलाफ जारी किया गया था।