ज्ञानवापी में मिले 3 मीटर लंबे शिवलिंग, कोर्ट का आदेश- प्रशासन शिवलिंग वाली जगह को तुरंत सील करके उसे सुरक्षा में ले

जैसा कि आप जानते ही हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और मंदिर होने के दावे के बाद कोर्ट ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद शनिवार को सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर कुछ चौंकाने वाली चीजें मिली हैं। मस्जिद के अंदर चार मंडप वाला तहखाना और विशेश्वर मंदिर मिला है। ज्ञानवापी में मिले 3 मीटर लंबे शिवलिंग, हिंदू पक्ष का दावा- पन्ना पत्थर से बना है, अकबर ने 1585 में स्थापित कराया था। एडवोकेट रईस अहमद अंसारी ने कहा कि अदालत ने जल्दबाजी में आदेश दे दिया है। हम अदालत के इस आदेश से संतुष्ट नहीं हैं और हाईकोर्ट में उसे चुनौती देंगे। सुप्रीम कोर्ट में भी मसाजिद कमेटी ने याचिका दाखिल की है। उस याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच मंगलवार को सुनवाई करेगी। ऐतिहासिक दस्तावेजों में ज्ञानवापी मस्जिद का पहला जिक्र 1883-84 में मिलता है जब इसे राजस्व दस्तावेजों में जो जामा मस्जिद ज्ञानवापी के तौर पर दर्ज किया गया।सैयद मोहम्मद यासीन कहते हैं कि मस्जिद में उससे पहले की कोई चीज़ नहीं है, जिससे स्पष्ट हो सके कि यह कब बनी है। राजस्व दस्तावेज ही सबसे पुराना दस्तावेज़ है। इसी के आधार पर साल 1936 में दायर एक मुक़दमे पर अगले साल 1937 में उसका फ़ैसला भी आया था। अदालत ने इसे मस्जिद के तौर पर स्वीकार किया था। अदालत ने माना था कि यह नीचे से ऊपर तक मस्जिद है और वक्फ की प्रॉपर्टी है। बाद में हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया। ज्ञानवापी मस्जिद में 15 अगस्त 1947 से पहले से ही नहीं बल्कि 1669 में जब यह बनी है तब से यहां नमाज़ पढ़ी जा रही है। कोरोना काल में भी यह सिलसिला नहीं टूटा है। हालांकि, मस्जिद के 1669 में बनने का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य कहीं उपलब्ध नहीं है जो सैयद मोहम्मद यासीन के दावे की पुष्टि कर सके।

रज्विरेंद्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली/वाराणसी :  

ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम  सोमवार को पूरा हो गया और मंगलवार को कोर्ट कमिश्नर अपनी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश कर सकते हैं। इस बीच तरह-तरह के दावे भी सामने आ रहे हैं। हिन्दू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर के अंदर मौजूद कुएं से शिवलिंग मिला है, जो कि 12.8 फ़ीट लंबा है।  सर्वे टीम में शामिल वादी पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने दावा किया कि बाबा मिल गए हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि असली शिवलिंग मिल गया है। हालांकि जिला प्रशासन ने अपील की है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है और कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार है। कोई भी व्यक्ति किसी भी पक्ष के दावे पर ध्यान न दे।

ज्ञानवापी से जुड़ी बड़ी खबर है। परिसर के अंदर सर्वे टीम को शिवलिंग मिला है। यह बात सामने आने के बाद वाराणसी कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया कि जिस जगह शिवलिंग मिला है, उसे तत्काल सील कर दें। वहां पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाए। कोर्ट ने डीएम, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को यह आदेश दिया है। कोर्ट ने इन अधिकारियों को जगहों को संरक्षित और सुरक्षित रखने की व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदारी दी है।

दरअसल, ज्ञानवापी में सर्वे के लिए तीसरे दिन टीम गई थी। बताया जा रहा है कि वहां टीम को शिवलिंग नजर आया। सर्वे टीम में शामिल हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने तुरंत वाराणसी कोर्ट में एप्लीकेशन दी। इसमें कोर्ट को बताया गया कि वहां पर शिवलिंग मिला है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। सीआरपीएफ कमांडेंट को उस जगह को सील करने का आदेश देने की मांग की गई। सीनियर डिवीजन के जज रवि कुमार दिवाकर ने तुरंत डीएम को उस जगह को सील करने का आदेश दिया है।

माँ गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित, वाराणसी दुनिया का सबसे पुराना जीवंत शहर और भारत की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक राजधानी है। वहीं महादेव की नगरी काशी की पूरी भव्यता काशी विश्वनाथ मंदिर में है, जिसमें शिव, विश्वेश्वर या विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग है। जो अब काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के रूप में विशाल आकार लेकर 1000 साल पुराने अपने उसी अखंड स्वरुप में है जो 11वीं सदी तक हुआ करती थी। यूँ तो काशी नित्य निरंतर रंग-उमंग से भरी रहती है, वही काशी जहाँ सप्त वार में नौ त्योहार मनाने की परंपरा रही है; आज वो काशी एक नव त्योहार के रंग में रंगी है और हो भी क्यों नहीं काशी पुराधिपती बाबा विश्वनाथ के भव्य दरबार के लोकार्पण की जो तैयारी है।

बता दें कि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग का भारत के आध्यात्मिक इतिहास में बहुत ही अनूठा महत्व है। परंपरा यह है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में बिखरे हुए अन्य ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से अर्जित गुण काशी विश्वनाथ मंदिर में एकल यात्रा द्वारा शिव भक्तों को प्राप्त होते हैं। ऐसे में अद्भुत, अद्वितीय, अलौकिक और भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम आज 13 दिसंबर, 2021 को अगहन मास की दशमी तिथि को रवियोग में पीएम नरेंद्र मोदी जनता को समर्पित करेंगे। पीएम मोदी आज जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे तो उस समय 12 ज्योतिर्लिंगों और 51 सिद्धपीठों के पुजारी भी उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही ‘न भूतो न भविष्यति’ की तर्ज पर काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह को भव्य रूप देने के लिए सनातन धर्म के सभी संप्रदायों की आज प्रांगण में उपस्थिति होगी।

आज गौरव का दिन है। जिसका स्वागत होना चाहिए। वर्षो से यहाँ आते साधु-संतों, सन्यासियों, साधकों के साथ ही काशी और काशीवासियों के हृदय की आवाज को और उनके मन में दबे उस प्रतिकार को बिना विध्वंश के अपनी सृजनात्मक क्षमता द्वारा बदल देने का जो कार्य काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। उसे मैं महीनों से यहाँ आने-जाने वाले सभी शिव भक्तों की आँखों में पढ़ रहा हूँ। सभी दिव्य और भव्य काशी के इस बदलते स्वरुप को देखकर गदगद हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो प्रधानमंत्री ने अंजुमन इंतजामिया जामा मस्जिद (ज्ञानवापी मस्जिद) के रूप में बाबा विश्वनाथ परिसर में खींची गई छोटी लकीर को एक कॉरिडोर के रूप में एक बड़ी लकीर खींच कर बेहद छोटा कर दिया है। ज्ञानवापी अर्थात ज्ञान का कुआँ की जो प्राचीन अवधारणा है उस आधारभूत संरचना को धरातल पर लाने का जो संकल्प प्रधानमंत्री ने लिया था वो अब आम जनमानस के सामने दृष्टिगोचर हो रहा है।

आनंद कानन की जो परिकल्पना रही है वो अब एक बार फिर काशी में आकर ले चुकी है जहाँ एक ओर माँ गंगा की अविरल धारा है तो दूसरी ओर स्वर्ग से उतरी पतित-पावनी गंगा को अपनी जटा में स्थान देने वाले काशी पुराधिपती बाबा विश्वनाथ अब एक सीध में बिना किसी अड़चन के एकाकार हो चुके है। अट्ठारवीं सदी में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर के द्वारा जिस यज्ञ का अनुष्ठान किया गया था, अलौकिक काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप में प्रधामंत्री मोदी ने 352 साल बाद उसे सिद्धि प्रदान की है।

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर

बाबा विश्वनाथ जो काशी के सर्वमान्य राजा है और राजराजेश्वर के रूप में यहाँ विराजमान है। उनके मंदिर परिसर की जो स्वर्णमयी आभा होनी चाहिए उसे मूर्तरूप देने का काम प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और सनातन धर्म और हिन्दुओं के प्रति अहोभाव को दर्शाता है। जिनके द्वारा कोरोना जैसी महामारी के बीच भी मात्र 33 माह में एक असंभव सा दिखने वाला कार्य संभव हुआ है। आज मंदिर परिसर में पहुँचने वाला हर शिव भक्त हर काशीवाशी अभिभूत है। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा की बाबा विश्वनाथ दरबार का जो स्वरूप उन्होंने जीवनपर्यंत देखा वो इस अद्भुत स्वरूप में कैसे परिलक्षित हुआ। मंदिर के मुख्य अर्चक महंत श्रीकांत मिश्र भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहते हैं, “आज मंदिर का जो दिव्य और भव्य परिसर सबके सामने है वो बाबा काशी विश्वनाथ की इच्छा और प्रधानमंत्री मोदी के सार्थक और दृढ़ इच्छशक्ति के कारण ही संभव हुआ हैं।”

शिलान्यास से निर्माण तक की कुछ झलकियाँ

इससे पहले कि आगे इतिहास की बात करूँ आपकी जानकारी के लिए बता देता हूँ कि काशी विश्वनाथ धाम में 27 मंदिरों की एक खास मणिमाला भी तैयार की गई है। यह वे मंदिर हैं, जिनमें कुछ मंदिर तो काशी विश्वनाथ के साथ ही स्थापित किए गए थे और बाकी समय-समय पर काशीपुराधिपति के विग्रहों के रूप में यहाँ बसाए गए थे। जलासेन घाट से गंगा स्नान के बाद जल लेकर चलने वाले शिव भक्त इस मणिमाला को साक्षी मानकर ही गर्भगृह तक जाएँगे और यहाँ से दर्शन के बाद इन विग्रहों की परिक्रमा का जो प्राचीन विधान था वह पुनः स्थापित हुआ है। परियोजना के दूसरे चरण में 97 विग्रह व प्रतिमाओं की स्थापना और तीसरे चरण में 145 शिवलिंगों को भी स्थापित किया जाएगा।

पिछले एक महीने में कई बार इस मंदिर परिसर में गया और तब भी गया था जब इस परियोजना के लिए ड्रोन सर्वे के बाद 300 से ज़्यादा भवन खरीदे गए और उनके अंदर कैद किए गए काशी खंड के अनेक मंदिरों को मुक्त कराया गया। एक हजार साल से काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वंस का जो दंश भोग रहा था, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने उससे मुक्ति दिलाई है। आज जो कॉरिडोर हमारे सामने है ग्यारहवीं शताब्दी तक इस मंदिर परिसर की शक्ल कमोबेश ऐसी ही थी, जैसी आज आकार दी गई है।

काशी विश्वनाथ सिर्फ़ एक मंदिर नहीं बल्कि मंदिरों का संकुल था। मंदिर परिसर के चारों तरफ़ कॉरिडोर की शक्ल में कई कक्ष थे, जहाँ संस्कृत, ज्योतिष, तंत्र और आध्यात्म की शिक्षा दी जाती थी। गुरुकुल परंपरा के तहत विद्यार्थी यहीं अपने गुरु के सानिध्य में बैठकर वेद, पुराण, धर्म और दर्शन का ज्ञान अर्जित करते थे। कहा जाता है कि 1669 में औरंगजेब ने जब इस मंदिर संकुल को तोड़ने का आदेश दिया था तो उसकी एक वजह यह भी थी कि उसका सनातन धर्म के प्रति आकर्षित होता भाई दारा शिकोह यहाँ संस्कृत पढ़ता था।

वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा इसका जिक्र करते हुए बताते है, “दारा शिकोह ने औरंगजेब और इस्लाम से बग़ावत की थी। इसलिए औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 को मंदिर तोड़ने का फ़रमान जारी किया। फ़ारसी में लिखे इस फ़रमान में दर्ज था कि “वहाँ मूर्ख पंडित, रद्दी किताबों से दुष्ट विद्या पढ़ाते हैं।”

सोचिए हिन्दू धर्म और शास्त्रों के प्रति कैसी घृणा थी उन मुग़लों में जिन्होंने भारत की मूल संस्कृति, यहाँ की आध्यात्मिकता को मिटाने का दुस्साहस किया और हम सैकड़ों सालों से, यहाँ तक कि आजाद होने के बाद भी वर्षों तक उस विध्वंश का दंश झेलते रहे।

कहा जाता है कि बाबा विश्वनाथ का यह मंदिर काशी में भगवान शिव और माता पार्वती का आदि स्थान भी है। 11वीं सदी तक यह अपने मूल रूप में बना रहा, सबसे पहले इस मंदिर के टूटने का उल्लेख 1034 में मिलता है। इसके बाद 1194 में मोहम्मद गोरी ने इसे लूटने के बाद तोड़ा। काशी वासियों ने इसे उस समय अपने हिसाब से बनाया लेकिन वर्ष 1447 में एक बार फिर इसे जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तुड़वा दिया। फिर वर्ष 1585 में राजा टोडरमल की सहायता से पंडित नारायण भट्ट ने इसे बनवाया था लेकिन वर्ष 1632 में शाहजहाँ ने एक बार फिर काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाने के लिए मुग़ल सेना की एक टुकड़ी भेज दी। लेकिन हिन्दुओं के प्रतिरोध के कारण मुग़लों की सेना अपने मकसद में कामयाब न हो पाई। हालाँकि, इस संघर्ष में काशी के 63 मंदिर नष्ट हो गए।

इसके बाद सबसे बड़ा विध्वंश आततायी औरंगजेब ने करवाया जो काशी के माथे पर सबसे बड़े कलंक के रूप में आज भी विद्यमान है। साक़ी मुस्तइद खाँ की किताब ‘मासिर -ए-आलमगीरी’ के मुताबिक़ 16 जिलकदा हिजरी- 1079 यानी 18 अप्रैल 1669 को एक फ़रमान जारी कर औरंगजेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया। साथ ही यहाँ के ब्राह्मणों-पुरोहितों, विद्वानों को मुसलमान बनाने का आदेश भी पारित किया था।

मंदिर से औरंगजेब के ग़ुस्से की एक वजह यह थी यह परिसर संस्कृत शिक्षा बड़ा केन्द्र था और दाराशिकोह यहाँ संस्कृत पढ़ता था। और इस बार मंदिर की महज एक दीवार को छोड़कर जो आज भी मौजूद है और साफ दिखाई देती है, समूचा मंदिर संकुल ध्वस्त कर दिया गया। 15 रब- उल-आख़िर यानी 2 सितम्बर 1669 को बादशाह को खबर दी गई कि मंदिर न सिर्फ़ गिरा दिया है, बल्कि उसकी जगह मस्जिद की तामीर करा दी गई है। मंदिर के खंडहरों पर ही बना वह मस्जिद बाहर से ही स्पष्ट दीखता है जिसके लिए न किसी पुरातात्विक सर्वे की जरुरत है न किसी खुदाई की।

प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर की वह आखिरी बची दिवार जो ज्ञानवापी मस्जिद का हिस्सा है

एक और घटना जो उस समय घटी वह यह है कि स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को कोई क्षति न हो इसके लिए मंदिर के महंत शिवलिंग को लेकर ज्ञानवापी कुंड में ही कूद गए थे। हमले के दौरान मुगल सेना ने मंदिर के बाहर स्थापित विशाल नंदी की प्रतिमा को भी तोड़ने का प्रयास किया था लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी वे नंदी की प्रतिमा को नहीं तोड़ सके। जो आज भी अपने महादेव के इंतजार में मंदिर के उसी पुराने परिसर जो अब ज्ञानवापी मस्जिद है, की तरफ एक टक देख रहे हैं।

हालाँकि, तब से आज तक विश्वनाथ मंदिर परिसर से दूर रहे ज्ञानवापी कूप और विशाल नंदी को एक बार फिर विश्वनाथ मंदिर परिसर में शामिल कर लिया गया है। और यह संभव हुआ है विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद। इस प्रकार 352 साल पहले अलग हुआ यह ज्ञानवापी कूप एक बार फिर विश्वनाथ धाम परिसर में आ गया है। लेकिन नंदी महराज की दिशा और दृष्टि से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। जो कहीं न कहीं बाबा विश्वनाथ की मुक्ति का आवाहन तब तक करते रहेंगे जब तक वो अपने महादेव को देख नहीं लेते।

एक बार फिर वापस लौटते हैं इतिहास के पन्नों में, औरंगजेब के आदेश पर उस समय मंदिर संकुल को तुड़वा कर बाबा विश्वनाथ मंदिर के ही ऊपर एक मस्जिद बना दी गई। जिसे बाद में औरंगजेब द्वारा दिया गया नाम था अंजुमन इंतजामिया जामा मस्जिद, जिसे बाद में ज्ञानवापी के नाम पर ज्ञानवापी मस्जिद कहा गया। ज्ञानवापी यानी ज्ञान का कुँआ। उसके बाद कई चरणों में काशीवासियों, होल्कर और सिन्धिया सरदारों की मदद से मंदिर परिसर का स्वरुप बनता-बिगड़ता रहा। लेकिन उसकी वह अलौकिक भव्यता नहीं लौटी जो काशी में कभी हुआ करती थी।

औरंगजेब के जाने बाद मंदिर के पुनर्निर्माण का संघर्ष जारी रहा। 1752 से लेकर 1780 तक मराठा सरदार दत्ता जी सिन्धिया और मल्हार राव होल्कर ने मंदिर की मुक्ति के प्रयास किए। पर 1777 और 80 के बीच इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर को सफलता मिली। महारानी अहिल्याबाई ने मंदिर तो बनवा दिया पर वह उसका वह पुराना वैभव और गौरव नहीं लौटा पाई। 1836 में महाराजा रणजीत सिंह ने इसके शिखर को स्वर्ण मंडित कराया। वहीं तभी से संकुल के दूसरे मंदिरों पर पुजारियों-पुरोहितों का क़ब्ज़ा हो गया और धीरे-धीरे मंदिर परिसर एक ऐसी गलियों की बस्ती में बदल गया जिसके घरों में प्राचीन मंदिर तक क़ैद हो गए।

आने वाले समय में काशी मंदिर पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया, जिस कारण मंदिर का निर्माण रोक दिया गया। फिर साल 1809 में काशी के हिन्दुओं द्वारा मंदिर तोड़कर बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद पर कब्जा कर लिया गया। इस प्रकार काशी मंदिर के निर्माण और विध्वंस की घटनाएँ 11वीं सदी से लेकर 15वीं सदी तक चलती रही। हालाँकि, 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने ‘वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल’ को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने के लिए कहा था, लेकिन यह कभी संभव ही नहीं हो पाया। तब से ही जारी यह विवाद आज तक चल रहा है।

28 जनवरी, 1983 को मंदिर को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसका प्रबंधन तब से डॉ विभूति नारायण सिंह को एक ट्रस्ट के रूप में सौंपा गया है। इसमें पूर्व काशी नरेश, अध्यक्ष के रूप में और मंडल के आयुक्त के चेयरमैन के साथ एक कार्यकारी समिति बनाई गई। अभी एक न्यास परिषद भी है जो मंदिर के पूजा सम्बन्धी प्रावधानों को भी देखता है।

एक और बात वर्तमान आकार में मुख्य मंदिर 1780 में इंदौर की स्वर्गीय महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा बनाया गया था। 1785 में गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के कहने पर तत्कालीन कलेक्टर मोहम्मद इब्राहीम खान द्वारा मंदिर के सामने एक नौबतखाना बनाया गया था। 1839 में, मंदिर के दो गुंबदों को पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह द्वारा दान किए गए सोने से कवर किया गया। तीसरा गुंबद अभी भी वैसे ही बिना स्वर्ण जड़ित है। जिस पर योगी सरकार ने ध्यान देते हुए संस्कृति धार्मिक मामले मंत्रालय के जरिए मंदिर के तीसरे शिखर को भी स्वर्णमंडित करने में गहरी दिलचस्पी ले रहा है।

कहते हैं इतिहास के अपने प्रस्थान बिन्दु होते है। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के रूप में आज का यह स्वरूप निर्माण का तीसरा प्रस्थान बिन्दु है। जब भी इतिहास में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण का ज़िक्र किया जाएगा, मंदिर का पुनरुद्धार करने वाली महारानी अहिल्या बाई होल्कर, इसके शिखर को स्वर्ण मंडित करने वाले महाराजा रणजीत सिंह और मंदिर को उसकी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आभा लौटाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम सामने होगा।

Panchkula Police

Police Files Panchkula – May 22

 फ्रॉड से बचें ओटीपी शेयर करते ही आप हो सकते है कई साइबर अपराध के शिकार डीसीपी पंचकूला

पंचकूला 16 मई :-  

पुलिस उपायुक्त पंचकूला मोहित हांडा नें जानकारी देते हुए बताया कि आधुनिक तकनीकी के चलते साइबर अपराध भी घटित हो रहें है साइबर अपराधों में साइबर अपराध पीडित को साइबर क्रिमनल किसी प्रकार कां झांसा देकर उनसे उनकी पर्सनल जानकारी पुछकर उनके साथ साइबर ठगी को अन्जाम देते है परन्तु साइबर अपराध से बचनें के लिए खुद को जागरुक व सावधान रहनें की आवश्यकता है क्योकि अगर आप जागरुक है होगें तो आपके साथ आपके साथ इस प्रकार का साइबर अपराध भी घटित नही होगा । साइबर क्रिमनल अलग तरीके-2 अपनाकर लोगो को  लॉटरी, ऑफर या अन्य किसी प्रकार का लालच देकर उनके साथ ठगी को अन्जाम देते है ऐसे में ओटीपी वन टाईम पासवर्ड जो सिर्फ कुछ समय के आपका निजी जानकारी है अगर आपके किसी अन्जान व्यकित के साथ शेयर कर दिया तो आपका बैंक खाता खाली हो सकता है इसलिए मोबाईल में प्राप्त कोई भी ओटीपी किसी अन्जान व्यकित के साथ शेयर ना करें चाहे वह व्यकित आपके लिए या आपके भले के लिए कोई कार्य कर रहा है क्योकि साइबर अपराधी आपके  झासें में लेकर ही आपको विश्वास में लेकर ओटीपी पुछता है फिर आप उसके साथ शेयर कर देतें है और आप ठगी को शिकार हो जाते है किसी भी अन्जान व्यकित के साथ बैंक खाता , ओटीपी. क्रेडिट व डेबिड कार्ड या अन्य किसी भी लिंक इत्यादि पर क्लिक ना करें । ना ही किसी के कहनें पर अपनें फोन में कोई साफ्टवेयर इत्यादि इंस्टाल करें ।  

ओटीपी का प्रयोग बैंकिग, ऑनलाइन शॉपिंग, सोशल मीडिया, पासवर्ड भूलने पर उसे रिकवर करने के लिए तथा आधार कार्ड से लिंक करनें तथा सिम कार्ड अप़डेट , नया सिम कार्ड खरीदते समय इत्यादि के ओटीपी की जरुरत पडती है अगर आपनें अपना ओटीपी किसी अन्जान व्यकित के साथ शेयर कर दिया तो आप साइबर ठगी का शिकार हो सकते है इसलिए जागरुक करें कोई भी ओटीपी या किसी लिंक पर क्लिक करनें से बचें और अगर आपके साथ किसी प्रकार का आपके साथ साइबर अपराध घटित हो जाता है तो तुरन्त राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाईन नम्बर 1930 तथा साइबर कम्पलेंट पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज करवायें ।

ट्रैफिक को सूचारू रुप चलानें हेतु ट्रैफिक मार्शल की अहम भूमिका होती है एसीपी ट्रैफिक

पंचकूला 16 मई :-  

पुलिस उपायुक्त पंचकूला मोहित हांडा के निर्देशानुसार, एसीपी ट्रैफिक श्री राजकुमार रंगा के नेतृत्व में आज दिनांक 16 मई को ट्रैफिक मार्शल के साथ मींटिग आयोजित की गई । मीटिंग के दौरान ट्रैफिक एसीपी नें कहा कि मार्शल के सहयोग से ट्रैफिक नियमों की पालना करनें बारे आमजन को जागरुक किया जायेगा । इसके अलावा बताया कि ट्रैफिक मार्शल ट्रैफिक पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ट्रैफिक व्यवस्था को बनाएं रखनें में सहयोग करते है ट्रैफिक मार्शल की अलग -2 टीम पुलिस के साथ नाका चेंकिग के दौरान मौजूद होकर ट्रैफिक नियमों की पालना करनें बारें आमजन को जागरुक करती है ।

मीटिंग के दौरान एसीपी ट्रैफिक नें बताया कि मार्शलो को ट्रैफिक सबंधी नियमों बारे जानकारी देकर ट्रैफिक पुलिस के साथ सहयोग होकर आमजन को ट्रैफिक नियमों बारें अवगत करवाया जाता है इसके साथ ही एसीपी ट्रैफिक नें कहा कि ट्रैफिक व्यवस्था को सूचारु रुप से चलानें हेतु ट्रैफिक मार्शल का अहम योगदान होता है जिनके द्वारा ट्रैफिक नियमों तथा ट्रैफिक सिग्नल रेड, ग्रीन तथा येलो और जेब्रा क्रांसिग इत्यादि बारे आमजन क जागरुक किया गया जाता है इसके अलावा कहा कि ट्रैफिक मार्शल की भूमिका
अकसर देखा गया कि है कि ट्रैफिक मार्शल की भूमिका ड्रंकन ड्राइव, स्पीड नाका समेत अन्य नाके पर ट्रैफिक पुलिस के साथ तैनाती होती है । मार्शल नाकों पर पुलिस की सहायता करते हैं ।

सरेआम हगांमा करनें पर 4 जुआ खेलनें पर 1 आरोपी गिरफ्तार

पंचकूला 16 मई :- 

पुलिस कमीश्रर पंचकूला डॉ हनीफ कुरैशी के निर्देशानुसार जिला पंचकूला में सार्वजनिक स्थान पर जुआ खेलना व शराब पीना इत्यादि असामाजिक गतिविधियो पर कडी रोकथाम हेतु निर्देश जारी किए हुए है जिन निर्देशानुसार के तहत कल दिनांक 15 मई 2022 को पुलिस की अलग-2 टीम नें अलग -2 स्थानों से सार्वजनिक स्थांन पर हगांमा करने पर 4 आरोपियो को व जुआ खेलनें पर 1 आरोपी को गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तार किये गये आरोपियो की पहचान विनोद पुत्र सुरेश कुमार वासी हाउंसिग बोर्ड कालौनी सेक्टर 28, मोहन पुत्र राम प्रशाद वासी गाँव रैली सेक्टर 12-ए, विजय कुमार पुत्र सुभाष चंन्द्र वासी मनीमाजरा चण्डीगढ तथा भरत कुमार पुत्र सुभाष चन्द्र वासी मनीमाजरा चण्डीगढ तथा जुआ खेलनें के मामलें में विजय पुत्र राजपाल वासी गाँव लोहगढ पिन्जोर गिरफ्तार किया गया । गिरप्तार किये गये आरोपियो के खिलाफ सार्वजनिक स्थान पर हंगामा करनें पर धारा 160 भा.द.स. तथा जुआ खेलनें पर जुआ अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके आऱोपियो को मौका से गिरफ्तार किया गया ।

डिटेक्टिव स्टाफ नें हैरोईन सहित व्यकित को किया काबू

पंचकूला 16 मई :- 

पुलिस कमीश्रर पंचकूला डॉ हनीफ कुरैशी के निर्देशानुसार जिला पंचकूला में नशे की रोकथाम हेतु एक विशेष अभियान की शुरुआत की गई है जिस अभियान के तहत डिटेक्टिव स्टाफ पंचकूला इन्सपेक्टर मोहिन्द्र सिंह व उसकी टीम द्वारा कल दिनांक 15 मई को नशीले पदार्थ हिरोईन के मामेलें में आरोपी काबू किया गया । काबू किये गये आरोपी की पहचान सुनील कुमार पुत्र ओमप्रकाश वासी खडक मगोंली जिला पंचकूला के रुप में हुई । गिरफ्तार किये गये आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत थाना चण्डीमन्दिर में मामला दर्ज करके आऱोपी को गिरफ्तार करके पेश अदालत न्यायिक हिरासत भेजा गया ।

डिटेक्टिव स्टाफ की टीम नें कल दिनांक 15 मई को बीड घग्गर के पास पुल के पास से एक व्यकित को शक के आधार पर काबू किया जिस व्यकित की तलाशी लेनें पर व्यकित के कब्जे से नशीला पदार्थ हिरोईन 4.02 ग्राम बरामद किया गया । जिस व्यक्ति के खिलाफ थाना चण्डीमन्दिर में एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया ।

ट्रैफिक पुलिस नें बिना हेल्मेट 5319 बिना सीट बेल्ट 3171 वाहन चालको के काटे चालान

पंचकूला 16 मई :- 

पुलिस प्रवक्ता नें जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस उपायुक्त पंचकूला श्री मोहित हांडा के निर्देशानुसार जिला पंचकूला में एसीपी ट्रैफिक श्री राजकुमार रगा के नेतृत्व में ट्रैफिक नियमों की उल्लंघना करनें वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है एसीपी ट्रैफिक नें कहा कि ट्रैफिक नियमों की उल्लंघना करने वालों पर चैकिंग नाका व सीसीटीवी कैमरों द्वारा निगरानी करके चालान काटे जा रहे है इसकी तहत एसीपी ट्रैफिक नें कहा कि माह जनवरी 2022 से अब बिना हेल्मेट के 5319 वाहन चालकों तथा बिना सीट बेल्ट के 3171 वाहन चालकों के चालान काटे गये है इसके साथ पीलियन राईडर व पैसेन्जर द्वारा भी इन नियमों की उल्लघना करनें पर चालान काटा गया है । 

इसके साथ एसीपी ट्रैफिक नें आमजन से अपील करते हुए कहा कि ट्रैफिक नियमों की पालना करके खुद को सुरक्षित व पुलिस का सहयोग करें क्योकि ट्रैफिक में वाहन चलाते समय सुरक्षित रखनें के लिए ट्रैफिक नियमों की पालना करनी जरुरी है इसके साथ ही एसीपी ट्रैफिक नें कहा कि ट्रैफिक नियमों में लापरवाही वालों पर ट्रैफिक पुलिस की तरफ से कडी निगरानी की जा रही है जो ट्रैफिक पुलिस सीसीटीवी तथा नाकांबदी के साथ ट्रैफिक नियमों की अवेहलना करनें पर मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत जुर्माना किया जा रहा है जो पुलिस की यह मुहिम लगातार जारी है ।

डिटेक्टिव पुलिस को मिली सफलता, सरकारी अस्पताल से बाईक चोरी की दो वारदातें सुलझा

  • आरोपियो से चोरी की दो मोटरसाईकिल बरामद ।

 पंचकूला 16 मई :-  

पुलिस प्रवक्ता नें जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस उपायुक्त पंचकूला मोहित हांडा के निर्देशानुसार डिटेक्टिव स्टाफ इंचार्ज मोहिन्द्र सिंह एवं हेंड कांस्टेबल सुखचैन सिंह ने वारदातों को सुलझाते हुए दो चोरों को गिरफ्तार किया है । गिरफ्तार किये गये आरोपियो की पहचान राहूल पुत्र शंकर वासी घाटीवाला पिन्जोर तथा मन्दीप सिंह पुत्र ओम प्रकाश वासी गाँव टँगरा कालका के रुप में हुई ।

उपरोक्त आरोपियो नें दिनांक 05 अप्रैल 2022 को नागरिक अस्पताल कालका से स्पैण्डर मोटरसाईकिल चोरी की वारदात को अंजाम दिया था इसके अलावा आरोपियो नें दिनांक 06 मई 2022 को नागरिक अस्पताल सेक्टर 06 में मोटरसाईकिल सीडी डिलैक्स चोरी की वारदात अंजाम दिया था ।

चोरी के उपरोक्त दोनों मामलों में डिटेक्टिव स्टाफ की टीम  आरोपियो को गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तार किये गये आऱोपियो से चोरी की हुई दोनो मोटरसाईकिल को बरामद करके पेश अदालत न्यायिक हिरासत भेजा गया ।

इन्सपेक्टर मोहिन्द्र सिंह डिटेक्टिव स्टाफ इंचार्ज नें बताया कि उपरोक्त दोनो आरोपी विशेषकर सरकारी अस्पतालों में मोटरसाइकिल चोरी की वारदातों को अन्जाम देते थे एक वारदात उन्होनें सरकारी अस्पताल कालका  में व दुसरी वारदात नागरिक अस्पताल सेक्टर 06 में की थी । जो दोनो वारदातों में चोरी की हुई मोटरसाईकलो को बरामद कर लिया गया ।

शहर में लगाए 22 अतिरिक्त नाके लगाकर की कडी सुरक्षा हेतु की नाकाबंदी

  • पुलिस कमीश्रर नें लिया नाकों का जायजा

पंचकूला 16 मई :-  

पुलिस महानिदेशक श्री पी.के अग्रवाल के आदेशानुसार, पुलिस कमीश्रर डॉ हनीफ कुरैशी के नेतृत्व में जिला पंचकूला में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष अभियान चलाया गया । शहर में 22 अतिरिक्त नाकें लगाकर वाहनों की जांच की गई । पुलिस उपायुक्त पंचकूला श्री मोहित हांडा भी लगातातार सुरक्षा व्यवस्था की अपडेट लेते रहे । उन्होनें सख्त निर्देश दिए की जो भी सदिंग्ध व्यकित या वाहन दिखाई दें उसे रोककर गहनता से पुछताछ व जांच की जाए ।

इस विशेष चेकिंग अभियान के तहत शहर मे 22 अतिरिक्त नाके तथा 9 बार्डर नाकों द्वारा कडी सुरक्षा हेतु  विशेष नाकांबदी व चेंकिग की गई । इस नाकाबंदी के दौरान सभी सदिग्ध वाहनों तथा सदिंग्ध व्यकित को चेक किया गया ।

इस विशेष चेंकिग अभियान के तहत पुलिस कमीश्रर पंचकूला डॉ हनीफ कुरैशी नें खुद नाकों का निरिक्षण करते हुए सख्त निर्देश दिए कि सभी सदिंग्ध वाहनों तथा सदिग्ध व्यक्तियो पर निगरानी रखें और चेंकिग के दौरान किसी भी प्रकार से लापरवाही ना करें अगर कोई असामाजिक गतिविधि पाई जाती है तो उसकी सूचना तुरन्त उच्च अधिकारियो के सज्ञांन में डालें । इसके अलावा पुलिस कमीश्रर नें डॉयल 112 ईआरवी को भी निर्देश देते है कहा कि अलर्ट व सावधान होकर डयूटी करें । किसी भी प्रकार का अलर्ट मिलता है तो तुरन्त पहुँचे ।

इस विशेष अभियान के तहत चेकिंग के दौरान राजपत्रित अधिकारी श्री राजकुमार कौशिक, श्री राजकुमार रंगा, श्री सुरेन्द्र सिंह , श्री अमन कुमार , श्री मुकेश कुमार के द्वारा नाकाबंदी व चेकिंग के दौरान मौजूद रहकर कडी निगरानी हेतु दिशा निर्देश जारी किये गये । इसके साथ ही इस विशेष चेंकिग के दौरान ग्रामीण क्षेत्र रायपुररानी , पिन्जोर व कालका में नाकाबंदी करके चेकिंग की गई ।

ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए हड़बड़ी न करें पत्रकार, जांच परख कर करें खबर

  • गुरु नानक कन्या महाविद्यालय में आदि पत्रकार देवर्षि नारद जयंती पर समारोह का हुआ आयोजन

कोशिक खान, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर :

विश्व संवाद केन्द्र यमुनानगर जगाधरी व गुरु नानक कन्या महाविद्यालय के द्वारा ब्रह्मांड के आदि पत्रकार देवर्षि नारद जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डेली पोस्ट के पूर्व संपादक और अंग्रेजी मीडिया के प्रमुख स्तंभकार अजय भारद्वाज ने उपस्थित मीडिया कर्मियों, मीडिया शिक्षकों,मीडिया विद्यार्थियों और प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित करते हुए तथा समाज में पत्रकारों की भूमिका विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया की पत्रकार अनेक जोखिम भरी स्थितियों मे भी  ईमानदारी, मेहनत और श्रद्धा के साथ अपनी भूमिका निभाते हुए मानवता की सेवा मे सदैव तत्पर रहते हैं ।

जिस तरह से से ब्रम्हाण्ड के आदि संचारक देवर्षि नारद बेबाक होकर मनुष्यता के कल्याण के लिए देवताओं को सभी लोकों के प्राणियों के कल्याण के लिए प्रेरित करते थे,उसी प्रकार पत्रकार भी अपनी परवाह न करते हुए बेबाकी से अपने मीडिया धर्म औऱ कर्म को न छोड़ते हुए पूरी प्रतिबद्धता के साथ समाज में अपना काम कर रहे हैं।यह   बहुत ही  अनुकरणीय एवं प्रेरक है। साथ ही उन्होंने मीडिया कर्मियों व जनसंचार एवं पत्रकारिता के विद्यार्थियों को  प्रेरित करते हुए कहा कि  ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए हड़बड़ी ना करें बल्कि जो भी खबर आए पहले उसे जाँच परख लें, उसके बाद ही खबर को प्रसारित या प्रकाशित करने के लिए प्रतिबद्ध हों।

न्यूज़ रूम में आई हुई तमाम खबरों की समीक्षा करें, फिर उसे आगे प्रेषित करें ।उन्होंने यह भी कहा कि  सच कितना भी कड़वा क्यों ना हो, मगर झूठ और असत्य का साथ कभी ना दें। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं गुरु नानक कन्या शिक्षण शिक्षण संस्थानों की निदेशिका डाॅ वरिन्दर कौर गांधी ने कहा कि आज मीडिया ज्ञान और सूचनाओं का प्रमुख माध्यम है ।राष्ट्र निर्माण मे मीडिया की भूमिका अतुलनीय है।

मुख्य अतिथि और जाने माने समाज सेवक मंदीप सिंह कंधेला ने कहा कि मीडिया कर्म करते हुए अनेक चुनौतियों का सामना पत्रकार साथियों को करना पडता है ।मगर इन सब से विचलित हुए बिना पत्रकार अपना कर्तव्य पूरा करते हैं ।

मौके पर विभिन्न शिक्षण संस्थानों के मीडिया विद्यार्थियों और पत्रकारों ने भी मीडिया के विभिन्न आयामों पर अपने विचार रखे । विश्व संवाद केन्द्र के प्रमुख हरीश कुमार और सचिन जोशी ने आए हुए सभी मेहमानों का स्वागत किया ।सरदार हरभजन सिंह ने अतिथि परिचय करवाया ।कुश शर्मा ने ध्येय गीत प्रस्तुत किया । सरस्वती हेरिटेज बोर्ड के सदस्य रजनी प्रकाश वशिष्ठ ने सबका आभार व्यक्त किया । आयोजन में प्रस्तोता की भूमिका विश्व संवाद केंद्र हरियाणा के प्रतिनिधि डॉ उदयभान सिंह ने निभाई।इस दौरान काॅलेज प्राचार्य डाॅ आभा खेत्रपाल, मीडिया विभागाध्यक्ष प्रो नेहा अरोड़ा,डी गर्ल्स कॉलेज के मीडिया विभागाध्यक्ष प्रो परमेश त्यागी, इंडियन मीडिया सेंटर हरियाणा के वरिष्ठ अध्यक्ष वीरेन्द्र त्यागी, पंचनद शोध संस्थान यमुनानगर के जिला अध्यक्ष सुरेश पाल,प्रमुख संस्कृति व धर्म प्रेमी पंडित उदयवीर शास्त्री,अद्वितीय जैन, राज विद्यालय ताजकपुर के प्राचार्य करण सिंह कंबोज सहित अच्छी खासी संख्या मे मीडिया कर्मी  व अनेक संगठनों के पदाधिकारी और सदस्य मौजूद थे ।

बुद्ध जयंती पर डॉ. अंबेडकर का सामाजिक दर्शन  पुस्तक का विमोचन किया डॉ. आभा सुदर्शन ने

चण्डीगढ़ :

बुद्ध जयंती के अवसर पर डॉ. अंबेडकर का सामाजिक दर्शन  नामक पुस्तक का डॉ. आभा सुदर्शन, प्राचार्य, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , चंडीगढ़ द्वारा विमोचन किया गया। उन्होंने कहा कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर को भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता है और उन्होंने अपने जीवन के बाद के वर्षों में एक प्रसिद्ध पुस्तक “द बुद्ध एंड हिज़ धम्म” लिखी।

डॉ. देशराज, सहायक प्रोफेसर, दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा लिखित  इस पुस्तक में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, उनके सामाजिक और शैक्षिक दर्शन, जातिवाद और मानवाधिकारों पर उनके विचार और डॉ. बी.आर. अम्बेडकर और महात्मा गांधी के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इस पुस्तक में 2006 से 2021 तक अम्बेडकरवाद, मानवाधिकार और महिला अध्ययन के क्षेत्र में डॉ देशराज के सक्रिय योगदान को भी शामिल किया गया है। डॉ. राजेश कुमार (डीन), डॉ. बलजीत सिंह (उप-प्राचार्य) और अन्य संकाय सदस्य डॉ. पूजा गर्ग (रजिस्ट्रार, परीक्षा), सुश्री ज्योति (राजनीति विज्ञान विभाग), डॉ. सिद्धार्थ कुमार (पंजाबी विभाग) भी वहां मौजूद रहें।

गुरु माँ प्रभा जी फिर से हरियाणा योग सभा की प्रधान चुनी गईं

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट,पंचकूला :

हरियाणा योग सभा की आम सभा सेक्टर 12 स्थित योग दिव्य मंदिर में हुई जिसमें वर्ष 2022-23 के लिए सभा की नयी कार्यकारिणी के चुनाव भी करवाए गए। चुनाव के लिए नियुक्त रिटर्निंग अफसर एस के सेतिआ, जो वरिष्ठ इलेक्शंस ट्रेनर और रिटायर्ड एचसीएस अफसर हैं, ने चुनाव का संचालन किया। गुरु माँ प्रभा जी एक बार फिर निर्विरोध सभा की अध्यक्ष चुनी गईं।

उन्होंने अपनी कार्यकारिणी का गठन किया जिसके तहत सुरेश चन्दर व जगमोहन शर्मा को उपप्रधान, संजीव कोछड़ को महासचिव, विनोद बंसल को कोषाध्यक्ष एवं सीडी ग्रोवर व डॉ नेहा शर्मा को सचिव नियुक्त किया गया। इनके अलावा सी एल सागर, तिलक राज, निशा छुरा, दीपक गर्ग, रचित रावत व तरसेम लाल को कार्यकारी सदस्य बनाया गया है। 

निर्देशक  शिवजी  आर  नारायण  की  भोजपुरी  फ़िल्म शोला  शबनम 2 का आखिरी  गीत  रिकॉर्ड  हुआ

शिवपुत्रा फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली भोजपुरी फिल्म,’शोला शबनम -2′ का अंतिम गीत ‘फुलवा सी महके जिनगिया तोहार….’ गायक डी सी मदाना (तेरीअखियां का काजल फेम)और खुशबू जैन की मधुर आवाज में मुंबई के अंधेरी(वेस्ट)में स्थित दिलीप सेन के स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया। फ़िल्म के संगीतकार दिलीप सेन है। फ़िल्म के निर्देशन शिवजी आर नारायण है।इस अवसर पर गीतकार एसआर भारती,यश कुमार,रिकॉर्डिस्ट राकेश शर्मा,गायक डी सी मदाना,गायिका खुशबू जैन,संगीतकार दिलीप सेन अभिनेत्री मुस्कान,निर्देशक शिवजी आर नारायण, असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ लेबर, मुंबई,महाराष्ट्र श्री संतोष कोकाट,एडिटर रोहित गुप्ता इत्यादि उपस्थित थे।

                    इस अवसर पर निर्देशक शिवजी आर नारायण ने कहा,”यह एक सामाजिक फ़िल्म है, जो कि एक गायक की जिंदगी पर है।फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद में 6 अगस्त से शुरू होगी।जिसमें अभिनेता मनोज आर पांडे,अभिनेत्री सृष्टि शर्मा, खलनायक गिरीश शर्मा,जसवंत कुमार,अंजना सिंह आदि अनेक स्थानीय कलाकार हिस्सा लेंगे। फिल्म की शूटिंग एक महीने में पूर्ण कर ली जाएगी।”

Orientation regarding gender-based discriminations organised

 Koral ‘Purnoor’, Demokretic Front, Chandigarh May 16, 2022 :

Centre for Social Work, Panjab University, Chandigarh has organised three days workshop (13th, 14th  May, & 16th May 2022) regarding an orientation to gender based discrimination by Professor Jyoti Seth, Head (Retd.) Department of Sociology, Post Graduate Govt College for Girls sector 42, Chandigarh. The session started with the brief discussion on Gender and sex, she explained that gender which is not male and female but man, woman, and transgender. Gender discrimination is faced by mostly women and transgender’s. This discrimination is because of patriarchy that is prevalent in India from roots and to remove this discrimination not only women have to speak about their right but also men have to change their views. Individual and group activities were performed which made students made to think about various topics (dowry, domestic violence, sayings about men and women, against birth of girl child etc.) which are main factors leading to discrimination. The session was interactive and group activity further refined the learning process of the students. The masters in social work students and research scholars participated in the workshop.

Dr. Gaurav Gaur, Chairperson alongwith Prof. Jyoti Seth answered the queries related to the theme asked by the students. The students asked questions from live-in-relationship, marriage, divorce and cultural practices prevalent in our society. The token of gratitude was presented to the resource person by the faculty and the students. It was very interactive and enlightening session for the students.

वल्र्ड हाइपरटेंशन डे: दिल से संबंधित समस्याओं को रोकने के लिए नियमित अंतराल पर ब्लड पे्रशर की करें जांच: डॉ अंकुर आहूजा

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 16 मई, 2022: 

हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर हमारे समाज में मौजूद एक बहुत ही सामान्य बीमारी है। वास्तव में, यह अनुमान लगाया गया है कि 15-25 फीसदी भारतीय वयस्कों को हाई ब्लड प्रेशर होता है, लेकिन उनमें से अधिकांश इससे बेखबर रहते हैं। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है- हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फार्कशन), स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, अट्रावल फिब्रिलेशन, पेरीफिरल आर्टियल डिजीज तथा एन्यूरिज्म के लिए एक बड़ा जोखिम है। यह बात वल्र्ड हाइपरटेंशन डे के अवसर पर फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के एमडी, डीएम, वरिष्ठ सलाहकार, कार्डियोलॉजी डॉ अंकुर आहूजा ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कही तथा उन्होंने इस अवसर पर हाई ब्लड प्रेशर से खुद को बचाने के कारणों और तरीकों के बारे में चर्चा की।

उन्होंने बताया कि भारतीयों में हाई ब्लड प्रेशर का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। खासकर महिलाओं में उम्र बढऩे के साथ हाई ब्लड प्रेशर  होने की संभावना अधिक होती है। यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति को अपने बीपी के स्तर पर नजर रखनी चाहिए और मूल्यांकन के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

अंकुर आहूजा ने बताया कि 180/110 से ऊपर के दबाव को गंभीर उच्च रक्तचाप कहा जाता है। यह एक आम धारणा है कि सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर एक ही हैं। हालांकि, दोनों स्वास्थ्य स्थितियां अलग हैं। वास्तव में, हाई ब्लड प्रेशर से पीडि़त लोग आमतौर पर बाद में जटिलताएं आने तक लक्षण प्रदर्शित नहीं करते हैं। इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने रक्तचाप पर नजर रखनी चाहिए।
कारणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि अधिक खाने और वजन बढऩे, निष्क्रियता या शराब पीने जैसी जीवनशैली की आदतों से रक्तचाप में और वृद्धि हो सकती है। गुर्दे की बीमारी, मोटापा, मधुमेह और स्लीप एपनिया जैसी पुरानी स्वास्थ्य स्थितियां आमतौर पर उच्च रक्तचाप से जुड़ी होती हैं। उन्होंने इसके निवारण के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हमें नमक का सेवन कम करना चाहिए, विशेष रूप से वह मात्रा जो हम अपने सलाद और पेय में मिलाते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जिनमें सोडियम की मात्रा अधिक हो जैसे अचार और चटनी। शराब के अधिक सेवन से रहे चलना, दौडऩा, बैडमिंटन, तैराकी जैसे एरोबिक व्यायाम करना चाहिए। प्रोसेस्ड और रेड मीट का उपयोग नही करना चाहिए। अपने वजन पर नजर रखें।

डॉ आहूजा ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव लाने से रक्तचाप को काफी हद तक कम करने और रक्तचाप की दवा पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है। यदि दवाएं नियमित रूप से ली जाती हैं, तो वे बीपी की धीमी प्रगति और इससे संबंधित जटिलताओं को रोकने में एक लंबा सफर तय करती हैं। 

सक्रिय राजनीति में फिर हो सकती है सुनील जाखड़ की वापसी, BJP और AAP दो बड़े विकल्प!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब में सड़क मार्ग से जाते समय सुरक्षा में गंभीर चूक होने की वजह से एक फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक फंसे रहे। दरअसल, कुछ प्रदर्शनकारियों ने रास्ते को अवरुद्ध कर दिया था। इसके चलते, उनके काफिले ने लौटने का फैसला किया। इस घटना पर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और पंजाब सरकार से इस चूक के लिए एक रिपोर्ट मांगी है। इस पर बीजेपी और कांग्रेस में वार पलट वार हुआ। पंजाब कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने ट्वीट किया कि आज जो हुआ वह स्वीकार्य नहीं है। यह पंजाबियत के खिलाफ है। फिरोजपुर में बीजेपी की राजनीतिक रैली को संबोधित करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री के लिए एक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। पंजाब कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने ट्वीट किया कि आज जो हुआ वह स्वीकार्य नहीं है। यह पंजाबियत के खिलाफ है। फिरोजपुर में बीजेपी की राजनीतिक रैली को संबोधित करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री के लिए एक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाना चाहिए था।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली : 

कांग्रेस को अलविदा कहने वाले प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ भले ही सक्रिय राजनीति से फरवरी माह में तौबा कर ली थी, लेकिन मौजूदा हालात उन्हें एक बार फिर से पंजाब की सक्रिय राजनीति में आने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। उन्होंने कांग्रस छोड़ने से पहले अपने संबोधन में कहा था, ‘सोनिया जी पंजाब को बख्श दो’। उनका पंजाब प्रेम उन्हें फिर से नई पारी की ओर ले जा सकता है। सुनील जाखड़ के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह अपने भविष्य के राजनीतिक सफर की घोषणा करने से पहले विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। समझा जाता है कि वह आने वाले महीनों में पंजाब पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उत्सुक हैं। सूत्रों एवं राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो यदि जाखड़ भाजपा में पदभार संभालते हैं तो निगम के चुनावों ही से पंजाब में भाजपा का नाम ऊंचा हो जाएगा।

वैसे तो जाखड़ के पास आम आदमी पार्टी से जुड़ने का विकल्प भी है। लेकिन सूत्रों की माने तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता जाखड़ के संपर्क में हैं। भले ही 50 साल तक वो इस पार्टी के विरोधी रहे हों, लेकिन पार्टी के दिग्गज और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके संबंध उनके पिता के समय से ही अच्छे रहे हैं।

जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस समय जाखड़ के पिता बलराम जाखड़ ने कुछ समय के लिए गुजरात के राज्यपाल की जिम्मेदारी उठाई थी। करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने पर जब मोदी पंजाब आए थे तब भी उन्होंने जाखड़ से मुलाकात की थी और उन्हें का था कि दिल्ली आओ तो मुझसे भी मिला करो। हालांकि तब जाखड़ ने स्पष्ट कर दिया था कि उनके निजी और राजनीतिक संबंध अलग-अलग हैं। 

बता दें कि सुनील जाखड़ ने शनिवार को फेसबुक लाइव कर कांग्रेस पार्टी को गुड बाय कह दिया। पंजबा विधानसभा चुनावों से चल रहे मनमुटाव के बाद जाखड़ ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। पार्टी छोड़ते हुए वो कांग्रेस को नसीहत भी दे गए। उन्होंने आज फेसबुक लाइव कर कांग्रेस पार्टी को गुड बाय कहा और नसीहत दी कि इस प्रकार से चिंतन शिविर लगाने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नोटिस तो उन लोगों को भेजना चाहिए था जिन्होंने कांग्रेस का नुकासान किया है। चिंतन शिविर तो महज ऑपचारिकता है। कांग्रेस को चिंता शिविर की जरूरत है।

बुद्ध पूर्णिमा आयोजित

चंडीगढ़।संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :  

बुद्ध पूर्णिमा पर रविवार को अंबेडकर भवन सेक्टर 37  में बुद्धिस्ट एसोसिएशन चंडीगढ़ की ओर से भव्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।कोविड के कारण दो वर्ष बाद हुए इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। एसोसिएशन की ओर से  डॉ श्रुति ने वंदन किया। इसके पश्चात प्रशांत द्वारा क्षमा याचना के तहत बुद्ध धर्म की 5 शिक्षाओं के बारे में बताया गया

इसके बाद  पुष्प अर्पित किए गए वह मोमबत्तियां जलाई गई।इसके बाद भगवान बुद्ध बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष कैंडल और दीप प्रज्जवलित किए गए। इस मौके पर बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, अमन चैन, सुख समृद्धि के लिए सामूहिक बुद्ध वंदना होगी और मंगलमैत्री का आयोजन किया गया।  

मौके पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।