‘शेर ए कश्मीर पुलिस पदक’ अब ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक’
जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा प्रदान किए जाने वाले वीरता और उत्कृष्ट सेवा पदक का नाम शेरे कश्मीर वीरता पदक और शेरे कश्मीरी पुलिस सराहनीय सेवा पदक था। जम्मू कश्मीर गृह विभाग ने आज एक आदेश जारी किया। गृह सचिव राज कुमार गोयल द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, जम्मू व कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा चार में संशोधन करते हुए पदक के एक तरफ उकेरी गई शेरे कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की तस्वीर के स्थान पर अब भारत सरकार का प्रतीक चिह्न होगा और पदक के दूसरी तरफ जहां राज्य का प्रतीक चिह्न है, वहां अब जम्मू व कश्मीर पुलिस वीरता पदक और जम्मू कश्मीर उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक होगा।
- जम्मू कश्मीर पुलिस पदकों पर से हटेगा शेख अब्दुल्ला का चित्र
- पदकों पर अशोक स्तंभ के चिह्न लगाने का गृह विभाग से आदेश जारी
- अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री थे
जम्मू(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से प्रदेश के सिस्टम में पसरी गंदगी की सफाई का काम धीरे-धीरे जारी है. प्रदेश सरकार ने अब पुलिसकर्मियों को मिलने वाले वीरता पुरस्कारों पर शेख अब्दुल्ला की तस्वीर हटाने की घोषणा कर दी है। इसके बदले अब उन पर 4 शेरों वाला अशोक स्तंभ का चिह्न लगाया जाएगा। सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।
जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दशकों से पुलिसकर्मियों को वीरता के लिए जो पदक दिए जाते थे उन पदकों को ‘शेर ए कश्मीर पुलिस पदक’ कहा जाता था। इसमें एक ओर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकप्रिय नेता शेख अब्दुल्ला का चित्र होता था। अब इसका नाम ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक’ होगा। साथ ही इस पर शेख अब्दुल्ला के चित्र की जगह राष्ट्रीय प्रतीक ‘अशोक स्तंभ’ के चित्र को रखा जाएगा।
शेख अब्दुल्ला तब कश्मीर के बड़े नेता थे। जब देश का बंटवारा हो रहा था तब शेख अब्दुल्ला जिन्ना के लाख चाहने के बाद भी उनके साथ नहीं गए। ना ही वह कश्मीर के पाकिस्तान में विलय के पक्ष में थे। वह उन चुनिंदा नेताओं में थे, जो कश्मीर को भारत से मिलाने पर यकीन रखते थे. हालांकि बाद में कश्मीर साजिश के आरोप में उन्हें 11 साल जेल की सलाखों के पीछे बिताने पड़े। तब उन्हें कश्मीर से तीन हजार किलोमीटर दूर तमिलनाडु में हाउस अरेस्ट रखा गया था।
जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग के प्रधान सचिव आर के गोयल ने यह आदेश जारी किया। शेर-ए-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला से संबंधित जो कि नेकां प्रमुख और सांसद फारूक अब्दुल्ला के पिता और उमर अब्दुल्ला के दादा हैं।
प्रमुख गृह सचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक योजना के चौथे पैरा में परिवर्तन कर पदक के एक ओर उभरे हुए शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला को ‘भारत सरकार का राष्ट्रीय प्रतीक’ में तब्दील कर दिया जाएगा। तथा जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रतीक के साथ अंकित दूसरी तरफ ‘जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक वीरता के लिए’ और ‘जम्मू और कश्मीर पुलिस पदक सराहनीय सेवा के लिए’ वीरता / सराहनीय पदक के रूप में अंकित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2020 में जम्मू-कश्मीर ने ‘शेर-ए-कश्मीर’ शब्द को हटाकर वीरता के लिए पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक का नाम ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता पदक’ रख दिया था।
जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा प्रदान किए जाने वाले वीरता और उत्कृष्ट सेवा पदक का नाम शेरे कश्मीर वीरता पदक और शेरे कश्मीरी पुलिस सराहनीय सेवा पदक था। जम्मू कश्मीर गृह विभाग ने आज एक आदेश जारी किया। गृह सचिव राज कुमार गोयल द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, जम्मू व कश्मीर पुलिस पदक योजना के पैरा चार में संशोधन करते हुए पदक के एक तरफ उकेरी गई शेरे कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की तस्वीर के स्थान पर अब भारत सरकार का प्रतीक चिह्न होगा और पदक के दूसरी तरफ जहां राज्य का प्रतीक चिह्न है, वहां अब जम्मू व कश्मीर पुलिस वीरता पदक और जम्मू कश्मीर उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक होगा।
कई सड़कों-पुलों का नामकरण शेख अब्दुल्ला के नाम पर ही हुआ है शेख मोहम्मद अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के बाद वर्ष 1948 से 1953 तक जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री भी रहे हैं। वह वर्ष 1975 से 1982 तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे। जम्मूू कश्मीर में विभिन्न सरकारी योजनाओं, अस्पतालों, विश्वविद्यालयों, कालेजों, सड़क व पुलों का नामकरण शेख अब्दुल्ला के नाम पर ही हुआ है। उनके जीवनकाल में भी उनके नाम पर विभिन्न संस्थानों का नामकरण हुआ और उनके निधन के बाद भी।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के निर्देश पर मुंसिफ जज नवीन जम्वाल को तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इस संबंध में जम्मू-कश्मीर न्याय, विधि व संसदीय मामलों के विभाग की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। उन पर यह कार्रवाई क्यों की गई, अभी इस बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। विभाग के सचिव अचल सेठी की ओर से जारी आदेशानुसार जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से 22 अप्रैल, 2022 को लिखे पत्र के आधार पर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) मुंसिफ नवीन जम्वाल को पद से हटाया जाता है।