नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला के जिला एवं सत्र न्यायालय में आत्म समर्पण किया

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को क्यूरेटिव पिटीशन तत्काल सुनने से इनकार कर दिया। वीरवार को जब सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया था तब नवजोत सिंह सिद्धू, पटियाला में एक हाथी पर बैठ कर केंद्र सरकार को महंगाई पर घेरने का प्रयास कर रहे थे। जब उन्हे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गयी सज़ा के बारे में पता चला तो वह न्यायिक विकल्प ढूँढने चल पड़े। सिद्धू के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की पिटीशन पर जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि हम चीफ जस्टिस के पास मामले को भेज रहे हैं, वे ही इस पर सुनवाई का फैसला करेंगे। सिद्धू ने खराब स्वास्थ्य के आधार पर सरेंडर के लिए कोर्ट से एक हफ्ते की मोहलत मांगी थी। सिद्धू के वकीलों को विश्वास था कि दोपहर बाद फिर सर्वोच्च न्यायालय के आगे अर्जेंट सुनवाई की मांग करेंगे। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई नहीं हुई। सिद्धू अगर आत्म समर्पण नहीं करते तो फिर पंजाब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय पहुंच गया है। यहां से आदेश पटियाला के जिला एवं सत्र न्यायालय को भेजा जाएगा। इसके बाद अदालत संबंधित पुलिस अधिकारी को सिद्धू की गिरफ्तारी का आदेश जारी करेगी।

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को पंंजाब की पटियाला के जिला एवं सत्र न्यायालय में सरेंडर कर दिया है।  सिद्धू  को सर्वोच्च न्यायालय ने  19 मई को रोड रेज मामले में 1 साल की सजा सुनाई थी।  यह मामला 34 साल पुराना है। सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर दल्‍ला ने बताया कि नवजोत सिंह ने मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट के सामने सरेंडर कर दिया है। उनकी मेडिकल जांच और अन्‍य कानूनी प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं।  नवजोत सिंह सिद्धू का 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में गाड़ी पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हुआ था। सिद्धू ने उन्हें मुक्का मारा था। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्धू को एक साल कारावास की सजा सुनाई है।

हाल के वर्षों में यह पहला मामला है जब सर्वोच्च न्यायालय ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर बरी किए गए शख्स को दंड दिया है। पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, हमें लगता है कि रिकॉर्ड में एक त्रुटि स्पष्ट है। इसलिए, हमने सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार आवेदन को स्वीकार किया है। लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कारावास की सजा देना उचित समझते हैं।

पीठ ने कहा कि मृतक 65 वर्ष का था जबकि सिद्धू हट्ठे कट्ठे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर थे और वे अपने मुक्कों के प्रहार का असर जानते थे। वे एक 65 वर्षीय व्यक्ति को पीट रहे थे, उन्हें निर्दोष नहीं मान सकते।

सजा के बारे में पूछे जाने पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, कोई टिप्पणी नहीं, मैंैं फैसले का सम्मान करूंगा। उधर, पीड़ित परिवार ने खुशी जताई। मृतक गुरनाम सिंह के परिवार ने कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट हैं। उनकी बहू परवीन कौर ने कहा कि 34 साल की लड़ाई में कभी उनका मनोबल नहीं टूटा। उन्होंने कभी सिद्धू के क्रिकेटर और नेता के रसूख पर ध्यान नहीं दिया। उनका लक्ष्य सिर्फ सिद्धू को सजा दिलाना था। जिसमें वह कामयाब रहे।

पटियाला जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नरिंदर पाल लाली ने पार्टी समर्थकों को संदेश में कहा कि सिद्धू सुबह 10 बजे अदालत पहुंचेंगे। उन्होंने पार्टी समर्थकों से सुबह करीब साढ़े नौ बजे अदालत परिसर पहुंचने का भी आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की घोषणा के बाद सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू रात करीब 9:45 बजे अमृतसर से पटियाला पहुंचीं।

वहीं पंजाब में कांग्रेस के नेताओं ने सिद्धू का साथ छोड़ दिया था। हालांकि अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सिद्धू को फोन किया है। उन्होंने सिद्धू को भरोसा दिया कि कांग्रेस उनके साथ है। उन्होंने सिद्धू को मजबूत रहने के लिए हौसला बढ़ाया। सिद्धू को कांग्रेस में प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है।