Tuesday, December 24

सर्वे खत्म होने के बाद हिंदू पक्ष ने बड़ा दावा किया है. हिंदू पक्ष का कहना है कि ‘ज्ञानवापी मस्जिद के कुएं में में शिवलिंग मिला है और इसको लेकर वे बहुत खुश हैं, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को नकारा है. पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा ने 6 और 7 मई की तारीख की रिपोर्ट को कोर्ट में पेश कर दिया है। विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह 12 मई के बाद की कमिशन की कार्यवाही की रिपोर्ट स्वंय दाखिल करेंगे। सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह विशेष अधिवक्ता विशाल सिंह के निर्देशन में काम करेंगे। कोर्ट ने आगे कहा कि विशाल सिंह ने कहा है कि कमिशन रिपोर्ट तैयार करने में कम से कम 2 दिन का समय लगेगा। इस प्रार्थनापत्र को स्वीकार किया जाता है और उन्हें 2 दिन का समय दिया जाता है। 

वाराणसी(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

ज्ञानवापी विवाद मे न्यायालय द्वारा नियुक्त कमिश्नर अजय मिश्रा 6 म ई और 7 म ई को किये सर्वे की प्रारम्भिक सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे प्रथम दृष्टया हिन्दु प्रतीक चिन्ह मिलने की बात कही गयी है।

कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट मे बताया कि सर्वे की कार्यवाही 6 म ई शुक्रवार करीब 3:30 बजे शुरु की गयी जो सूर्यास्त तक 5:45 तक चली दूसरे दिन 7 म ई को पुन:3:30 पर शुरु हुई जिसमे अंजुमन इंतजामिया कमेटी के पक्षकार उपस्थित नही हुये तथा प्रशासन का भी असहयोग रहा तथा प्रतिवादी गण की तरफ से करीब 100 लोग मुस्लिम समाज के एकत्र हो गये जिसके कारण 4:50 के बाद सर्वे का काम नही हो सका।

कमिश्नर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट मे बताया कि विवादित स्थल के मूल स्थान बैरिकेटिंग के बाहर उतर से पश्चिम की दीवार के कोने में मन्दिरो का मलबा जिसपर देवी देवताओ की कलाकृति तथा अन्य शिलापट्ट पर कमल की कलाकृति मौजूद है तथा मध्य शिलापट्ट शेषनाग, नागफन जैसी थी,की विडियोग्राफी कराई गयी। अन्य शिलापट्टो पर सिंदूर के लेप की हुई कलाकृति मौजूद थी। उन्होने यह भी अपनी रिपोर्ट मे बताया कि कुछ शिलापट्ट भूमि पर लम्बे समय से पडे प्रतीत होते है तथा प्रथम दृष्टया किसी बडे भवन के खंडित अंश आ रहे है सर्वे की पूरी फोटोग्राफी और विडियो ग्राफी कराई गयी है।
कमिश्नर अजय मिश्रा ने आगे कहा कि जब वादिनीगण और और उनके अधिवक्तागण से प्रशन किया कि विवादित स्थल पश्चिमी दीवार की बैरिकेटिंग के बाहर सिंदूर लगी तीन चार कलाकृति व चौखट प्रकार का शिलापट्ट ही दावे मे वर्णित श्रंगार गौरी है या नही? तो उन्होने बताया कि ये श्रंगार गौरी मन्दिर की चौखट के ही अवशेष हैं इन प्रतीको को ही फिलहाल श्रंगार मानकर ही पूजते है।