एक तरफ अदालत में ज्ञानवापी को लेकर बहस जारी है कि वो मस्जिद है या फिर मंदिर है, दावे अपने-अपने हैं और इन दावों को झुठलाने और सही साबित करने के लिये वार और पलटवार भी किया जा रहा है। जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई जारी है, तो वहीं सियासत भी तेज हो चुकी है। हालांकि अखिलेश यादव से उनकी पार्टी के लोग ही सहमत नहीं दिख रहे। अखिलेश ने आगे कहा कि “मुख्यमंत्री योगी जी गरीबों की दुकान हटाना चाहते है, होर्डिंग हटाना चाहते है। पहले गरीब को राशन दिया। अब उनकी महंगे दाम में वसूली करना चाहते है। प्रदेश में बिजली कटौती जारी है। इसके बीच लोगों के घरों में बिजली का बिल पहुंचने लगा है। बिजली का बिल न देने पर उन्हें धमकाया जा रहा है।” समाजवादी पार्टी की नेता रूबीना खानम ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाना गलत है।
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, अयोध्याजी/ नयी दिल्ली :
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष अखिलेश यादव जो यादवों के प्रतिनिधि हिन्दू धर्म के बारे में जो सोचते हैं वही उनके बयानों में सामने आता है। वाराणसी के ज्ञानवापी सर्वे पर पूछे गए सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि हिंदू धर्म में में कहीं पर भी पत्थर रख दो, एक लाल झंडा रख दो, पीपल के पेड़ के नीचे तो मंदिर बन गया। अखिलेश यादव यहीं नहीं रुके उन्होंने इशारों ही इशारों में बाबरी मस्जिद को लेकर भी बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा कि एक समय था जब रात के समय मूर्तियां रख दी गई थी। अखिलेश यादव के इस बयान के बाद से सियासी राज छिड़ा हुआ है। भाजपा ने इसे समाजवादी पार्टी की तुष्टिकरण की राजनीति बताया।
सिद्धार्थनगर से लौटते समय अखिलेश अयोध्या में रुके थे, यहां पर उन्होंने एक होटल में प्रेस कांफ्रेंस की। कहा कि देश में महंगाई बढ़ी है, वह भाजपा ने बढ़ाई है। भाजपा ज्ञानवापी का मुद्दा जानबूझकर उठा रही है। अभी तक एक योजना चला रही थी, कि वन नेशन वन राशन, लेकिन अब योजना चला रही है कि वन नेशन वन उद्योगपति। सभी का ध्यान ज्ञानवापी मस्जिद की ओर करके भाजपा उद्योगों को बेच रही है।
अखिलेश ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के बहाने सरकार गेहूं को विदेश भेजकर कुछ लोगों को फायदा पहुंचा रही है। सभी ने निर्यात पर रोक लगाए जाने का समाचार पढ़ा और सुना होगा, लेकिन गेहूं विदेश भेजने का नहीं सुना होगा। देश के बंदरगाहों पर खड़े हजारों ट्रक गेहूं रोक के बावजूद भी विदेश भेज दिए गए।
अखिलेश यादव ने कहा कि अयोध्या जैसे पवित्र स्थान पर 5 साल की बच्ची से रेप होता है। वहां बुलडोजर नहीं चलाया गया। केवल गरीब पर चलता है। एक व्यक्ति सब्जी लेने गया था, उस पर भी बुलडोजर चल गया। अखिलेश ने बिजली को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गरीबों की दुकान हटाना चाहते है, होर्डिंग हटाना चाहते हैं। पहले गरीब को राशन दिया। अब उनकी महंगे दाम में वसूली करना चाहते है। प्रदेश में बिजली कटौती जारी है।
उधर ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जमीयत उलेमा ए हिन्द (महमूद मदनी ग्रुप) ने भी खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने बयान जारी कर कहा है कि ऐसे मामलों को लेकर सार्वजनिक प्रदर्शन करने से बचना होगा।
उलेमा, वक्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों और टीवी पर बहस करने वालों से अपील है कि वह टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से परहेज करें। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक डिबेट में भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया पर भाषणबाजी किसी भी तरह से देश और मुसलमानों के हित में नहीं है।
प्रेस नोट में लिखा है कि ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए। इस मामले में मस्जिद इंतेजामिया कमेटी एक पक्षकार के रूप में विभिन्न अदालतों में मुकदमा लड़ रही है। उनसे उम्मीद है कि वे इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेंगे। देश के अन्य संगठनों से अपील है कि वे इसमें सीधे हस्तक्षेप न करें। जो भी सहायता करनी है, वह अप्रत्यक्ष रूप से इंतेजामिया कमेटी की की जाए।
बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर मंगलवार को मौलाना राबे हसन नदवी के नेतृत्व में आपातकालीन बैठक की थी। उस बैठक में बोर्ड से जुड़े देशभर के 45 सदस्य शामिल हुए थे, जिसमें तय हुआ कि बाबरी मस्जिद की तरह देश की दूसरी मस्जिदों को हाथ से नहीं जाने देंगे, वो चाहे काशी की ज्ञानवापी मस्जिद हो या फिर मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद।
सपा प्रमुख ने केंद्र पर भी निशाना साधते हुए कहा कि देश में उद्योगपतियों को बड़ी-बड़ी चीजें बेची जा रही हैं। कंपनियाँ बिक रही हैं, बैंक मर्ज हो रहे हैं, एलआईसी का निजीकरण हो रहा है, एयरपोर्ट बिक रहे हैं, राज्य का गेहूँ विदेशों में बेचा जा रहा है… अखिलेश के अनुसार, ज्ञानवापी का मामला इन्हीं सब मामलों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए उठाया गया है।
वह वर्तमान सरकार पर ‘फूट डालो राज करो’ वाली नीति पर चलने का इल्जाम मढ़ते हैं। वह कहते हैं कि अंग्रेजों ने जिस तरह से डिवाइड एंड रूल किया उसी तरीके से भाजपा भी यही नियम अपना रही है। ये सिद्धांत कई साल पुराना जिसे अंग्रेज इस्तेमाल करते थे। जनता के साथ इतना अन्याय और उत्पीड़न कभी नहीं हुआ, जितना इस सरकार में हो रहा है। ये सरकार केवल डरा कर धर्म और जाति के नाम पर डरा रही है।