अलका गर्ग का नारी उत्थान एवं बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में अहम योगदान है
कोशिक खान, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर:
समाज में अनेक ऐसी महिलाएं हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में बुलंदियों को छू रही हैं और दूसरी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनकर उभरी हैं। ऐसी ही विलक्षण प्रतिभा की धनी है जिला यमुनानगर के छछरौली कस्बा की अलका गर्ग। उन्होंने महिलाओं के उत्थान व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को गति देने में अहम भूमिका निभाई है। वह इन दिनों बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की जिला कोर्डिनेटर हैं और महिलाओं को जागरुक करने व आगे बढ़ाने के लिए दिनरात कार्य कर रही हैं। अलका गर्ग के अनुसार सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय एवं सराहनीय कार्य करने पर उन्हें 2017 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया और 2019 में सीएम मनोहर लाल द्वारा इंदिरा गांधी महिला शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 15 नंबवर 1981 में जन्मी अलका गर्ग ने अपनी पढ़ाई पोस्ट ग्रेजुएशन एमए इंगलिश किया है और उनकी शादी वर्ष 2005 में कस्बा छछरौली (यमुनानगर) निवासी कपिल मनीष गर्ग के साथ हुई थी, उनके अंदर शुरु से ही समाजसेवा करने का जज्बा था और समाजसेवा के कार्य में ससुराल पक्ष ने भी उनका पूरा सहयोग किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में बनी भाजपा सरकार एवं हरियाणा भाजपा राज्य सरकार ने सबसे पहले महिलाओं की दशा सुधारने का बीड़ा उठाया था तो उसमें अलका ने अभियान में कड़ी मेहनत व लग्न से अभियान को घर-घर तक पहुंचाने का काम किया। उनका कहना है कि वह अपने कार्यों के साथ-साथ अपने परिवार की जिम्मेवारी निभाने में भी बखूबी करने में सक्षम है और उनका हमेशा यही ध्येय रहता है कि समाज के हित में कुछ कर गुजरें और इसी सोच के चलते वह जिला प्रशासन, कई सामाजिक संस्थाओं एवं धार्मिक संगठनों के साथ जुड़कर भी काम कर रही हैं। उनकी इसी प्रतिज्ञा और महिलाओं एवं बेटियों के प्रति सोच को देखते हुए उन्हें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का जिला यमुनानगर ब्रांड एम्बेस्डर बनाया गया।
भाजपा सरकार द्वारा शुरू किए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के मिशन को अलका गर्ग ने जिस प्रकार अपनी सूझबूझ के साथ आगे बढाया वह एक सराहनीय व साहसिक काम है, 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का पानीपत से शुभारंभ किया, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत भारत सरकार के बाल विकास मन्त्रालय, स्वास्थ्य मन्त्रालय, परिवार कल्याण मन्त्रालय और मानव संसाधन विकास मन्त्रालय की संयुक्त पहल से की गई। इस योजना के दोहरे लक्ष्य के अन्तर्गत न केवल लिंगानुपात की असमानता की दर में सन्तुलन लाना है, बल्कि कन्याओं को शिक्षा दिलाकर देश के विकास में उनकी भागेदारी को सुनिश्चित करना है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इस तथ्य के मर्म को जाना-समझा और सरकारी स्तर पर एक योजना चलाने की रूपरेखा तैयार की। इसके लिए उन्होंने 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के जिला पानीपत से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत की।
अलका गर्ग ने बताया कि हमें पुरुषों से बराबरी या उनको पीछे धकेलने की मानसिकता छोड़कर पुरूषों के साथ मिल कर साथ चलने के सिद्धांत को अपनाना होगा क्योंकि हमें इसके साथ-साथ भारतीय संस्कृति के मूल्यों को भी बनाए रखना है। उन्होंने अपने मिशन में लोगों को अपनी पूरी मेहनत व विश्वास के साथ जागरूक किया और बताया कि बेटा-बेटी दोनों का ही महत्व, कर्तव्य, आवश्यकता व अधिकार समान है। दोनों ही समाज के आवश्यक अंग हैं। विवाह के बाद नये रिश्तों को तन-मन से स्वीकारती है बेटी। बेटी को शिक्षित करना, पूरे परिवार को शिक्षित करना है, बेटी बड़ी होकर पत्नी -माँ बन परिवार को संजोती है। आज बेटिया किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है और देश व प्रदेश के विभिन्न उच्च पदों पर विराजमान है। कन्या भ्रूण हत्या को रोकने व लड़कियों के सम्पूर्ण विकास के लिए सरकार द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढाओ योजना शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात में सुधार करने के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान अत्यन्त प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि समाज के चार महत्वपूर्ण रिश्ते-मां, बहन, बेटी और पत्नी के है। नारी के योगदान का मूल्यांकन साहित्य में करना हो अथवा किसी अन्य क्षेत्र में वह संभवत किसी क्षेत्र में आज पीछे नहीं है आज सभी क्षेत्रों में नारी ने पुरूष से सांझेदारी निभाई है। महिलाओं में बढ़ती चेतना और जागरूकता ने उनकी पारंपरिक छवि को तोड़ा है।
अलका गर्ग ने बताया कि उनके इस तरह से आगे आने से बेटियों का हौसला बढ़ा है और वह स्कूल, उच्च शिक्षा व रोजगार के लिए आगे बढ़कर कार्य कर रही है, अलका गर्ग ने बताया कि उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में 500 से ज्यादा कार्यक्रम विभिन्न सरकारी, प्राइवेट स्कूल कॉलेजों व धार्मिक संस्थाओं में अपने खर्चे से करके बेटियों को बढ़ावा देने का कार्य किया है। अलका गर्ग ने कहा कि जब समाज के सभी लोग इस प्रकार से कार्य करेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब महिला सशक्तिकरण की पहचान अपने आप कायम हो जाएगी।