Wednesday, December 18

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 16 मई, 2022: 

हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर हमारे समाज में मौजूद एक बहुत ही सामान्य बीमारी है। वास्तव में, यह अनुमान लगाया गया है कि 15-25 फीसदी भारतीय वयस्कों को हाई ब्लड प्रेशर होता है, लेकिन उनमें से अधिकांश इससे बेखबर रहते हैं। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है- हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फार्कशन), स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, अट्रावल फिब्रिलेशन, पेरीफिरल आर्टियल डिजीज तथा एन्यूरिज्म के लिए एक बड़ा जोखिम है। यह बात वल्र्ड हाइपरटेंशन डे के अवसर पर फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के एमडी, डीएम, वरिष्ठ सलाहकार, कार्डियोलॉजी डॉ अंकुर आहूजा ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए कही तथा उन्होंने इस अवसर पर हाई ब्लड प्रेशर से खुद को बचाने के कारणों और तरीकों के बारे में चर्चा की।

उन्होंने बताया कि भारतीयों में हाई ब्लड प्रेशर का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। खासकर महिलाओं में उम्र बढऩे के साथ हाई ब्लड प्रेशर  होने की संभावना अधिक होती है। यह महत्वपूर्ण है कि व्यक्ति को अपने बीपी के स्तर पर नजर रखनी चाहिए और मूल्यांकन के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

अंकुर आहूजा ने बताया कि 180/110 से ऊपर के दबाव को गंभीर उच्च रक्तचाप कहा जाता है। यह एक आम धारणा है कि सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर एक ही हैं। हालांकि, दोनों स्वास्थ्य स्थितियां अलग हैं। वास्तव में, हाई ब्लड प्रेशर से पीडि़त लोग आमतौर पर बाद में जटिलताएं आने तक लक्षण प्रदर्शित नहीं करते हैं। इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने रक्तचाप पर नजर रखनी चाहिए।
कारणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि अधिक खाने और वजन बढऩे, निष्क्रियता या शराब पीने जैसी जीवनशैली की आदतों से रक्तचाप में और वृद्धि हो सकती है। गुर्दे की बीमारी, मोटापा, मधुमेह और स्लीप एपनिया जैसी पुरानी स्वास्थ्य स्थितियां आमतौर पर उच्च रक्तचाप से जुड़ी होती हैं। उन्होंने इसके निवारण के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हमें नमक का सेवन कम करना चाहिए, विशेष रूप से वह मात्रा जो हम अपने सलाद और पेय में मिलाते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जिनमें सोडियम की मात्रा अधिक हो जैसे अचार और चटनी। शराब के अधिक सेवन से रहे चलना, दौडऩा, बैडमिंटन, तैराकी जैसे एरोबिक व्यायाम करना चाहिए। प्रोसेस्ड और रेड मीट का उपयोग नही करना चाहिए। अपने वजन पर नजर रखें।

डॉ आहूजा ने बताया कि जीवनशैली में बदलाव लाने से रक्तचाप को काफी हद तक कम करने और रक्तचाप की दवा पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है। यदि दवाएं नियमित रूप से ली जाती हैं, तो वे बीपी की धीमी प्रगति और इससे संबंधित जटिलताओं को रोकने में एक लंबा सफर तय करती हैं।