पंचांग, 16 मई 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः आज श्री बुद्ध पूर्णिमा तथा श्री छिन्नमस्तिका जयंती है।
श्री छिन्नमस्तिका जी की जयंती है। छिन्नमस्ता का अर्थ है छिन्न मस्तक वाली देवी। मार्कंडेय पुराण में बताई गई एक कथा के अनुसार, जब मां चंडी ने राक्षसों को घोर संग्राम में पराजित कर दिया तब उनकी दो योगिनियां जया और विजया युद्ध समाप्त होने के बाद भी रक्त की प्यासी थी। मां ने उनकी भूख को शांत करने के लिए अपना सिर काट लिया और अपने खून से उन दोनों की प्यास बुझाई। तभी तो मां अपने काटे हुए सिर को अपने हाथों में पकड़े दिखाई देती हैं। श्री मत्स्येन्द्र नाथ व गोरखनाथ भी इसी के उपासक रहे हैं। दैत्य हिरण्यकश्यप व वैरोचन भी इस शक्ति के एक निष्ठ साधक थे। अत: इन शक्ति को ‘वज्रवैरोचनीय भी कहते हैं। “वैरोचनीया कर्मफलेषु जुष्टाम्” तथागत बुद्ध भी इसी शक्ति के उपासक थे।
श्री बुद्ध पूर्णिमा : बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध की जयंती वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस साल ये तिथि 16 मई 2022, दिन सोमवार को है। बौद्ध धर्म के साथ ही हिंदू धर्म में भी भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है। भगवान गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः वैशाख़,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः पूर्णिमा प्रातः 9.44 तक है,
वारः सोमवार,
नक्षत्रः विशाखा दोपहर 01.18 तक है,
योगः परिघ रात्रि 02.31 तक।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
करणः बव,
सूर्य राशिः वृष, चंद्र राशिः तुला,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.40, सूर्यास्तः 06.56 बजे।