जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस को उम्मीद थी कि उत्तराखंड और पंजाब के अंदर पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। यहां कांग्रेस की सरकार बनेगी। ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने पूछा कि क्या कोई बताएगा कि उत्तराखंड के CM प्रत्याशी हरीश रावत का एक पैर पंजाब और दूसरा देहरादून में था, क्या सोचकर रावत को प्रभारी बनाकर भेजा गया? क्या रावत की मंशा थी कि हम तो डूबे सनम और तुमको भी ले डूबेंगे। हरीश रावत को किए की सजा मिली।
- नवजोत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रधान बनाने के लिए उन्हें बेवजह एकदम कुर्सी से हटा दिया गया।
- कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद उन्हें CM बनाने की तैयारी थी। हालांकि, अंबिका सोनी के सिख स्टेट सिख CM की बात कहने पर उनका पत्ता कट गया।
- जाखड़ इस बात से नाराज हैं कि कांग्रेस ने पहली बार पंजाब में हिंदू-सिख की बात की। वह पंजाबी हिंदू हैं और पंजाब में कभी इस तरह का भेदभाव नहीं हुआ।
सारिका तिवारी, उदयपुर/चंडीगढ़, डेमोक्रेटिक फ्रंट :
राजस्थान के उदयपुर में जारी चिंतन शिविर के बीच कांग्रेस को झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ ने पार्टी से अलग होने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस पार्टी खटिया पर नजर आ रही है। गुड लक एंड गुड बाय टू कांग्रेस पार्टी। सुनील जाखड़ ने शनिवार को अपने आधिकारिक फेसबुक पेज से लाइव होकर कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कांग्रेस में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर की जा रही राजनीति पर सवाल उठाए और आलकमान पर निशाना साधा।
सुनील जाखड़ ने कहा कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियों ने 50 साल तक कांग्रेस की सेवा करने के बाद “पार्टी लाइन पर नहीं चलने” के लिए “पार्टी के सभी पदों को छीन लिए” जाने पर उनका दिल टूट गया था।
उन्होंंने पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत पर भी हमला किया और पार्टी में विवाद के दौरान उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि खुद को कांग्रेस अनुशासन कमेटी द्वारा मुझे नोटिस देना बहुत ही चोट पहुंचाने वाला है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अनुशासन कमेटी की रिपोर्ट पर मुझे पार्टी के सभी पदोंं से हटाने का पत्र जारी किया। यह सिवाय मजाक सिवा कुछ नहीं है। सोनिया बताएं कि मैं किस पद पर था जो मुझे हटाया गया। हकीकत यह है कि मैं पार्टी में किसी पद पर था ही नहीं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश पर कमेटी बनाते जहां विधानसभा चुनाव में करीब 290 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को दो हजार से भी कम वोट मिले। इतने वोट तो पंचायत चुनाव में मिल जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस में अंबिका सोनी जैसी नेताओं की मंडली काम कर रही है। इनसे सोनिया गांधी को मुक्ति पानी होगी। अंत में उन्होंने कांग्रेस को गुड लक के साथ गुडबाय भी कह दिया।
सुनील जाखड़ ने अपने फेसबुक लाइव को ‘दिल की बात’ का नाम दिया। उन्होंने कहा, मुझे पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया, नोटिस जारी किया गया अनुशासन कमेटी के तारिक अनवर की तरफ से। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि कांग्रेस पार्टी के बारे में क्या कहूं। तारिक अनवर जिन्होंने 1999 में शरद पवार, पीएस संगमा के साथ नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी बना ली थी। 20 वर्ष बाद 2018 में वह वापस कांग्रेस में आए और वह अनुशासन की बात करने लगे।
उन्हाेंने कहा, इससे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि मेरे खिलाफ नोटिस जारी करवाने में जिस शख्स ने अहम भूमिका अदा की यह वही शख्स अंबिक सोनी हैं जो आज पार्टी अध्यक्ष के आंखों के तारा है, जो 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया करती थीं। इमरजेंसी के बाद उन्होंने चंडीगढ़ में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा।
उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस चिंतन बैठक कर रही है, लेकिन क्या हकीकत में चिंतन हो रहा है, यह सबसे बड़ा सवाल है। चिंतन बैठक में इस बात को लेकर चिंतन तो हो नहीं रहा है कि उत्तर प्रदेश में 390 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को मात्र 2000-2000 वोट क्यों पड़े। इतने वोट तो पंचायत के चुनाव में भी मिल जाते हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसे लेकर तो चिंतन हो ही नहीं रहा। उत्तराखंड में कांग्रेस क्यों हार गई, उसके पीछे क्या कारण थे, इसके लिए कौन दोषी है, उसे लेकर क्या चिंतन हो रहा है।
जाखड़ ने कहा कि हरीश रावत ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पंजाब में भी कांग्रेस का बेड़ागर्क करके रख दिया।
पंजाब में कांग्रेस 77 सीटों से 18 सीटों पर सिमट गई, कौन थे इसके दोषी, क्या इसे लेकर चिंतत हो रहा है। मुझे पार्टी ने नोटिस दिया की मेरे द्वारा दिए गए बयानों को लेकर शायद, मैं शायद पर इसलिए भी जोर दे रहा हूं कि इतना सबकुछ हो जाने के बाद भी पार्टी को अपने ऊपर भरोसा नहीं है। वह कहती है शायद आपके बयानों की वजह से कांग्रेस हार गई।
जाखड़ ने कहा, अगर पंजाब में मेरे बयानों की वजह से कांग्रेस चुनाव हार गई तो राजस्थान में अशोक गहलोत जोकि न सिर्फ मुख्यमंत्री है और पार्टी के वरिष्ठ नेता है, उनके 18 विधायक मानेसर में क्यों बैठे रहे। वहां, पर तो कांग्रेस की सरकार है, इसके बावजूद गहलोत साहब को अपनी सरकार को बचाए रखने की चिंता सताती रहती है।
उन्होंने कहा कि आज मुझे दुख इस बात का है कि कांग्रेस जोकि अपने आप को धर्मनिरपेक्ष पार्टी बताती थी, उसी पार्टी ने पंजाब की धरती पर सिखों को हिंदुओं लड़ाना चाहा और जाति आधारित विभाजन करना चाहा। आज भाजपा आजादी की अमृत महोत्सव मना रही है, जबकि कांग्रेस चिंतन की बजाए चिंता में डूबी जा रही है। मैं पहले भी यह बात कहता रहा हूं आज फिर दोहराता हूं। धर्मनिरपेक्षता की अगर पूरे विश्व में कोई जीती जाती मिसाल है तो वह पंजाब है। हमने भले ही कितने भी दुख झेले लेकिन आपसी भाईचारे को कभी टूटने नहीं दिया गया। जबकि कांग्रेस की एक नेता ने कहा कि अगर पंजाब में किसी हिंदू को मुख्यमंत्री बनाया गया तो आग लग जाएगी।
जाखड़ ने कहा, क्या यह कांग्रेस की सोच थी। मैने तो यही कहा कि यह छोटी सोच रखने वाले बड़े ओहदे पर पहुंचे किसी एक नेता की सोच हो सकती है। जबकि अकाल तख्त के जत्थेदार ने खुद यह बात कही कि व्यक्ति अच्छा होना चाहिए, धर्म उसमें मायने नहीं रखता है। दुख इस बात का है दिल्ली में बैठे एक नेता जिसे पंजाब के कल्चर के बारे में शायद ज्यादा कुछ पता ही नहीं है, ने सिख कौम को यह कह कर अपमानित किया कि अगर पंजाब में कोई हिंदू मुख्यमंत्री बनता है तो आग लग जाएगी। यह पंजाब का अपमान है।
उन्होंने कहा कि पंजाब , पंजाबियत, सिखों का अपमान करने वाली अंबिका सोनी से सोनिया गांधी पूछेंगी क्या की वो सिख व पंजाब के इतिहास के बारे क्या जानती है। एक पंजाबी होने के नाते यह सबकुछ हो तो मैं चुप नहीं रह सकता था। इसलिए मैंने बोला, कि यह कांग्रेस की नहीं बल्कि एक व्यक्ति की सोच हो सकती है।
जाखड़ ने कहा(, अभी -अभी विधान सभा चुनाव होकर हटी है। यह चुनाव अपने आप में बहुत कुछ कहते है। सिखों ने अकाली दल को वोट नहीं डाली, हिंदुओं ने भाजपा को वोट नहीं डाली, दलितों ने कांग्रेस को वोट नहीं डाली, वोट पड़ी तो बदलाव को। कांग्रेस को इस बात पर चिंतन करना चाहिए।
जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस ने मुझे कारण बताओ जारी किया। क्योंकि कांग्रेस अतीत को भूल रही है। मैं इस बात से भी बड़ा हैरान हूं कि मुझे प्रदेश प्रधान के पद यह कहकर हटाया गया कि मेरी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ काफी बनती है। दूसरा प्रधान यह कह कर लाया गया कि इसकी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ नहीं बनती है। फिर कैप्टन को हटाया और एससी मुख्यमंत्री बनाया। आखिर कांग्रेस चाहती क्या है। क्या वह नेताओं को आपस में लड़ाना चाहती है या उसने सोचने समझने की शक्ति को आउट सोर्स कर रखा है।
उन्होंने कहा कि पानीपत में जब बाबर ने पहली लड़ाई लड़ी तो उसने सबसे पहले हाथी देखे। बाबर युद्ध हार गया लेकिन उसके मन में सवाल था कि यह जानवर कौन सा है। उसने अपने सेनापति से कह कर हाथी मंगवाया और उस पर बैठ गया। बैठने के बाद बाबर ने कहा, लाओ इसकी लगाम दो। जिस पर सेनापति ने कहा, हाथी में लगाम नहीं लगाई जाती, इसे तो महावत ही चलाता है। बाबर हाथी के ऊपर से उतर गया और बोला मैं उसकी सवारी नहीं कर सकता, जिसकी लगाम किसी और के हाथ में है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हालात भी ऐसे ही बनते जा रहे हैं। जब पार्टी को यह ही नहीं पता कि पूर्व प्रदेश प्रधान या पूर्व सांसद होने के नाते मेरे पास कौन से ओहदे है, तो फिर मुझे उन ओहदों से हटाने का क्या मतलब है। मैं कहता हूं, पार्टी को फैसला लेना चाहिए। अगर पार्टी ने मुझे दोषी मान लिया है तो उसे मुझे तुरंत पार्टी से बाहर करने का फैसला लेना चाहिए। पार्टी यह मानती है कि जिस नेता ने पार्टी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को मजबूत किया है तो उसे सम्मानित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चिंतन तो इस बात के लिए होना चाहिए, लेकिन पार्टी सात की आठ कमेटियां बनाकर देश विदेश के मुद्दों पर चिंतन करने में जुटी है। जैसे केंद्र में उनकी सरकार हो। चिंतन इस बात पर होना चाहिए था कि पांच राज्यों में कांग्रेस की हार के कारण क्या थे, इसके जिम्मेदार कौन थे। पंजाब की ही बात कर लें तो पिछले चार विधान सभा चुनाव में शकील अहमद को छोड़ दिया जाए तो अभी तक जितने भी प्रभारी लगते रहे हैं, वह दिल्ली में बैठे एक ही नेता के इशारे पर लगे है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका की एक कहावत है कारपेट बैगर हिंदी में अगर इसका अनुवाद करे तो दरिद्र बना देना। चार में तीन विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को हार मिली। कारपेट बैगर ने पार्टी को वास्वत में दरिद्र बना दिया। मैं यह मुद्दा अपने नहीं बल्कि इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि उदयपुर में शायद ही कोई नेता इन ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन करने की आवाज उठा पाएगा।