राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की उठ सकती है मांग, एक बार फिर मुखर हो सकती है पार्टी की अंदरूनी राजनीति

भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने ट्वीट पर प्रस्ताव की एक प्रति साझा करते हुए कहा कि ‘भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में, यूथ कांग्रेस ने संयुक्त रूप से एक प्रस्ताव पारित किया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संविधान के अनुसार राहुल गांधी को AICC अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। यह लाखों कार्यकर्ताओं की कामना है कि वह बड़ी विपत्ति के समय में हमारा नेतृत्व करें।’ श्रीनिवास बीसी ने आगे कहा कि ‘आने वाले दिनों में युवा कांग्रेस देश हित में सभी ज्वलंत मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरेगी और इस संघर्ष को लोगों तक ले जाएगी। रविवार को शुरू हुई यूथ कांग्रेस की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नेताओं ने संगठन के सामने चुनौतियों और उन चुनौतियों पर सफलता कैसे प्राप्त की जा सकती है, संगठन के प्रमुख कार्यक्रम, आंतरिक चुनाव, सदस्यता सहित सभी प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की।’

राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की उठ सकती है मांग, एक बार फिर मुखर हो सकती है पार्टी की अंदरूनी राजनीति

नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट : 

उदयपुर में कांग्रेस पार्टी में चिंतन शिविर को लेकर बड़ी तैयारियां हैं। लागातर चुनावी हार का सामना कर रही पार्टी इस शिविर के माध्यम से कई बड़ी रणनीति तैयार करेगी। इसके साथ ही माना जा रहा है कि कांग्रेस के कई नेता पार्टी के ‘नवसंकल्प चिंतन शिविर’ में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग उठा सकते हैं। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

लेकिन सूत्रों की मानें तो अब कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की वापसी का रास्ता कठिन हो गया है। वजह है, पांच राज्यों के चुनाव नतीजों में मिली करारी हार। पार्टी में भीतरी लोकतंत्र की मांग कर रहे 23 वरिष्ठ नेताओं का गुट यानी जी-23 इस मौके की तलाश में था। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष का चुनाव 21 अगस्त से 20 सितम्बर के बीच होना है।

पार्टी अपने AICC सदस्यों की लिस्ट जारी करेगी, इसके एक महीने के भीतर ब्लाॅक कमेटी के चुनाव होंगे। जिला अध्यक्षों के चुनाव जुलाई में पूरे होंगे। कांग्रेस को गैर गांधी परिवार के सुपुर्द करने के हिमायती गुट की आवाज मुखर होगी। साथ ही राहुल गांधी का अध्यक्ष बनने का नैतिक बल कमजोर होगा।

कांग्रेस में पिछले काफी समय से गैर गांधी परिवार के किसी नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग चल रही है। कश्मीर के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेता इस बात को समय-समय पर उठा चुके हैं। पंजाब में सरकार गंवाने के बाद कांग्रेस के लिए फेस सेविंग और भी मुश्किल होने वाली है। कांग्रेस की ओर से पंजाब में मुख्यमंत्री परिवर्तन से लेकर अन्य कई पॉलिटिकल सर्जरी की गई, लेकिन ये काम नहीं आई। पंजाब में पार्टी को करारी हार का मुंह देना पड़ा। उत्तराखंड में भी जीत से दूर रह गई।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी का महिलाओं को 40 फीसदी टिकट का फॉर्मूलर फेल रहा। कांग्रेस एक वरिष्ठ नेता ने कहा, राज्य में महिलाएं कांग्रेस के लिए वोट बैंक नहीं बन पाईं। ऐसा होना भी संभव नहीं था। इससे पार्टी के वे उम्मीदवार पीछे छूट गए जो टक्कर दे सकते थे।

उत्तराखंड में कांग्रेस की हार के 5 बड़े कारण

  • पार्टी ने सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया। आखिरी समय तक हरीश रावत को अपना मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया।
  • आखिरी मौके पर भाजपा से आए हरक सिंह रावत को लेने से कांग्रेस के सीएम उम्मीदवारों के चेहरे को लेकर असमंजस पैदा हुआ।
  • कांग्रेस ने नौकरी, गैस और स्वास्थ्य सुविधाओं पर दांव खेला, जबकि भाजपा राष्ट्रवाद के कार्ड पर कायम रही।
  • हरीश रावत ने खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया। रावत का ये कदम मतदाताओं में विपरीत प्रभाव वाला साबित हुआ।
  • उत्तराखंड में हरीश रावत के अलावा कोई और बड़ा प्रचारक नहीं था। राहुल और प्रियंका गांधी की रैलियां बहुत कम हुईं। कांग्रेस ने 4 से 5 प्रतिशत वोट अधिक हासिल किए, लेकिन सीटों में यह प्रतिशत तब्दील नहीं हो पाया।

गोवा में कांग्रेस ने वापसी का अवसर 3 कारणों से गंवाया

1मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान नहीं किया।
2. 2017 में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद सरकार न बना पाने की कमजोरी को गोवा के वोटरों ने माफ नहीं किया।
3. वोट काट रही टीएमसी के साथ हाथ नहीं मिलाए और अपनी प्रतिष्ठा गिरा चुकी गोवा फारवर्ड पार्टी का दामन थाम लिया।