थल सेना में 1 लाख से ज्यादा, नौसेना में 12 हज़ार और वायुसेना में 5 हज़ार से ज्यादा पद खाली – दीपेन्द्र हुड्डा

  • ·         ये जानकारी सामने आते ही देश भर में उठी सेना में भर्ती खोलने की मांग
  • ·         तीनों सेनाओं में पद ही खाली पड़े हैं तो देश की सुरक्षा मजबूत कैसे होगी – दीपेन्द्र हुड्डा
  • ·         सेना में बंद भर्तियाँ तुरंत शुरू करे सरकार, आयु सीमा में दे 3 साल की छूट – दीपेन्द्र हुड्डा
  • ·         सेना में भर्ती बंद होने से हरियाणा के युवाओं ने जबर्दस्त आक्रोश– दीपेन्द्र हुड्डा
  • ·         पूरे हरियाणा में युवा सड़कों पर उतरने को मजबूर, युवाओं के सब्र का इम्तिहान न ले सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा
  • ·         हरियाणा के गाँव-गाँव में भोर से लेकर देर रात युवा फ़ौज में भर्ती की तैयारी के लिए मेहनत कर रहे, भर्ती न होने से ओवरऐज होने पर देश की सेवा करने का उनका सपना चकनाचूर हो रहा – दीपेन्द्र हुड्डा

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 9 मई:  

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने 3 साल से सेना में भर्ती बंद होने पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि संसद में उन्होंने सरकार से सेना में खाली पड़े पदों की जानकारी मांगी तो उनके सवाल के जवाब में केन्द्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने माना कि सेना में गैर अधिकारी वर्ग के 8139 पद और जेसीओ/ओआर के 108685 पद खाली हैं। नौ सेना में अधिकारी वर्ग के 1557 और नौसैनिक के 11709 पद खाली हैं वहीँ वायु सेना में अधिकारी वर्ग में 571 और वायुसैनिकों के 4970 पद खाली पड़े हैं। ये जानकारी सामने आते ही देश भर में सेना में भर्ती खोलने की मांग तेज़ी से उठ रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि जब तीनों सेनाओं में पद ही खाली पड़े हैं तो देश की सुरक्षा मजबूत कैसे होगी। सेना में भर्ती खुलने से न केवल बेरोज़गारी दूर होगी अपितु राष्ट्र की सुरक्षा भी मजबूत होगी। राष्ट्र की सुरक्षा के मामले में सरकार को खजाने की तरफ नहीं देखना चाहिए। सरकार अगर ये सोचती है कि भर्ती नहीं होगी और वेतन नहीं देना पड़ेगा तो ये सोच दूषित है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार तुरंत सेना भर्ती शुरू करे और सेना में भर्ती के इच्छुक युवाओं को आयु सीमा में 3 साल की छूट, अतिरिक्त प्रयासों की अनुमति समेत उनकी सभी जायज मांगें स्वीकार करे। उन्होंने सरकार को चेताया कि अगर युवाओं की मांगें नहीं मानी गई तो कांग्रेस पार्टी सड़क से संसद तक उनके हकों की लड़ाई लड़ेगी।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा के गाँव-गाँव में भोर से लेकर देर रात तक किसी भी समय देखा जा सकता है कि हमारे युवा सेना भर्ती की तैयारी के लिये दौड़ लगा रहे हैं। उनका एक ही सपना है भारतीय फ़ौज में भर्ती होकर देश की सेवा करना। फौज में भर्ती होने के लिए प्रदेश के युवा दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। लेकिन सरकार उनकी मेहनत और देश सेवा की भावना की उपेक्षा कर रही है। 62 की लड़ाई हो या 65 की, 71 की हो या करगिल की हर युद्ध में हरियाणा के सैनिकों ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी है।

उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में पहले ही सर्वाधिक बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं की फ़ौज में भर्ती की उम्र भी निकलती जा रही है। इसी निराशा और हताशा के चलते पिछले दिनों भिवानी के तालू गाँव निवासी युवा पवन ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। पवन ने लिखा कि “इस बार सेना में भर्ती नहीं हुआ, लेकिन पिताजी अगले जन्म में वे भारतीय सेना में जरूर भर्ती होऊंगा।” लेकिन इस संवेदनहीन सरकार के उप-मुख्यमंत्री ने पवन की मौत का भी मजाक उड़ाया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। कोरोना के नाम पर सेना में भर्तियां बंद होने से हरियाणा के युवाओं ने जबर्दस्त आक्रोश है। रोहतक, झज्जर, हिसार, जींद, कैथल, भिवानी समेत हरियाणा के हर जिले में युवा सड़कों पर उतर कर सेना में भर्ती शुरू करने की मांग कर रहे हैं। दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से आग्रह किया कि वो युवाओं के सब्र का इम्तिहान न ले।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 2% आबादी वाले हरियाणा से सबसे ज्यादा युवा सेना में भर्ती होकर देश सेवा करते हैं। ये ऐसी भूमि है जहाँ के जवानों में राष्ट्र की सेवा के प्रति जज्बा है। सेना में हर 10वां जवान हरियाणा से है। हरियाणा उन राज्यों में से एक हैं जहां सबसे ज्यादा सैनिक, पूर्व सैनिक और उनके परिवार रहते हैं। ऐसे में सेना की खुली भर्ती आयोजित न होने से राज्य के युवा अब सड़कों पर उतरने को मजबूर हो रहे हैं। 3 साल से भर्ती न कर सरकार हमारे युवाओं के देश की सेवा करने के सपनों को रौंद रही है। सरकार के इस रवैये से हर साल लाखों-लाख युवा ओवरएज हो रहे हैं। जबकि सेना में हर साल अधिकारी, ग़ैर-अधिकारी वर्ग के करीब 50-60 हजार पद खाली होते हैं और करीब इतनी ही नयी भर्तियां होती हैं। दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि सरकार लगातार भर्तियों की संख्या घटाती जा रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि संसद में सरकार के जवाब से स्पष्ट है कि पिछले 5 साल में भर्ती के लिए हुई रैलियों की संख्या बताती है कि सेना में भर्ती धीरे धीरे कम हो रही है। सरकार ने संसद में दिए अपने जवाब में बताया कि 2017-18 – 106 रैलियाँ हुई, 2018-19 – 92 रैलियाँ, 2019-20 – 95 रैलियाँ, 2020-21 – 47 रैलियाँ और 2021-22 – सिर्फ 04 रैलियाँ ही हुई हैं। सरकार रैलियां न करने के पीछे कोविड को कारण बता रही है। जबकि, कोरोना के बाद पूरा देश खुल गया सिर्फ युवाओं के लिए सेना में भर्ती का दरवाजा सरकार ने बंद किया हुआ है।