गुजरात विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर हो गया है

गुजरात में जैसे-जैसे विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वहां कांग्रेस में राजनीतिक घमासान तेज होता जा रहा है। कुछ महीने पहले हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तरह गुजरात में भी एक बार फिर से चुनावों से पहले आपस में नेताओं की तकरार शुरू हो गई है। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने जिस तरह से पार्टी को निशाने पर लिया है उससे राजनीतिक हलकों में स्पष्ट संदेश है कि आने वाले कुछ दिनों में पटेल पार्टी छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो सकते हैं। वहीं, अंदरूनी रार के चलते कांग्रेस के नेताओं का चुनाव से ऐन वक्त पहले दूसरी पार्टियों में खिसकना जारी हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के लिए उनके अपने ही नेता चुनौती बने हुए हैं। इसलिए गुजरात विधानसभा का चुनाव कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर हो गया है। 

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, गुजरात/ चंडीगढ़ :

पांच राज्यों के चुनावों में करारी हार से उबरने की कोशिश कर रही कांग्रेस इस साल के अंत में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए बड़ी रणनीति बना रही है. कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि अंदरखाने पार्टी नेतृत्व बड़े पाटीदार नेता नरेश पटेल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की रणनीति बना रहा है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस योजना का अहम हिस्सा हैं. सब ठीक रहा तो जल्द नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. आपको बताते हैं कि कौन हैं नरेश पटेल, जिनके चेहरे पर कांग्रेस दांव लगा सकती है और आखिर क्यों नरेश पटेल पर कांग्रेस को इतना भरोसा है?

कांग्रेस को 2017 में 15 विधायकों के पलायन का सामना करना पड़ा था। इन नेताओं में दिग्गज लीडर शंकर सिंह वाघेला भी शामिल थे, जो सूबे के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। यही नहीं अहमद पटेल को अपनी राज्यसभा सीट के लिए बेहद कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा था, हालांकि वह करीबी अंतर से जीतने में कामयाब रहे थे। भले ही उस दौरान वाघेला ने भाजपा जॉइन नहीं की थी, लेकिन अन्य 14 विधायक भगवा दल में शामिल हो गए थे। कहा जा रहा है कि इस बार यह संख्या और अधिक भी हो सकती है। भाजपा के एक सीनियर नेता का कहना है कि आने वाले दिनों में कई और विधायक कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हो सकते हैं। 

बता दें कि 2017 के बाद पहला झटका कांग्रेस को तब लगा था, जब 5 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके अलावा दो विधायकों का निधन हो गया था और फिर 7 सीटों पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा को 4 और कांग्रेस को 3 पर जीत मिली है। इनमें से एक ओबीसी विधायक अल्पेश ठाकोर ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन लिया था, लेकिन राधनपुर सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनके मुकाबले कांग्रेस के रघु देसाई को जीत मिल गई थी। हालांकि 2020 में भाजपा के नए बने प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के नेतृत्व में 8 सीटों पर उपचुनाव हुआ था, जिनमें से सभी पर भाजपा को जीत मिली थी। इस तरह भाजपा की फिलहाल विधानसभा में संख्या 111 है। 

अहमदाबाद स्थित अच्युत याग्निक ने कांग्रेस की स्थिति को लेकर कहा, ‘कांग्रेस लगातार कमजोर होती दिख रही है। लीडरशिप की ओर से जरूरी ऐक्शन नहीं लिया जा रहा है। खासतौर पर राज्य स्तर पर स्थिति ठीक नहीं है। भाजपा का जमीन पर मजबूत संगठन है और उसे आरएसएस की ओर से भी ग्राउंड पर अच्छा सपोर्ट मिलता रहा है। कांग्रेस का किसी जमाने में सेवा दल नाम का संगठन था, लेकिन अब वह उस तरह से ऐक्टिव ही नहीं है।’ याग्निक ने कहा कि भाजपा सत्ता में है और कांग्रेस छोड़कर आने वाले नेताओं को भरोसा है कि वह लंबे समय तक सत्ता में रहेगी।