हर वर्ष कट रहे 30,000 पेड़ टेक्स्ट बुक के लिए 

चंडीगढ़  29 अप्रैल

पेरेंट्स यूनिटी फॉर जस्टिस  के प्रेसिडेंट हृदय पाल सिंह व जनरल सेक्रेटरी मनीष सोनी ने चंडीगढ़ में चल रही टेक्स्ट बुक की  करोड़ों रुपए की लूट को उजागर किया है जो करीब हर साल 32 करोड रुपए है।साथ ही उन्होंने स्कूल की और प्रशासन की वातावरण के लिए दोगली नीतियों का भी पर्दाफाश किया। जिसमें उन्होंने बताया कि  प्राइवेट स्कूल अपने कमीशन के चक्कर में बहुत बहुत सारे पेड़ों को कटवा देते हैं क्योंकि एक पेड़ की एवज में 62 किताबें छपती है तो इसलिए आप उससे अंदाजा लगा सकते हो कि कितने पेड़ कटते होंगे? वातावरण का नुकसान हमारा अनुमान है कि सिर्फ चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों की किताबों की वजह से करीब 30000 पेड़ों को काटा जाता है। 1 बच्चे को अगर 12 किताबे लगती  है, तो चंडीगढ़ में अनुमान से 1,56,000 बच्चे हैं तो 18,72,000 किताबें इस्तेमाल करेंगे, तो इसका मतलब 1,56,000 बच्चों के लिए करीब 30193 का पेड़ों की बलि ले ली जाती हैं । जबकि अगर इन्हीं किताबों को दुबारा इस्तेमाल किया जाता तो 30000 पेड़ों को हर साल कटने से बचाया जा सकता है।दूसरी तरफ यह भी देखने में आया है कि इन किताबों को हर साल बदलने का मकसद सिर्फ और सिर्फ कमीशन होता है,  तो उसका उदाहरण हम देख सकते हैं। *पेरेंट्स के पैसो की लूट* चंडीगढ़ में करीब 78 स्कूल हैं एक एक स्कूल में 2000 बच्चे हैं तो कुल बच्चे हो गए 1,56,000,  एक बच्चे को ₹7000 की किताबें लगती हैं, स्कूल का कमीशन होता है 30% से लेकर 50% तक,  हम सिर्फ 30 % मान रहे हैं तो तो 7000 का 30 % (2100)  हो गया और 156000 x 2100 तो ये होता है ₹32,76,00000/- ( *32 करोड़ 76 लाख )* 
दूसरी तरफ अभी कुछ दिनों पहले ही सभी स्कूलों ने अपने बच्चों के साथ वर्ल्ड अर्थ डे का ड्रामा किया था जिसमें उन्होंने धरती को बचाने के लिए पेड़ लगाने के लिए बोला था ये ही इनकी दोगली नीति है,एक तरफ बच्चों को पेड़ लगाने के लिए कहते हैं दूसरी तरफ उन्हीं बच्चों से कमीशन कमाने के लिए 30 हजार के आसपास पेड़ कटवा देते। इस हिसाब सिर्फ कमीशन के लिए पूरे देश में करोड़ों पेड़ काटे जाते हैं।
आप एक बात और समझ सकते हैं कि इतने सारे पेड़ जब हर साल सिर्फ कमीशन के लिए कटेंगे तो  धरती पर कितनी ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ेगी और आज का टाइम  पूरी दुनिया इसी से चिंतित है कि ग्लोबल वॉर्मिंग नहीं बढ़नी चाहिए। लेकिन प्राइवेट स्कूल और एजुकेशन डिपार्टमेंट का इसपर रत्ती भर भी ध्यान नहीं है। हमारा चंडीगढ़ एजुकेशन डिपार्टमेंट और स्कूलों से यह अपील है कि वह अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करें और और अपने कमीशन के चक्कर में धरती को बर्बाद होने से बचाएं। क्योंकि पैसा तो बाद में भी कमाया जा सकता है लेकिन वातावरण को वापस ठीक करने में हजारों साल लग जाएंगे। सभी वातावरण प्रेमियों से यह आग्रह है कि वह अपने मुद्दों के अंदर स्कूलों में कमीशन के लिए हर साल बदलवाई जा रहीं किताबों के मुद्दे पर भी ध्यान दें क्योंकि जितनी ज्यादा किताबें लगाई जाएंगी उतने ही ज्यादा पेड़ों को काटा जाएगा और जिससे ग्लोबल वार्निंग बढ़ेगी और वातावरण भी खराब होता है।हमारा स्कूल प्रशासन और चंडीगढ़ एजुकेशन डिपार्टमेंट से अनुरोध है कि स्कूलों में ही बुक बैंक बनाए जाएं ताकि किताबों को वहीं से लेकर पढ़ा जा सके; नहीं तो स्कूल प्रशासन यह बता दे कि वह यह नहीं बना सकते तो पैरंट्स यूनिटी फोर जस्टिस ये जिम्मेवारी लेने के लिए त्यार है। हम आपका ध्यान एक और बड़ी लूट की तरफ भी दिलाना चाहते हैं कि 2 मार्च, 2022  को एक चंडीगढ़ प्रशासन ने आर्डर किया था जिसमें कहा गया था कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत फीस न बढ़ाने की जो बंदिश लगाई गई थी उनको खत्म किया जा रहा है। जिसकी वजह से नए सेशन (2022-23) से स्कूल फीस बढ़ा सकते हैं।लेकिन स्कूलों ने अपनी मनमानी करते हुए पिछले साल (2021-22) में ही फीस बढ़ा दी थी,  तो हमारी एजुकेशन डिपार्टमेंट से अपील  है कि पिछले साल की जितनी भी स्कूलों ने बढ़ाई थी वह नाजायज थी और गैरकानूनी थी उन सारी फीसों को वापस करवाया जाए।साथ ही हमारी पेरेंट्स से अपील है कि वह भी जागरूक बने और यह ट्रस्ट के रूप में जो यह स्कूल चल रहे है। इनकी एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) के सदस्य बने। यह कमेटी ही स्कूलों को चलाने के लिए जिम्मेदार होती है।जल्दी ही पेरेंट्स यूनिटी फॉर जस्टिस  एक गूगल फॉर्म जारी करेगी जिसमें सभी पेरेंट्स से उनका डाटा लिया जाएगा ताकि सभी स्कूलों के अंदर पेरेंट्स एसोसिएशन बनाई जा सके और स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाई जा सके।