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पंचांग, 28 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

नोटः आज प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत पर विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। वैशाख़ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 28 अप्रैल को पड़ रहा है। इस दिन सोमवार है और सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण

तिथिः त्रयोदशी  24.27 तक है, 

वारः गुरूवार, 

नक्षत्रः उत्तराभाद्रपद सांय 05.40 तक है, 

विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

योगः वैधृति सांय 04.28 तक, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः मेष,  चंद्र राशिः मीन, 

राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.47,  सूर्यास्तः 06.51 बजे।