पार्किंग में वाहन फंसने पर क्यूआर कोड स्कैन से मालिक को कर सकेंगे कॉलआपातस्थिति में भी होगा सहायक

चण्डीगढ़ :

पार्किंग में गाड़ी फंसना ट्राईसिटी यानी चण्डीगढ़ पंचकूला मोहाली की बड़ी समस्याओं में से एक है। अक्सर पार्किंग में लोग एक वाहन के आगे दूसरा वाहन पार्क कर चले जाते हैं और पीछे खड़े वाहन को निकालने में काफी समय और मेहनत खर्च हो जाती है व कई बार वाहन निकालने में एक से दो घंटे तक खराब हो जाते हैं। इसके अलावा परेशानी भी झेलनी पड़ती है और अनेक बार झगड़े की भी नौबत आ जाती है। मेडिकल इमरजेंसी में तो और भी अधिक परेशानी पैदा हो जाती है। इस बड़ी समस्या का समाधान निकाला है अतुल जैन, संचित मित्तल व वरुण नितिन भल्ला ने। इन्होने अपने स्टार्टअप के तहत पार्की एप्प विकसित किया है जिसके जरिए पार्किंग में फंसे वाहन पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर वाहन मालिक को फोन किया जा सकेगा। पार्की के निदेशकों अतुल जैन व वरुण नितिन भल्ला व ट्राइसिटी में पार्की एप्प की संचालक ईपार्किंग सोल्यूशन्स के निदेशकों संदीप शर्मा व शागिर अहमद ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि वाहन पर लगे क्यूआर कोड को व्यक्ति अपने फोन से जैसे ही स्कैन करेगा, वैसे ही विंडो खुलेगी। जिसमें कॉल नाउ व कॉल इमरजेंसी दो विकल्प होंगे। कॉल नाउ पर क्लिक करने पर सीधा वाहन मालिक को फोन जाएगा। लेकिन, वाहन मालिक का नंबर फोन पर दिखाई नहीं देगा। कॉल सॉफ्टवेयर के माध्यम से जाएगा। वहीं वाहन मालिक को भी कॉल करने वाले का नंबर दिखाई नहीं देगा। इससे लोगों की निजता भी बनी रहेगी।पार्की एप्प की संचालक ईपार्किंग सोल्यूशन्स के निदेशकों संदीप शर्मा व शागिर अहमद ने जानकारी दी कि ये एप्प गूगल प्ले स्टोर व एप्पल स्टोर पर उपलब्ध है एवं इस पर 799 रूपए का खर्च आएगा तथा इसकी वैधता पांच वर्षों तक की होगी।    

इमरजेंसी में भी मददगार
उन्होंने बताया कि पार्किंग के अलावा इमरजेंसी में भी यह सहायक बनेगा। जिस वाहन पर क्यूआर कोड लगा हो और उसका एक्सीडेंट हो गया तो ऐसी स्थिति में भी उसे स्कैन कर कॉल इमरजेंसी पर फोन किया जा सकेगा। फोन कार मालिक की ओर से दिए गए इमरजेंसी नंबर पर जाएगा। उस नंबर पर यह जानकारी दी जा सकेगी कि वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया है।

क्यू-आर कोड रजिस्ट्रेशन पर देनी होगा ये 5 जानकारियां

क्यू-आर कोड रजिस्ट्रेशन के समय व्यक्ति का नाम, वाहन नंबर, फोन नंबर और इमरजेंसी कॉन्टेक्ट नंबर देना होगा। इन पांचों जानकारी से पंजीयन हो जाएगा।
निदेशकों ने इस स्टार्ट अप का प्रस्ताव केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों को भी भेजा है ताकि इस एप्प के जरिये ट्रैफिक पुलिस को भी काफी सहूलत होगी। जल्द ही इसके स्वीकृति मिलने की संभावना है।