Sunday, December 29
  • मिलेट क्रांति*किया आयोजित अर्थ डे पर *मिलेट  क्रांति को घर घर पहुचाने का अलख जगाने को किया नुक्कड़ नाटक

 चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट – 23 April  
सेक्टर 17 अंडर पास
में हुआ आयोजित नुक्क्ड़ नाटक , मिलेट क्रांति समय की मांग – मिलेट गर्ल श्रेया वर्ल्ड अर्थ डे पर हम आज करो या मरो की स्टेज पर है ,  हमारे स्वास्थ्य में इस पृथ्वी का खास योगदान होता है। इसलिए हम हेल्दी रहें इसके लिए अपनी धरती को भी हेल्दी रखना जरूरी है। अनुमान है कि दुनिया भर में हर साल 13 मिलियन से अधिक मौतें पर्यावरणीय कारणों से होती हैं। इसमें जलवायु संकट शामिल है जो मानवता के सामने सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा है, कहा मिलेट गर्ल श्रेया ने । 

इस के साथ साथ ही नान कम्युनिकेबल डिसीज़ भी  विश्व भर में मृत्यु का बड़ा कारण बनते जा रहे हैं । इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट कहती है कि 2019 तक भारत में डायबिटीज के करीब 77 मिलियन मरीज हैं जिनकी संख्या 20 से 30 तक 101 मिलियन हो सकती है तो 2045 तक यह आंकड़ा 134 पॉइंट 2 मिलियन को छू सकता है।इसीलिए आज अर्थ  डे के मौके पर हम सब को मिलेट्स को अपना स्टेपल फ़ूड बनाने की शपथ लें , क्योंकि अगर हम रिवायती चावल व गेहूं की खेती ही करते रहे तो  आने वाले  कुछ वर्षों में एक ओर तो  ग्राउंड वाटर खत्म होने की कगार पर है ,दूसरी ओर हमारी धरती की उपजाऊ क्षमता कम  होती जा रही है। 

यदि हम मिलट्स को अपना मूल भोजन बना लें  तो एक तीर से सभी निशाने लग जाते हैं ; ग्राउंड वाटर की कमी भी ठीक हो जाएगी क्योंकि मिलेट्स रिवायती खेती का दसवां हिस्सा पानी लेते हैं व   मिट्टी का उपजाऊपन  भी वापस आ जाता है और हमारी सेहत ही वापस आ जाती है।

हमें समझ तो आ गयी कि कुल मिलाकर दोष हमारे खान और पान का है तो जब तक हम अपना खाना और लाइफ स्टाइल नहीं बदलते तब तक लाइफ़स्टाइल डिसऑर्डर हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगे यह कहा  मिलेट गर्ल  डाइटिशियन श्रेया ने  जोकि आहारिका एनजीओ के द्वारा अंडरप्रिविलेज्ड नागरिकों को  वर्षों  से मिलेट्स  की खिचड़ी गुड़ चने बांटकर ,पोषण में मदद कर रही हैं।

10 वर्षों में लाखों डायबिटीज के मरीजों के खानपान पर गंभीर स्टडी कर चुकी डायटिशियन श्रेया ने निष्कर्ष निकाला है कि हमें 1960 की हरित क्रांति से पहले प्रचलित मोटे अनाजों पर वापस जाना ही पड़ेगा तभी हम नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से बच पाएंगे या फिर  उन्हें रिवर्स कर पाएंगे।  

 *मिलेट्स क्यों हैं जरूरी* श्रेया का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से अनाज में बदलाव कर डायबिटीज बचाने व रिवर्स करने में सफल रही हैं , व इससे प्रेरित होकर  उन्होंने मिलेट और ऑर्गेनिक सुपर फूड की मदद से  डायबिटीज को भारत से उखाड़ फेंकने का बीड़ा लिया  है ।

क्या क्या कदम उठाए जाएंगे

  • जिसमें उत्तर भारत में मिलेट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना
  • लगातार पानी के गिरते हुए स्तर व बंजर हो रही जमीन को फिर से उपजाऊ बनाने के उद्देश्य से मिनट या मोटे अनाज की खेती के लिए किसान भाइयों को जागरूक करना व पूरी ट्रेनिंग व सहयोग करना ।
  • किसानों द्वारा मिलट की फसल को हरियाणा सरकार द्वारा बताए गए मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत खरीदना
  • मिलेटस की भिन्न-भिन्न रेसिपीज पर रिसर्च करना व उनको पेटेंट करवा कर विश्व भर में मिलेट्स का प्रचार व प्रसार करना।