- खुद को गब्बर सिंह के नाम से मशहूर कहलवाने के इच्छुक रहने वाले हरियाणा के गृहमंत्री तथा अम्बाला छावनी के विधायक अनिल विज से भी किये सीधे सवाल
- हरियाणा सरकार द्वारा एक ही बिल्डिंग निर्माण कंपनी पर उसके निर्माण कार्यों में बार बार अनियमिततांए सामने आने के बावजूद उसी को काम क्यों?
सारिका तिवारी, डेमोक्रैटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
आम आदमी पार्टी ने सरकार द्वारा एक ही बिल्डिंग निर्माण कंपनी पर उसके निर्माण कार्यों में बार बार अनियमितांए सामने आने के बावजूद उसी को काम दिए जाने पर सावाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की बजाये उस पर मेहरबानी की क्या कोई खास वजह है,जबकि उसकी हर एक परियोजना में न सिर्फ उसके द्वारा करवाये जा रहे निर्माण कार्यों को लेकर बल्कि वित्तीय अनियमितताओं की बातें भी पूरी तरह से उजागर हो चुकी हैं। आप नेता चित्रा सरवारा ने सरकार खासतौर पर खुद को गब्बर सिंह के नाम से मशहूर कहलवाने के इच्छुक रहने वाले हरियाणा के गृहमंत्री तथा अम्बाला छावनी के विधायक अनिल विज से भी सीधा सावाल किया है कि आखिर उनके ड्रीम कहे जाने वाले प्रोजैक्टों में घपले करने वाले कितने आदमी थे ? पार्टी का यह भी कहना है कि भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन का दावा करने वाली भाजपा इस मामले में खामोश क्यों है?
उत्तरी हरियाणा जोन के सचिव योगेश्वर शर्मा के साथ आज यहां पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी की आम आदमी पार्टी की महिला नेता चित्रा सरवारा ने कहा कि साल 1965 में अम्बाला छावनी में बना वॉर हीरोज मैमोरियल स्टेडियम को बदलाव करने का ख्याल प्रदेश के खेलमंत्री रहे अनिल विज के कार्यकाल में खेल विभाग के मन में आया। विभाग ने यहां फीफा एप्रूव्ड एक अंतरर्राष्ट्रीय स्तर का फुटबाल स्टेडियम बनाने की परियोजना बनाई और साल 2017 में इसका टेंडर किया गया। उस समय टेंडर की कीमत 48.58 करोड़ रुपये का यह टेंडर किया गया। उन्होंने कहा कि जैसा कि यह बात जगजाहिर है कि जींद की एक एजेंसी गर्ग एंड कंपनी ने यह टेंडर 40 करोड़ रुपये में यानि कि लगभग आठ करोड़ रुपये के घाटे में उठाया। टेंडर की शर्तों के अनुसार यह काम साल 2019 में अप्रैल माह तक पुरा होना था।मगर यह काम पूरा नहीं हुआ,बल्कि इसकी लगात 2019 में बढक़र 85.28 करोड रुपये हो गई,मगर काम फिर भी पूरा नहीं हुआ और एक बार फिर इसकी अवधि दो साल बढ़ाकर मार्च 2022 तक कर दी गई। साथ ही इसकी लागत कीमत बढक़र 115.16 करोड़ रुपये हो गई। उन्होंने कहा कि आज भी इसका काम 20 प्रतिशत से ज्यादा बकाया है,मगर रोचक बात यह है कि निर्माण करने वाली कंपनी को इसकी सारी लगभग कीमत पहले ही अदा हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जनवरी 2022 में इस बात का खुलासा हुआ कि इसमें भारी अनियमितताएं हैं तो देश के प्रधानमंत्री,गृहमंत्री,प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश के गृहमंत्री सबको पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की गई। उन्होंने बताया कि यह बात सामने आई कि इस परियोजना के निर्माण में जो स्टील इस्तेमाल किया गया है उसपर भी सवालिया निशान खड़े है । उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 में इस मामले की जांच के लिए लोकनिर्माण विभाग (भवन एवं सडक़ें) के अधिकारियों की एक छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई। मगर उसने क्या जांच की इसका आज तक किसी को नहीं पता।
चित्रा सरवारा ने कहा कि मजेदार बात तो यह है कि इस प्रोजैक्ट को बनाने के लिए जो स्टील खरीदा गया, उसमें भी बड़ी धांधली की गई। उन्होंने बताया कि जो बात सामने आई है, उसके अनुसार अधिकारियों ने जो स्टील खरीदा उसमें 62 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर138 रुपये प्रति कविंटल तक का रेट लिया गया । इतना ही नहीं पूरे प्रोजैक्ट के लिए 33 हजार कविंटल स्टील खरीदा जाने का अनुमान था, परंतु खरीदा 13 हजार 500 कविंटल गया और मौके पर 3270 क्विंटल ही लगा पाया गया है। जबकि इस पूरे प्रोजैक्ट में 115 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। सबसे ज्यादा भुगतान 2017 से लेकर 2019 के बीच हुआ। उन्होंने सवाल किया कि अनिल विज जोकि तब हरियाणा के खेल मंत्री थे और अब गृहमंत्री है तथा अम्बाला छावनी के विधायक भी हैं,उनके ध्यान में यह बात और यह घोटाला क्यों नहीं आया। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा हैरानीजनक बात यह है कि आज भी हरियाणा के 60 प्रतिशत से ज्यादा काम इसी गर्ग एंड कंपनी को दिए जा रहे हैं। जिसमें से 25 प्रतिशत काम तो केवल मुख्यमत्री के गृह जिले करनाल के हैं। उन्होंने सवाल किया कि इतने सारे बड़े बड़े प्रोजैक्ट एक ही कंपनी को ही क्यों? और किसी को क्यों नहीं ? क्या यह सिर्फ अधिकारियों की मेहरबानी रही है या इसमें सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग भी शामिल हैें?
उन्होंने बताया कि यही कंपनी अंबाला कैंट व सिटी में काम कर रही है। करोड़ो रुपये के घोटाले उजागर होने के बाद कंपनी के इन सभी परियोजनाओं पर भी सावालिया निशान लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस कंपनी द्वारा अंबाला छावनी में बन रहे खेल स्टेडियम में 57 प्रतिशत,होम्योपैथिक डिस्पेन्सरी में भी घोटाला हुआ। 200 बैड के बन रहे सिविल अस्पताल व उनके रहने के लिए बन रहे डाक्टर्स निवास में घोटाला हुआ। और तो और अनिल विज के एक अन्य ड्रीम प्रोजैक्ट आर्य भट्ट विज्ञान केंद्र के लिए जो भवन बना है उसके निर्माण में ही विसंगतियां हैं और इसके गिराने के आदेश जारी हो चुके हैं। अंबाला छावनी में बन रहे लघु सचिवालय में बन रही दीवारों का सीमेंट हाथ में आ जाता है।
उन्होंने कहा कि इतनी सारी अनियमितताएं एक ही कंपनी की ओर से किये जाने के बावजूद उसे ब्लैक लिस्ट करने की बजाये उसी को बार बार काम देने पर सरकार व इसके अधिकारियों पर सावालिया निशान खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो रोजाना भ्रष्टाचार मुक्त करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार इस बड़े घोटाले पर खामोश है।