सोनिया गांधी के आवास पर प्रशांत किशोर की 3 दिनों में दूसरी बैठक, मिशन 2024की तैयारियों के लिए पार्टी के शीर्ष नेता भी रहे मौजूद
प्रशांत किशोर के साथ बैठक में अन्य नेताओं के साथ बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास की मौजूदगी को लेकर भी जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक कांग्रेस का वहां नया अध्यक्ष चुनना है ऐसे में पार्टी इस काम में भी पीके की टीम की मदद लेकर फैसला लेना चाह रही है ताकि जमीनी स्तर से लोगों की राय के बाद किसी का जिम्मेदारी सौंपी जाए। कांग्रेस के पूर्व नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 1999 में बेटी महबूबा मुफ्ती के साथ पीडीपी का गठन किया था। पार्टी गठन के महज 3 साल बाद पीडीपी सत्ता में आई। मुप्ती मोहम्मद सईद राज्य के सीएम बने। महज 16 सीटें जीतने वाली सईद की पार्टी को उनकी पुरानी पार्टी कांग्रेस का समर्थन मिला। दोनों पार्टियों में समझौते के तहत पहले चीन साल सईद और बाद में 3 साल कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद सीएम रहे। 2008 में पीडीपी ने कांग्रेस से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का समझौता हुआ।
- सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक
- राहुल गांधी, अंबिका सोनी समेत प्रशांत किशोर भी मौजूद हैं
- प्रशांत किशोर के कांग्रेस से जुड़ने के बारे में भी मंथन हो सकता है
नई दिल्ली(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक :
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर सोमवार को बड़ी बैठक हुई। पिछले तीन दिनों के भीतर यह दूसरा मौका है जब प्रशांत किशोर 10 जनपथ पहुंचे और कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के अलावा दिग्गज नेता अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला, जयराम रमेश और मुकुल वासनिक मौजूद थे। इस बार की बैठक की अहम बात यह रही की इस मीटिंग में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी मौजूद नहीं थे। पार्टी के लिहाज से महत्त्वपूर्ण बैठक होने के बाद भी राहुल विदेश दौरे पर चले गए, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा मौजूद रहीं।
मार्च में, प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि इस पर आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया था लेकिन शनिवार की मीटिंग में पीके के मौजूद होने की खबर से चर्चा तेज हो गई कि पीके कांग्रेस में जा रहे हैं। रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव पर बड़े प्लान के तहत पार्टी प्रशांत किशोर को साथ लाना चाहती है। किशोर उसी प्लान का हिस्सा हैं जिसके तहत कांग्रेस पार्टी उद्योगपति, लेउवा पाटीदार के नेता नरेश पटेल को साथ लाकर सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट करना चाह रही है।
वैसे, प्रशांत किशोर कांग्रेस लीडरशिप की आलोचना करते रहे हैं। पिछले साल लखीमपुर खीरी घटना के दौरान जब प्रियंका गांधी को लखीमपुर जाते समय हिरासत में लिया गया तो प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया था कि दुर्भाग्यवश सबसे पुरानी पार्टी में लंबे समय से घर कर चुकी समस्याओं और ढांचागत कमजोरियों का कोई त्वरित समाधान नहीं है।
चुनाव रणनीतिकार यह भी कह चुके हैं कि कांग्रेस का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है खासकर जब पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 फीसदी से ज्यादा चुनाव हार गई हो। उन्होंने ट्वीट करते विपक्ष के नेतृत्व का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होने की बात कही थी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन रहा। प्रशांत किशोर ने तब कहा कि असली लड़ाई 2024 में लड़ी जाएगी और तभी इसके नतीजे आएंगे। साहेब इसे अच्छी तरह से जानते हैं। इसलिए चुनाव नतीजों के जरिए विपक्ष के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक धारणा बनाने की कोशिश हो रही है। इस झूठे नैरेटिव में नहीं फंसना चाहिए।
गैर-कांग्रेसी विपक्ष की बात करने वाले तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने हाल में इस बात की पुष्टि की थी कि वह बीजेपी के खिलाफ सभी पार्टियों को साथ लाने के लिए प्रशांत किशोर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
इस बीच केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केवी थॉमस ने सोमवार को कहा कि केपीसीसी की राजनीतिक मामलों की बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाना उन्हें पार्टी से बाहर किए जाने के कदम का संकेत है। थॉमस हाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 23वें सम्मेलन में भाग लेने के लिये अनुशासनात्मक जांच का सामना कर रहे हैं। थॉमस ने कहा कि 2018 से उन्हें पार्टी से बाहर करने के लिये कदम उठाए जाते रहे हैं और उन्हें केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) की बैठक में आमंत्रित नहीं किए जाने से यह स्पष्ट हो गया है।