जिस ‘दिल्ली मॉडल’ का इतना ढोल पीटते हैं केजरीवाल, उसको ‘हेड मास्टर’ भी नसीब नहीं – NCPCR
एनसीपीसीआर (The National Commission for Protection of Child Rights ) की तरफ से दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव को एक पत्र लिखा गया है। लिखे गए पत्र में कहा कि एनसीपीसीआर की टीम ने दिल्ली के कई स्कूलों का दौरा किया है। इस दौरे के दौरान स्कूलों में कई सारी खामियां देखने को मिली है। एनसीपीसीआर के मुताबिक दिल्ली शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत आने वाले 1027 स्कूलों में से सिर्फ 203 ऐसे स्कूल हैं जहां प्रिंसिपल हैं।
नई दिल्ली(ब्यूरो):
दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर जहां एक तरफ दिल्ली सरकार दूसरे राज्यों को चुनौती दे रही है और इसके दूसरे राज्यों से बेहतर होने का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(NCPCR) ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर दावा किया है कि दिल्ली के 80% से ज्यादा सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल या हेडमास्टर हैं ही नहीं।
NCPCR says only 203 out of 1,027 govt schools in Delhi have a headmaster or principal; seeks explanation
— Press Trust of India (@PTI_News) April 12, 2022
दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव लिखे पत्र में एनसीपीसीआर ने कहा कि उसके प्रमुख की अगुवाई वाली टीम ने दिल्ली में कई स्कूलों का दौरा किया और पाया कि आधारभूत अवसंरचना तथा कई अन्य पहलुओं में खामि
NCPCR ने उल्लेख किया कि NCT सरकार के शिक्षा विभाग के तहत कुल 1027 स्कूल आते हैं। इनमें से केवल 203 में हेड मास्टर या कार्यवाहक हेड मास्टर हैं। इसमें आगे लिखा गया है, “स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सकारात्मक सीखने का माहौल सुनिश्चित करने और समावेशी संस्कृति को विकसित करने में एक हेड मास्टर या प्रिंसिपल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हेड मास्टर या प्रिंसिपल की अनुपस्थिति का बच्चों की सुरक्षा और सलामती पर असर पड़ता है।”
NCPCR says only 203 out of 1,027 govt schools in Delhi have a headmaster or principal; seeks explanation
आयोग के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने कहा कि प्रधानाचार्य की यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती कि स्कूल में पढ़ाई का सकारात्मक माहौल हो। उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्य नहीं होने से बच्चों की सुरक्षा पर विपरीत असर होता है।
NCPCR says 203 out of 1027 govt schools in Delhi functioning
without a head, seeks explanation https://t.co/XMGQu57yGa
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) April 12, 2022
यां हैं। एनसीपीसीआर के अनुसार, शिक्षा विभाग के तहत आने वाले 1,027 स्कूलों से सिर्फ 203 ऐसे स्कूल हैं जिनमें प्रधानाचार्य या कार्यवाहक प्रधानाचार्य हैं।
आयोग के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने कहा कि प्रधानाचार्य की यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती कि स्कूल में पढ़ाई का सकारात्मक माहौल हो। उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्य नहीं होने से बच्चों की सुरक्षा पर विपरीत असर होता है।
पत्र में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का हवाला देते हुए कहा गया है कि जिन स्कूलों में छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों की संख्या 100 से ऊपर है, वहाँ स्कूल में पूर्णकालिक प्रिंसिपल होना चाहिए। NCPCR ने मुख्य सचिव से ऐसे पदों की रिक्तियों और शिक्षा विभाग द्वारा 19 अप्रैल तक की गई कार्रवाई के बारे में तथ्यात्मक स्थिति शेयर करने के लिए कहा है।
मुख्य सचिव को लिखे एक अन्य पत्र में, NCPCR ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज तिवारी ने सर्वोदय कन्या विद्यालय, सब्जी मंडी, तिमारपुर, दिल्ली का दौरा किया। यहाँ उन्हें स्कूल की बिल्डिंग में स्वच्छता संबंधी कई समस्याएँ दिखी। शीर्ष निकाय ने कहा कि इस तरह की चीजों से स्कूल में गंभीर दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।
पत्र में कहा गया है, “मामले की गंभीरता को देखते हुए आपके कार्यालय से अनुरोध है कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए और इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट इस पत्र की प्राप्ति के सात दिनों के भीतर आयोग के साथ शेयर की जाए।”
सांसद मनोज तिवारी अकेले भाजपा नेता नहीं हैं, जिन्होंने हाल ही में दिल्ली के स्कूलों में कमियों को उजागर किया है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सीएम अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं ने आगामी राज्य विधानसभा चुनाव को देखते हुए गुजरात के स्कूलों पर निशाना साधा था। AAP नेताओं के हमले के बाद दिल्ली के भाजपा नेताओं ने हाल के दिनों में कई स्कूलों का दौरा किया और छात्रों एवं शिक्षकों की समस्याओं के बारे में बताते हुए वीडियो शेयर किया।