पंचकूला विकास मंच को न्यायालय ने दी जमानत
- पंचकूला विकास मंच के देवराज शर्मा राकेश अग्रवाल और मंजू कुमार को जमानत मिल गई।
सूरज त्रिपाठी/ सारिका तिवारी, पंचकूला, डेमोक्रेटिक फ्रंट :
इस पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता एडवोकेट दिनेश जांगड़ा ने कहा के निगम के अफसर अपनी कारगुज़ारियों को छुपाने के लिए पंचकूला विकास मंच के सदस्यों के खिलाफ चल रहे हैं।
यह मुकदमा समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के विरुद्ध इसलिए दर्ज करवाया गया जिससे कि अनियमितताओं में लिप्त निगम के अधिकारियों के कारनामों पर लीपापोती हो सके । एडवोकेट जांगड़ा ने कहा की कोरोना मृतकों के दाह संस्कार के आंकड़ों में झोल पर पंचकूला विकास मंच इन सदस्यों के आवाज उठाने के बाद संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर मामला दर्ज हुआ था । इससे बचने के लिए निगम अधिकारियों ने यह बहाना लिया है ।
आपको बता दें कि गत 2 अप्रैल को देवराज, राकेश अग्रवाल और मंजू कुमार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।
जानकारी देते हुए देवराज शर्मा ने बताया कि इस प्रकरण की शिकायत माननीय गृहमंत्री अनिल बिज को भेजकर पंचकूला नगर निगम के डीएमसी व कई अधिकारियों द्वारा कोरोना काल मैं मरने वाले लोगों के दाह संस्कार पर मिलने वाली सहायता के नाम पर करीब 10000000 रुपए अपने चहेते लोगों के नाम पर भिजवा कर सरकारी पैसे का गबन किया गया है।
देवराज शर्मा ने बताया कि इसकी शिकायत नगर निगम कमिश्नर द्वारा जांच नगर निगम के ही ज्वाइंट कमिश्नर विनेश कुमार एचसीएस द्वारा करवाई गई जांच रिपोर्ट में शिकायत मुताबिक घोटाला साबित हुआ। सरकारी पैसे के गबन करने में 6 मुख्य अभियुक्त बनाए गए जिनसे रिकवरी करने व घोटाला करने सरकारी पैसे के गबन करने वाले मामला पुलिस में दर्ज करवाने को लिखा गया।
इस मामले में सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई साथ ही शिकायतकर्ता पर ही झूठे आरोप लगाकर डीएमसी द्वारा प्राथमिकी करवा दी गई। इस बाबत जब देव राज शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता को परेशान करने के लिए धारा 353 लगा दी गई थी सभी ऑडियो और वीडियो रिकॉर्ड के मुताबिक वह मौके पर कोई ऐसी घटना नहीं हुई जिसमें किसी सरकारी कर्मचारी व अधिकारी के काम में बाधा डाली गई हो तथा नगर निगम आयुक्त ने अभियुक्तों को रिकवरी लेटर भी जारी कर दिया परंतु पैसा किसी से वापस नहीं लिया गया। इसके विपरित सरकारी पैसे को खाने के लिए निगम के डीएमसी द्वारा उपरोक्त अभियुक्तों द्वारा रिकवरी पर स्टे लेने के लिए स्थानीय कोर्ट में केस भी लगवा दिया ताकि कोई रिकवरी ना हो।
उन्होंने शिकायत में हरियाणा सरकार में भी इस प्रकरण की जांच की गुहार लगाई कि किसी रिटायर जज व स्टेट विजिलेंस से करवाई जाए ताकि झूठा व बेबुनियाद मुकदमा जल्द से जल्द रद्द करवाया जाए और इस प्रकरण में पाए जाने वाले अभियुक्तों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए ,जोकि दाह संस्कार के नाम पर हरियाणा सरकार द्वारा मुफ्त दी गई लगभग 4000 क्विंटल लकड़ी बेचकर उसके पैसे का भी गमन हुआ है।