पाकिस्तान में इमरान खान की पारी का ‘THE END’, सरकार सिर्फ 3 साल 7 महीने 23 दिन चली
पाकिस्तान में इमरान खान को आखिरकार प्रधानमंत्री पद गंवाना ही पड़ा। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया। इसके बाद शहबाज शरीफ के नेतृत्व में नई सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। पाकिस्तान के अगले संभावित प्रधानमंत्री और संसद में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने कहा, ‘हम किसी से बदला नहीं लेंगे, किसी के साथ अन्याय नहीं करेंगे और किसी को जेल में नहीं डालेंगे। कानून अपना रास्ता खुद बना लेगा।’ 69 साल के इमरान खान 2018 में सत्ता में आए थे। उन्होंने देश की व्यवस्था में बड़े सुधारों का वादा किया था ताकि भ्रष्टाचार खत्म हो और देश आर्थिक तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़े। लेकिन उन पर आर्थिक कुप्रबंधन और विदेश नीति के मोर्चे पर गलतियां करने के आरोप लगे। देश में आसमान छूती महंगाई, तेजी से बढ़ती बेरोजगारी, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की दुर्गति और देश पर बढ़ते कर्ज ने उनकी लोकप्रियता को भारी नुकसान पहुंचाया है।
इस्लामाबाद/नयी दिल्ली/चंडीगढ़, डेमोक्रेटिक फ्रंट :
इमरान खान को आखिरकार पाकिस्तान की सत्ता से बेदखल होना पड़ ही गया। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 9 अप्रैल की देर रात अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में इमरान को विपक्ष के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी। इमरान खान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 174 सांसदों ने मतदान किया, जो बहुमत के आंकड़े से 2 मत ज्यादा हैं। पाकिस्तान की 342 सदस्यों वाली संसद में बहुमत का आंकड़ा 172 है. इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से बेदखल होने के बाद विपक्षी दल के नेताओं ने खुशी का इजहार किया।
इमरान खान 18 अगस्त 2018 को चुनाव में जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद सत्ता में आए थे। इस प्रकार उनकी सरकार 3 साल 7 महीने 23 दिन चली। आखिरी दिन इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली में 12 घंटे से अधिक समय तक बहस चली और इसके बाद पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति ने अलग मोड़ ले लिया। आखिरी समय में इमरान के साथ 26 साल के करीबी रिश्ते का जिक्र करते हुए स्पीकर असद कासिर ने पद से इस्तीफा दे दिया। अयाज सादिक को इसके बाद अध्यक्ष के आसन पर बैठाया गया और इमरान खान के भाग्य का फैसला हो गया।
इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के परिणाम की घोषणा अध्यक्ष के चेयर पर बैठे अयाज सादिक ने की। उन्होंने कहा कि 174 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में अपने वोट किए हैं, जिसके तहत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के प्रस्ताव को बहुमत से पारित किया गया है। मतदान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सदन के विपक्षी सदस्यों ने विजय भाषण दिए। इसके बाद संसद के सत्र को सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
इमरान खान से पहले पाकिस्तान के दो प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था, लेकिन उसे पास नहीं कराया जा सका। बेनजीर भुट्टो और शौकत अजीज के खिलाफ पूर्व में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन इन दोनों प्रधानमंत्रियों ने अविश्वास प्रस्ताव को पास नहीं होने दिया। इससे उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं आया। इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव को पास होने से रोक नहीं पाए। इस प्रकार वे देश के पहले प्रधानमंत्री बन गए, जिनको अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हार का सामना करना पड़ा है।
विपक्षी सदस्य अयाज सादिक ने स्पीकर का पद संभाला और अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई। इसके मुताबिक 174 सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जो बहुमत से दो ज्यादा है। इसका मतबल है कि अब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रहे। अब संसद अपना नया नेता चुनेगी। इस तरह विपक्षी नेता शहबाज शरीफ का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय है। वह पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं और आबादी के लिहाज से पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद शहबाज शरीफ ने संसद में कहा कि नई सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कानून अपना काम करेगा और अदालतों के काम में कोई बाधा नहीं डाली जाएगी। शरीफ के सहयोगी और पाकिस्तानी पीपल्स पार्टी के नेता बिलावल भट्टो जरदारी ने 10 अप्रैल को पाकिस्तान के इतिहास का अहम दिन बताया, जब किसी प्रधानमंत्री को पहली बार अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता ने बेदखल किया गया है।
नवाज शरीफ की बेटी और पीएमएल (एन) की नेता मरियम नवाज ने ताजा घटनाक्रम पर ट्वीट कर कहा है कि पाकिस्तान का दुस्वप्न खत्म हो गया है और अब इसे संभालने और संवारने का समय है।
इससे पहले, इमरान खान ने शनिवार को कहा कि वह नेशनल असेंबली को बहाल करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं लेकिन वे इसे स्वीकार करते हैं। इमरान खान लगातार इस बात को कहते आ रहे हैं कि उन्हें ‘अमेरिकी साजिश’ के तहत से सत्ता से बाहर किया जा रहा है। उनके मुताबिक उन्होंने विदेश नीति पर अमेरिकी दबाव को मानने से इनकार कर दिया है और इसीलिए अमेरिका नहीं चाहता कि वह सत्ता में रहें। दूसरी तरफ, अमेरिका ने पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया है।
इमरान खान के आलोचकों का कहना है कि वह जनता की सहानुभूति पाने के लिए झूठी कहानियां रच रहे हैं। वहीं इमरान खान ने अपने समर्थकों से रविवार को सड़कों पर निकलने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, “मैं संघर्ष करने को तैयार हूं।” इमरान खान की तहरीक ए इंसाफ पार्टी के नेता और मौजूदा विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें अपने नेता के साथ खड़े रहने पर गर्व है।
69 साल के इमरान खान 2018 में सत्ता में आए थे। उन्होंने देश की व्यवस्था में बड़े सुधारों का वादा किया था ताकि भ्रष्टाचार खत्म हो और देश आर्थिक तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़े। लेकिन उन पर आर्थिक कुप्रबंधन और विदेश नीति के मोर्चे पर गलतियां करने के आरोप लगे। देश में आसमान छूती महंगाई, तेजी से बढ़ती बेरोजगारी, डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की दुर्गति और देश पर बढ़ते कर्ज ने उनकी लोकप्रियता को भारी नुकसान पहुंचाया है।