संबोधन में भावुक हुए इमरान खान, भारत को बताया खुद्दार देश
इमरान ने कहा, खुलेआम हॉर्स ट्रेडिंग हो रही है, भेड़ बकरियों की तरह नेताओं को होटलों में बंद किया जा रहा है। ये कौन सी जम्हूरियत है। इंसाफ के सबसे बड़े फोरम से हम उम्मीद करते थे कि वो इसका संज्ञान लेगा। आज पाकिस्तान का मजाक बन गया है। पैसे के लिए ये लोग अपना जमीर बेच रहे हैं। रिजर्व सीट वाले भी बिक रहे हैं, जबकि इसे तो पार्टी वाले तोहफे के रूप में देते हैं।
- इमरान खान ने अवाम के नाम संबोधन में अमेरिका के खिलाफ जमकर बयानबाजी की
- बोले- मैंने अमेरिका का विरोध किया, इसलिए हटाने की कोशिश की जा रही
- विपक्षी पार्टियों पर लगाया बिकने का आरोप, भारत की खूब तारीफ की
इस्लामाबाद/नयी दिल्ली, डेमोक्रेटिक फ्रंट :
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से निराशा जताई, जिसमें नेशनल असेंबली को भंग करने और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को उनके द्वारा दी गई सलाह को असंवैधानिक करार दिया गया है। राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उन्होंने कोर्ट के फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि विदेशी साजिश की बात को कोर्ट ने क्यों नहीं देखा, कोर्ट को सबूत देखने चाहिए थे।
उन्होंने आगे कहा, “देश में खुलेआम सांसदों की खरीद फरोख्त हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट को इसे देखना चाहिए था. विपक्ष के लोग बिके हुए हैं।” अपने संबोधन के दौरान इमरान खान ने एक बार फिर भारत की तारीफ की। वे हिन्दुस्तान का नाम लेकर भावुक हुए और कहा कि भारत में उन्हें बहुत इज्जत मिली। भारत को खुद्दार देश बताते हुए उन्होंने वहां की आजाद विदेश नीति को भी सराहा. उन्होंने कहा, “किसी की जुर्रत नहीं की भारत के खिलाफ साजिश करे। दुनिया में भारत की इज्जत है, लेकिन हम गुलाम मुल्क।”
इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान में खुलेआम नेताओं के जमीर खरीदे जा रहे हैं। भेड़ बकरियों की तरह नेताओं को खरीदा जा रहा है। बच्चे-बच्चे को पता है कि नेताओं को खरीदा जा रहा है। पाकिस्तान की डेमोक्रेसी का मजाक बन गया है। बनाना रिपब्लिक में भी ऐसा नहीं होता है। कौम जिसकी 60 फीसदी से ज्यादा आबादी युवाओं की है। फ्यूचर को हम गाइड नहीं करेंगे तो वो भी यह समझेंगे कि मुल्क की लीडरशिप सही नहीं हैं। नेताओं को खरीदने की शुरुआत शरीफ भाइयों ने की थी।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में हमारे राजदूत की मुलाकात वहां के एक वरिष्ठ अधिकारी से हुई। इस दौरान अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इमरान खान को रूस नहीं जाना चाहिए था। अगर इमरान खान अविश्वास प्रस्ताव से बच जाते हैं तो पाकिस्तान को मुश्किलों का सामना करना होगा। लेकिन, अगर इमरान खान हार जाते हैं तो पाकिस्तान को माफ किया जा सकता है। इमरान खान ने आरोप लगाया कि अमेरिका को पता है कि पाकिस्तान में कौन सत्ता में आने वाला है।
हम 22 करोड़ लोग हैं, एक देश हमारे लोगों को हुक्म दे रहा है कि अगर आपका पीएम बच जाता है तो हम माफ कर देंगे। उन्होंने कहा कि अगर हमे ऐसे ही जिंदगी गुजारनी है तो हम आजाद क्यों हुए थे। हमारी पार्टी से सांसदों को भी एकाएक पता चलता है कि इमरान खान बुरे आदमी हैं। मीडिया में भी पैसा चल रहा है। मीडिया भी जश्न मना रही है कि इमरान खान की सरकार काफी बुरी है।
उन्होंने कहा कि हमें पता चला है कि अमेरिका के डिप्लोमेट्स पाकिस्तानी राजनेताओं से मिल रहे हैं। चंद महीने पहले ही उन्होंने नेताओं को बुलाकर कहा था कि इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने वाला है। ऐसे में मेरा कौम से सवाल है कि हम किस तरह की सरकार चाहते हैं। शहबाज शरीफ पर अमेरिका का पिछलग्गू होने का आरोप लगाया। इमरान ने दावा किया कि मेरे बारे में पूरा पाकिस्तान जानता है। मैने कोई जुर्म नहीं किया है।
इमरान खान ने कहा कि ड्रोन हमलों का विरोध किया। अफगानिस्तान में बातचीत का समर्थन किया। इराक में हमले का विरोध किया। पाकिस्तान में 400 ड्रोन हमले हुए, इसके खिलाफ मैंने ही धरने दिए थे और विरोध किया था। अमेरिका को पता है कि इमरान खान की कोई जायदाद विदेशों में नहीं है, कोई बैंक बैलेंस नहीं है। ऐसे में इमरान खान को दबाया नहीं जा सकता है। ऐसे में वे विपक्षी पार्टियों के जरिए हमें हटाने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 4000 किलोमीटर की दूरी से एक आदमी रिमोट का बटन दबाता है और यहां लोग मारे जाते हैं। पाकिस्तान में 400 ड्रोन हमले किए गए। शादियों में, मदरसों पर ड्रोन हमले किए गए। हमारी विपक्षी पार्टियां पूरी तरह से अमेरिका के नियंत्रण में हैं।
हमारे साथ ही भारत आजाद हुआ था। भारत से हमें रेस्पेक्ट मिला प्यार मिला। मुझे बहुत अफसोस है कि आरएसएस के विचारधारा के कारण और कश्मीर में जो किया उसके कारण हमारे रिश्ते अच्छे नहीं हैं। भारत खुद्दार कौम है, कभी किसी की जुर्रत नहीं है कि वहां ऐसी बात करें। किसी सुपर पावर की हैसियत नहीं है कि वे भारत के खिलाफ कुछ करें। मैं भी वैसा ही सोचना हूं। मैं अपने लोगों को कुर्बान नहीं कर सकता। 35 लाख लोगों को अपना घरबार छोड़कर जाना पड़ा। 80 हजार लोग मारे गए। डॉलर्स के लिए हमें युद्ध में फंसा दिया गया। अगर हम अमेरिका से पैसे लिए बिना आतंक के खिलाफ युद्ध में गए होते तो हम अफगानिस्तान में अपने भाइयों को मदद करते।