हरियाणा सरकार ने अभिभावकों को दी बड़ी राहत, निजी विद्यालय अब  हरियाणा में दुकान विशेष से स्कूल वर्दी और कापी-किताब खरीदने का दबाव नहीं बना सकेंगे

हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने स्कूल संचालकों पर आरोप लगाया है कि वे अपने स्कूल में नियमानुसार एनसीईआरटी की किताबें ना लगाकर कमीशन खाने के चक्कर में प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी व मोटी किताबें लगा रहे हैं और अभिभावकों पर उन्हीं को अपने स्कूल के अंदर खुली दुकानों या बाहर अपनी बताई गई दुकानों से ही खरीदने का दबाव डाल रहे हैं। बाजार में जो कॉपी या स्टेशनरी कम दाम में मिलती है उसे भी अपनी बताई गई दुकान से ही महंगे में खरीदवाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिन किताबों की कोई जरूरत नहीं है उन्हें भी खरीदने के लिए कहा जा रहा है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच की ओर से फरीदाबाद सहित अन्‍य जिलों में जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। इस पत्र में मंच की ओर से कहा गया है कि स्‍कूलों की ओर से एक अप्रैल 2022 से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र में स्कूल संचालकों द्वारा एनसीईआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबों को खरीदवाने से उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है।

राज्य ब्यूरो, डेमोक्रेटिक फ्रंट,, चंडीगढ़: 

हरियाणा सरकार ने अभिभावकों को बड़ी राहत दे दी है। हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिया है कि मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल अपने विद्यार्थियों को स्कूल की तरफ से बताई गई किसी खास दुकान से किताबें और वर्दी आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। अगर कोई स्कूल ऐसा करेगा तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

 हरियाणा में प्राइवेट स्कूल बिना फार्म-6 भरे फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे। न ही विद्यार्थियों व अभिभावकों पर दुकान विशेष से स्कूल वर्दी और कापी-किताब खरीदने का दबाव नहीं बना सकेंगे। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद बृहस्पतिवार को स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से इस बाबत निर्देश जारी किए हैं ।

खास बात यह है कि बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूल पहले ही फीस में बढ़ोतरी कर चुके हैं। वहीं अभिभावकों द्वारा उन्हीं दुकानों से स्कूल वर्दी और कापी-किताबें भी खरीदी जा चुकी हैं। एक और रोचक पहलू यह है कि अधिकांश जिलों में कापी-किताबों और वर्दी के लिए पहले से ही दुकानें तय हैं। इन दुकानों से अलग अन्य कहीं वर्दी भी कम ही मिलती है।

बड़े कान्वेंट स्कूलों के मामले में तो कम से कम ऐसी ही ग्राउंड रियलटी है। स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी मंडल आयुक्तों, डीसी, जिला शिक्षा व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों तथा जिला परियोजना अधिकारियों को इस बाबत निर्देश जारी किए हैं। इन अधिकारियों को कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि बिना फार्म-6 भरे फीस बढ़ाने वाले स्कूल संचालकों पर कार्रवाई की जाए।

फार्म-6 भरने वाले स्कूल ही फीस में बढ़ोतरी कर सकेंगे। इस संदर्भ में सरकार द्वारा 8 दिसंबर को नोटिफिकेशन भी जारी किया था। इस नोटिफिकेशन की कापी भी जिलों में भेजी गई है। नया फार्म-6 भरने की अंतिम तिथि पहली फरवरी, 2022 थी। इसे बढ़ाकर 15 फरवरी, फिर 15 मार्च और आखिर में 31 मार्च किया गया।

इसी तरह से जिलों के अधिकारियों को कहा है कि वे सुनिश्चत करें कि कोई भी प्राइवेट स्कूल विद्यार्थियों को किसी दुकान से वर्दी, पुस्तकें, कार्य पुस्तिकाएं, लेखन सामग्री, जूते आदि स्कूल द्वारा निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए बाध्य न करे।