दुनिया के सबसे छोटे हार्ट पंप इम्पेला लगाने उपरांत एंजियोप्लास्टीने 81 साल की महिला को दी नई जिंदगी
- दुनिया का सबसे छोटा हृदय पंप – इम्पेला – जीवन बचाता है
- जिन हृदय रोगियों की सर्जरी करना और एनेस्थीसिया देना संभव नहीं उनके लिए जीवनदायी है हार्ट पंप इम्पेला उपरांत एंजियोप्लास्टीउपचार तकनीक :- डॉ बाली
अजय कुमार, चंडीगढ़, डेमोक्रेटिक फ्रंट – 06 अप्रैल :
अगर आपके दिल की मासपेशियाँ कमजोर हैं, दिल की एक से जायदा धमनियां / नाड़ियाँ बंद हैं, आपएक से अधिक गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं जिसके कारण से आपको बेहोश कर सर्जरी यां एनजियोप्लास्टी नहीं की जा सकती और ऊपर से आपको हार्ट अटैक आजाये तो चिंता ना करें, आप सिर्फ समय पर उस हस्पताल पहुँच जाएं जहां पर हृदय विशेषज्ञ सुरक्षित एंजियोप्लास्टीके माध्यम से पहले इम्पेला हार्ट पम्प डालें और फिर बिना सर्जरी और बिना बेहोश किए दिल की धमनियां खोल दें ।
पारस अस्पताल के हृदय रोग विज्ञान विभाग के चेयरमैन डॉ. एच.के. बाली के नेतृत्व में हृदय रोग विशेषज्ञों की टीम ने मरीज के दिल में दुनिया के सबसे छोटे हृदय पंप इम्पेला को डालने के उपरांत सुरक्षित एंजियोप्लास्टी (पीसीआई) के माध्यम से पाँच स्टेंट डालकर 81 वर्षीय महिला को एक नया जीवन दिया, जिसे पिछले हफ्ते जानलेवा दिल का दौरा पड़ा था।
विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ बाली ने बताया कि पंचकूला की कमला (बदला नाम) दिल का दौरा पडऩे के बाद अस्पताल आई थी, जिसकी हृदय की बाईं मुख्य धमनी सहितधमनियां भारी 3रूप से सख्तहोने के उपरांत गंभीर रूप से अवरुद्ध हो गईं थी। मरीज की कई अन्य बीमारियों के कारण हृदय की सर्जरी संभव नहीं थी। उन्होंने कहा कि मरीज और परिवार के सदस्यों के साथ चर्चा के बाद इम्प्लांट को फिट करने के उपरांत एंजियोप्लास्टी का निर्णय लिया गया। डॉ बाली ने कहा, ऐसा करने से वह उस रोगी के जीवन को बचाने में सक्षम रहे। एंजियोप्लास्टी उपरांत दिल के स्थिर होने के बाद पंप को भी हटा दिया गया।इंपेला हृदय पंप का उपयोग करके संरक्षित एंजियोप्लास्टी को दूसरी बार अस्पताल में सफलतापूर्वक किया गया है।
उन्होंने कहा कि पारस अस्पताल पंचकूला इस क्षेत्र का एकमात्र प्राइवेट अस्पताल है जहां सुरक्षित एंजियोप्लास्टी (पीसीआई) संभव था और इस विधि द्वारा स्वस्थ होने वाला यह दूसरा मरीज था |
डॉ बाली ने कहा ‘ऐसे मामलों में जहां सर्जरी संभव नहीं है और मरीज को एनेस्थीसिया नहीं दिया जा सकता है, वहां एक सुरक्षित एंजियोप्लास्टी की जरूरत होती है।’उन्होंने कहा कि जहां रोगियों को पहले से ही हृदय शल्य चिकित्सा, बुढ़ापे या अन्य बीमारियों के कारण उच्च जोखिम होता है वहा इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है।\