कश्मीरी हिंदुओं को अबकी बार मातृभूमि में ऐसे बसना है कि फिर कोई उजाड़ न सके: मोहन भागवत
डॉ मोहन भागवत ने कहा कि अब कोई भी कश्मीरी पंडितों को जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है। और अगर कोई कोशिश करता है, तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा, ‘2011 में हमने वापस लौटने के लिए इसी तरह का समर्पण किया था, लेकिन वो समय नहीं था। अब समय आ गया है कि हम अपनी शर्तों के साथ वापस आएं और वहां बस जाएं. आपको वहां बसने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस तरह से बसना है कि आप फिर से उजड़ न जाएं।’ उन्होंने कहा कि अब कश्मीर में ऐसे बसेंगे कि फिर कोई विस्थापित न कर सके. धैर्य के साथ अपना प्रयास जारी रखना है। संपूर्ण भारत का अभिन्न अंग बन कर कश्मीर में बसना और रहना है।
- आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि अब संकल्प पूरा करने का वक्त आ गया
- अगले साल कश्मीरी हिंदुओं का नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प पूरा करना जरूरी: भागवत
- आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कश्मीरी हिंदुओं को संबोधित किया
नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :
संघ प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि कश्मीरी पंडितों को अगले साल अपनी मातृभूमि में बसने का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही भागवत ने कहा कि उन्हें इस तरह से बसना चाहिए कि वे भविष्य में कभी भी वहां से फिर से उजड़ न जाएं। आरएसएस प्रमुख ने ये भी कहा कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने न केवल विस्थापित कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को दिखाया है, बल्कि देश को भी हिला दिया है। भागवत ने बातें तीन दिवसीय नवरेह उत्सव के अंतिम दिन कही।
रविवार (3 अप्रैल 2022) को एक भागवत ने कहा, कश्मीरी पंडितों का पर्व नवरेह वर्ष का प्रारंभ होता है। साथ ही यह संकल्प का दिन भी होता है। परिस्थितियाँ आती-जाती रहती हैं, लेकिन अपने संकल्प को बनाए रखना और उसके लिए उद्यम करना आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति पर विजय हासिल करने के लिए संकल्प लेना चाहिए।
कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को लेकर उन्होंने कहा, “परिस्थितयाँ तो सब प्रकार की जीवन में आती हैं। परिस्थितियाँ आती हैं तो जाती भी हैं। परिस्थितियों में हमारी कसौटी होती है और उस कसौटी को पार करके हमारी सक्षमता में और वृद्धि होती है। इसलिए उस परिस्थिति में अपने उद्यम, अपने परिश्रम, अपने धैर्य और साहस का महत्व रहता है। उसी आधार पर हम उस परिस्थिति को पार भी करते हैं। हम आज ऐसी ही परिस्थिति में हैं। हम अपने ही देश में अपने घर से विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं और उससे पार पाएँगे।”
इजरायल से विस्थापित हुए यहूदियों के संघर्ष को याद करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, “परिस्थिति के सामने हारना नहीं चाहिए। अपनी भूमि से सारी दुनिया भर में इजरायल के लोग भी परिस्थिति के चलते बिखर गए थे। उनका भी एक त्योहार होता है और उस दिन वो संकल्प करते थे कि अगले वर्ष यरुशलम चलेंगे। इस संकल्प को उन्होंने 1800 वर्ष तक जारी रखा। पहले 1700 वर्ष तो उन्होंने केवल संकल्प लिया और अगले 100 साल के उद्यम में फिर से उसी भूमि में एक स्वतंत्र इजरायल को स्थापित किया। अगले 30 वर्षों में सब बाधाओं का उन्होंने शाश्वत ईलाज किया और आज इजरायल को दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों में बना दिया।”
कश्मीर फाइल्स फिल्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर के पीड़ितों के साथ है, इसका सबूत इस फिल्म के दौरान देखने को मिला। विस्थापन की विभीषिका का सत्य चित्र दुनिया के सामने लाया गया और इसने भारत के लोगों को झंझोड़ कर जगा दिया। भागवत ने कहा कि इस फिल्म ने स्पष्ट कर दिया है कि कितना सचेत रहने की जरूरत है। भागवत ने कहा कि कश्मीरी पंडित दुनिया भर में विस्थापित हुए हैं, लेकिन अभी उनके पास अपनी एक भूमि और है और वह है भारत की भूमि। पूरा भारत आज कश्मीरी पंडितों के साथ है। उस साथ के चलते परिस्थितियाँ बदल रही हैं।
विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास को लेकर भागवत ने कहा कि भारत के लोगों की भावनाओं के देखकर लगता है कि विस्थापित कश्मीरी अगले वर्ष तक अपने घर और भूमि पर फिर से रहने लगेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें अब देरी नहीं है। यह निश्चित होगा और जल्दी होगा।