पंचांग 3 अप्रैल 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः श्रीमत्स्य जयंती (अपराह्ण व्यापिनी)।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः चैत्ऱ, पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः द्वितीया दोपहर 12.39 तक है,
वारः रविवार।
विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर रविवार को पान खाकर लाल चंदन, गुड़ और लड्डू का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः अश्विनी दोपहर 12.37 तक है,
योगः वैधृति प्रातः काल 07.52 तक,
करणः कौलव,
सूर्य राशिः मीन, चंद्र राशिः मेष,
राहु कालः सायंः 4.30 से सायं 6.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.13, सूर्यास्तः 06.36 बजे।