एक्साइज पॉलिसी को दी मंजूरी, पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र कल
पंजाब कैबिनेट ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में गुरुवार को साल 2022-23 के दौरान एक अप्रैल से 30 जून तक तीन महीने के समय के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार, तीन माह के लिए नवीनीकरण की गई इस आबकारी नीति के अंतर्गत शराब कारोबार में स्थिरता बरकरार रखने के उद्देश्य से मौजूदा लाइसेंसधारकों, जो अपने ग्रुप/जोन के लिए वित्त वर्ष 2021-22 की अपेक्षा न्यूनतम गारंटी राजस्व पर 1.75 फीसदी अतिरिक्त राशि देने को तैयार हैं, वे कारोबारी अपना काम जारी रख सकेंगे। हालांकि शराब के ठेके के ग्रुपों/जोनों की संख्या पहले वाली ही रहेगी।
चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट :
पंजाब कैबिनेट ने सोमवार को पंजाब आबकारी नीति 2021-22 को मंजूरी दे दी। राज्य सरकार ने इसके तहत आबकारी राजस्व के रूप में 7002 करोड़ रुपए के अनुमानित लाभ का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो मौजूदा वर्ष के 5794 करोड़ रुपए के लक्ष्य की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक है। हालांकि नई नीति के तहत राज्य में शराब के दाम बढ़ाने से बचा गया है। नई आबकारी नीति में रिटेल लाइसेंसियों को राहत देने और शराब कारोबार को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि इन तीन महीनों के लिए राज्य के ग्रुपों/जोनों का न्यूनतम गारंटी राजस्व 1440.96 करोड़ रुपये है, जबकि कम समय की इस आबकारी नीति से 1910 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दौरान अतिरिक्त राजस्व एकत्रित करने के लिए प्रत्येक ग्रुप/जोन के लिए देसी शराब, अंग्रेजी शराब, बीयर और आईएफएल के न्यूनतम गारंटी कोटे को पिछले साल की पहली तिमाही से 10 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।
प्रवक्ता ने जानकारी दी कि छोटे(परचून) लाइसेंसधारकों को उनकी जरूरत के अनुसार शराब उठाने की मंजूरी देते हुए अतिरिक्त निश्चित लाइसेंस फीस में वृद्धि की गई है। निश्चित और ओपन कोटे का अनुपात वित्त वर्ष 2021-22 की तरह 30:70 ही रखा गया है। प्रवक्ता ने बताया कि शराब की ढुलाई को नियंत्रित करने के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान आईटी आधारित ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम लागू किया जाएगा।
पंजाब सरकार ने एक अप्रैल को 16वीं विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुला लिया है। सत्र शुक्रवार सुबह 10 बजे शुरू होगा और सत्र की लाइव कार्यवाही पंजाब सरकार और सीएमओ के फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब हैंडल पर उपलब्ध कराई जाएगी। जानकारी के अनुसार गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के दौरान भी विधानसभा के उक्त विशेष सत्र के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इस विशेष सत्र में राज्य सरकार यूटी चंडीगढ़ में केंद्रीय सेवा नियम लागू किए जाने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर सकती है।
इसके अलावा प्रदेश में विधायकों को एक पेंशन संबंधी फैसले समेत मुख्यमंत्री द्वारा हाल ही में की गई विभिन्न घोषणाओं पर भी मुहर लगाई जा सकती है। सूत्रों के अनुसार भगवंत मान सरकार सदन में चंडीगढ़ के मुद्दे पर चर्चा करा सकती है। इस संबंध में केंद्र की अधिसूचना के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए केंद्र से फैसला वापस लेने की मांग कर सकती है, क्योंकि यह पंजाब और पंजाबियों की प्रतिष्ठा से जुड़ा मुद्दा है। इसके अलावा सभी विपक्षी दल भी आम आदमी पार्टी सरकार पर केंद्र के दबाव में आने का आरोप लगा रहे हैं।
इसके साथ ही सदन में कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होना तय है, जिसमें विधायकों की पेंशन और प्रदेश के निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी रोकने संबंधी फैसले शामिल हैं। केंद्र सरकार द्वारा रोके गए ग्रामीण विकास फंड (आरडीएफ) को लेकर भी सदन में शोरशराबा होने के आसार हैं।