कांग्रेस की कलह फिर सामने आई, विश्वबंधु राय ने सोनिया गांधी को भेजा पत्र
महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायकों का कहना है कि गठबंधन सरकार की तो छोड़िये यदि हमारे मंत्री ही हमारी नहीं सुनेंगे तो आगामी चुनावों में पार्टी कैसे अच्छा प्रदर्शन कर पाएगी। इकॉनामिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन विधायकों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर तुरंत दखल देने की मांग की है, ताकि चीजें बिगड़ने से पहले संभल जाए। विधायकों ने कहा कि कांग्रेस के मंत्री हमारी चिंताओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और वे हमसे तालमेल नहीं बना रहे हैं।
- विधानसभा में कांग्रेस के 44 विधायक हैं, इनमें से 25 विधायकों ने नाराजगी जताई है
- कांग्रेस के लिए यह खतरे का संकेत माना जा रहा है, नाराज विधायकों ने सोनिया गांधी को लेटर लिखा है
- इन 14 के अलावा 30 विधायक हैं, उनमें से 25 विधायकों ने नाराजगी जताई है
मुंबई/नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :
महाराष्ट्र कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। राज्य के विधायकों की नाराजगी और उनके कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगे जाने के बाद अब ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य विश्वबंधु राय ने भी सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। उन्होंने राज्य में कांग्रेस की स्थिति को लेकर संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि जैसा नुकसान पार्टी को पंजाब में हुआ, वैसा ही महाराष्ट्र में होने वाला है। महाराष्ट्र प्रभारी पार्टी के अंदरूनी असंतोष से अनजान रहते हैं। एनसीपी के साथ-साथ हमारे मंत्रियों से भी कई विधायक नाराज चल रहे हैं।
कॉन्ग्रेस के 25 विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार में अपनी ही पार्टी के मंत्रियों के खिलाफ शिकायत करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मिलने का समय माँगा है। इन कॉन्ग्रेस विधायकों का कहना है कि पार्टी के मंत्री भी उनकी बात नहीं सुनते। उनकी चिंताओं का जवाब नहीं देते हैं। विधायकों ने सोनिया गाँधी को भेजे पत्र में उनसे हस्तक्षेप करने और चीजों को सही करने का आग्रह किया है।
कुछ विधायकों ने ET से कहा है कि महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्री, विशेष रूप से कॉन्ग्रेस के मंत्री, उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। उनमें से एक ने कहा, “अगर मंत्री विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में काम को लागू करने के अनुरोधों की अनदेखी करते हैं, तो पार्टी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कैसे करेगी?”
पार्टी में कोऑर्डिनेशन की कमी का संकेत देते हुए विधायकों ने कहा कि उन्हें पिछले सप्ताह ही पता चला कि कॉन्ग्रेस के प्रत्येक मंत्री को पार्टी विधायकों से जुड़े मसलों का तरीके से समाधान करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत हर मंत्री के जिम्मे तीन पार्टी विधायक आते हैं। एक कॉन्ग्रेस विधायक ने कहा, “हमें इसके बारे में तब पता चला जब एचके पाटिल ने हाल ही में एक बैठक की थी। इसमें बताया गया कि कॉन्ग्रेस मंत्रियों को तीन-तीन विधायक आवंटित किए गए हैं। राज्य मे एमवीए की सरकार बनने के कुछ महीने बाद ही ऐसा किया गया था। लेकिन हमें इसके बारे में सरकार बनने के ढाई साल बाद पता चल रहा है। अब भी कोई नहीं जानता कि कौन सा मंत्री हमसे जुड़ा हुआ है।”
इसके अलावा कॉन्ग्रेस के विधायकों का यह भी कहना है कि इस तरह की परिस्थिति के कारण राज्य में पार्टी एनसीपी से भी पिछड़ रही है। विधायकों ने चिट्ठी में लिखा है कि एनसीपी के नेता और उद्धव सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार लगातार अपनी पार्टी के विधायकों से मिलते हैं, उनकी बात सुनते हैं और योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था भी कराते हैं। उन्होंने ये भी लिखा है कि एनसीपी लगातार कॉन्ग्रेस पर निशाना साधती है। अगर अभी कदम नहीं उठाया गया, तो कॉन्ग्रेस बाकी राज्यों की तरह महाराष्ट्र में हाशिए पर चली जाएगी। विधायकों ने कहा कि पंजाब में पार्टी की हार के बाद तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर पार्टी का महाराष्ट्र में ऐसा ही रवैया रहता है तो पंजाब जैसा परिणाम आ सकता है। बता दें कि हालिया विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस को पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में करारी हार मिली है।