Friday, June 6

चंडीगढ़ :

नामधारी पंथ के वर्तमान मुखी सतगुरु दलीप सिंह की पहल पर गत दिनों   दुनिया का पहला ‘सर्वधर्म एकता सम्मेलन ‘ आयोजित किया गया। विश्व में भाईचारे, सौहार्द के बंधनों को मजबूत करने के लिए नामधारी संगत ने पहला ‘भारतीय धार्मिक एकता सम्मेलन’ के पावन अवसर पर भारत के चार प्रमुख धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन) के आचार्य मौजूद रहे। इन चारों धर्मों के आचार्यों ने सतगुरु दलीप सिंह द्वारा किए गए एकता प्रयासों की प्रशंसा की और अपना पूरा समर्थन दिया।  इस अवसर पर हिंदू धर्म के महंत बंसी दास ने कहा कि हमारे चारों धर्मों की कई परंपराएं आपस में मिलती हैं।  जैसे: चारों धर्मों की माला में 108 मनके हैं।  ये चारों धर्म भारतीय संस्कृति के चार स्तंभ हैं, जिनसे भारतीय संस्कृति का छत्र लहरा रहा है।  

परम पूज्य दलाई लामा के प्रमुख शिष्य  तेनजिन शिवांग ने बौद्ध धर्म की ओर से एकता के लिए अपना समर्थन करने ऐलान किया। 

जैन मुनि परम पूज्य पीयूष  अस्वस्थता के कारण स्वयं नहीं आ सके लेकिन उन्होंने अपने विशेष सेवक विमल जैन को भेजा।  उन्होंने जैन मुनि जी महाराज और जैन धर्म की ओर से हर संभव तरीके से समर्थन देने का आश्वासन दिया।ठाकुर दलीप सिंह ने कहा कि हम नामधारी राष्ट्रवादी हैं। राष्ट्रवादी होने के कारण भारतीय संस्कृति और भारतीय धर्मों की रक्षा करना हमारे गुरु जी का आदेश है और हमारा परम कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश का धर्म, संस्कृति, भाषा को अलग नहीं रख सकते।