रोडरेज केस में बढ़ी नवजोत सिंह सिद्धू की टेंशन, SC ने फटकार लगाई और फैसला सुरक्षित रखा

पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान इस मामले की सुनवाई भी 3 फरवरी को होनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे 25 फरवरी तक के लिए टाल दिया। चुनाव के दौरान सुनवाई स्थगित होने से नवजोत सिंह सिद्धू को काफी राहत मिली। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू विधानसभा चुनाव हार गए हैं। उनके लिए अब समय मुश्किल भरा चला हुआ है। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा। इस वजह से नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेशाध्यक्ष के पद से भी रिजाइन करना पड़ा था। नवजोत सिंह सिद्धू केखिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

Navjot Singh Sidhu tension increased in road rage case SC reserved the  verdict also reprimanded - रोडरेज केस में बढ़ी नवजोत सिंह सिद्धू की टेंशन, SC  ने फैसला सुरक्षित रखा; फटकार भी

डेमोरेटिक फ्रंट, दिल्ली/अमृतसर:

 1988 के 34 साल पुराने रोडरेज मामले में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।  सिद्धू के खिलाफ नोटिस की अवधि बढ़ाने की मांग वाली एक अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। रोड रेज का मामला 27 दिसंबर 1988 का है। आरोप है कि सड़क पर  सिद्धू का एक बुजुर्ग से विवाद हो गया था। सिद्धू ने उन्हें  घूंसा मार दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

जस्टिस एएम खानविल्कर की पीठ के समक्ष सिद्धू के वकीलों ने कहा कि उनका इरादा हत्या करने का नहीं था। यह झगड़ा गाड़ी पार्क करने को लेकर हुआ था, जिसमें हाथापाई में गुरनमा सिंह के चेाट लग गई और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी। याचिका में कहा गया कि घटना के 38 साल बाद अब सजा बढ़ाने पर की मांग करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। कोर्ट को इस याचिका को खारिज कर देना चाहिए। सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस सांसद एएम सिंघवी और आर वसंत पेश हुए। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्क्ता सिद्धार्थ लूथरा ने बहस की।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू से कहा कि 1988 के रोड रेज मामले में समीक्षा याचिकाओं के समय पर सवाल उठाना उचित नहीं था। आपको बता दें कि सिद्धू इस मामले में चार साल तक पेश नहीं हुए थे। सितंबर 2018 में पीड़ितों द्वारा दायर की गई समीक्षा याचिका पर पहली बार नोटिस जारी किया गया था। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और संजय किशन कौल की पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले का चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। जब आप नोटिस जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं होते हैं तो आपकी ओर से टिप्पणी करना उचित नहीं है।”

सिद्धू ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में उन्हें दी गई सजा की समीक्षा से संबंधित मामले में नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका प्रक्रिया का दुरुपयोग है। सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने पीठ से कहा, “यह नकारात्मक अर्थों में एक असाधारण मामला है, जो आपके विचार करने लायक नहीं है, क्योंकि इसके आपराधिक न्याय की बुनियादी नींव को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है और इसलिए यह प्रक्रिया का दुरुपयोग भी है।”

इस मामले में शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को 65 वर्षीय बुजुर्ग को ‘स्वेच्छा से चोट पहुंचाने’ के अपराध का दोषी ठहराया था। हालांकि, उसने सिद्धू को जेल की सजा नहीं सुनाई थी और उन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने पहले सिद्धू से उस याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था, जिसमें कहा गया है कि मामले में उनकी सजा केवल स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के छोटे अपराध के लिए नहीं होनी चाहिए थी।