Sunday, January 12

संवाददाता जींद, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

आज दिनांक 23 मार्च को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में वीर क्रांतिकारी शहीदों की याद में शहीदी दिवस के मौके पर श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन व पूरे स्टाफ ने शहीद कैप्टन पवन खटकड़ की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी।

विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने सब को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दिन का भारत के इतिहास में बहुत बड़ा महत्व है। आज हम सब भारत के उन वीर क्रांतिकारी सपूतों को समर्पित करते हैं जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए और अंग्रेजों से लोहा लेते हुए आज के दिन वीरगति को प्राप्त हो गए। आज पूरा देश उनकी शहादत को सलाम करता है। आज का दिन वह दिन है जब भगत सिंह उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। यह दिन भारत के इतिहास में सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक हैं। उन्होंने बताया कि इन तीनों को बंधन पसंद नहीं था और छोटी सी उम्र में ही देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून था। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। वह उस समय के हर आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ हिस्सा लेते थे। अंग्रेजों में भी इन तीनों का खौफ इतना बढ़ गया था कि कोर्ट ने पहले 24 तारीख को फांसी देने का निर्णय किया था लेकिन उस समय ब्रिटिश सरकार को माहौल बिगड़ने का डर था। इसलिए उन्होंने उस समय यह सारे नियमों को दरकिनार करते हुए एक रात पहले तीनों क्रांतिकारियों को चुपचाप लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। इन तीनों पर अंग्रेज अफसर सांडर्स की हत्या का आरोप था। यह बदला उन्होंने अपने क्रांतिकारी दोस्त चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु होने पर लिया था। इन क्रांतिकारी वीर सपूतों का बलिदान भारतवर्ष कभी नहीं भूल सकता। आज ऐसे ही वीर क्रांतिकारी सपूतों की वजह से हम लोग निडर होकर और खुली हवा में सांस ले रहे हैं। ऐसे वीर सपूतों को पूरा विश्व विद्यालय परिवार सलाम करता है और उनकी शहादत को दिल से नमन करता है।

इस मौके पर विश्वविद्यालय स्टेट ऑफिसर डॉ अजमेर, डॉ जसवीर सुरा, डॉ अनिल कुमार, डॉ नरेश देशवाल, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ प्रवीण गलावत , डॉ राकेश कुमार, डॉ जयपाल , डॉ राजेश कुमार, सिक्योरिटी ऑफिसर होशियार सिंह, कैंपस सुपरवाइजर समरजीत सिंह आदि मौजूद रहे।