पंचांग 21 मार्च 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
विशेषः आज श्रीणेश चर्तुर्थी व्रत है, तथा भगवान्नारायण जयंती है।
विक्रमी संवत्ः 2078,
शक संवत्ः 1943,
मासः चैत्ऱ,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः तृतीया, प्रातः 08.21 तक है,
वारः सोमवार।
नोटः चतुर्थी तिथि का क्षय है। कोई तिथि, सूर्योदय से पूर्व आरंभ हो जाती है और अगले सूर्योदय के बाद तक रहती है तो उस तिथि की वृद्धि हो जाती है अर्थात् वह वृद्धि तिथि कहलाती है लेकिन यदि कोई तिथि सूर्योदय के बाद आरंभ हो और अगले सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाती है तो उस तिथि का क्षय हो जाता है अर्थात् वह क्षय तिथि कहलाती है।
नक्षत्रः स्वाती रात्रि 09.31, तक है,
योगः व्यातिपात, अपराहन् काल 03.54 तक,
करणः विष्टि,
सूर्य राशिः मीन, चंद्र राशिः तुला,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.28, सूर्यास्तः 06.29 बजे।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।