Wednesday, December 25

बीजेपी सूत्रों के अनुसार, मणिपुर में मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के अंदर खींचतान थी, इसलिए चुनाव से पहले किसी को आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर नामित नहीं किया गया था। एन. बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री के रूप में मणिपुर में 5 साल तक एक सफल सरकार का नेतृत्व किया है, लेकिन पार्टी के अंदर उन्हें बिस्वजीत सिंह से चुनौती मिल रही थी। बता दें कि मणिपुर में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 60 में से 32 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। हालांकि जीत के बावजूद सीएम के नाम को लेकर पेंच फंसा हुआ था और 10 दिन बाद आखिरकार यह साफ हुआ कि एन बीरेन सिंह ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे।

इम्फाल: 

मणिपुर में बीजेपी के फिर से सत्ता में वापसी करने के बाद राज्य का अगला मुख्यमंत्री  कौन होगा? इस पर पिछले 10 दिनों से अटकलों का दौर जारी था लेकिन आखिरकार पार्टी ने तमाम कयासों को विराम देते हुए एन बीरेन सिंह को फिर से सीएम पद के लिए चुना है।  रविवार को राजधानी इंफाल  में हुई विधायक दल की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इस मौके पर बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और किरण रिजिजू भी मौजूद रहे।

बीजेपी 2017 में कांग्रेस की 28 सीटों की तुलना में सिर्फ 21 सीटें होने के बावजूद दो स्थानीय दलों- एनपीपी और एनपीएफ के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाने में सफल रही थी। हालांकि, इस बार, भाजपा ने अकेले चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल करने में कामयाब रही। भाजपा का चुनावी मुद्दा यह था कि पार्टी को दिया गया वोट अशांत राज्य में शांति लाएगा।

मणिपुर में बीजेपी विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए बीजेपी केंद्रीय पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और किरेन रिजिजू और पार्टी नेता भूपेंद्र यादव इम्फाल पहुंचे हुए हैं। बीरेन सिंह को विधायक दल का नेता चुने जाने पर सीतारमण ने कहा कि ये बहुत ही अच्छा निर्णय है, ये सुनिश्चित करेगा कि मणिपुर में एक स्थिर और जिम्मेदार सरकार हो जो आगे निर्माण करेगी क्योंकि केंद्र पीएम मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर राज्यों पर विशेष ध्यान देता है।