Wednesday, December 25

पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत का प्रमुख कारण उसके व पंजाब की तरह ही अन्य राज्यों में भी आम आदमी पार्टी ने अपना फ्री मॉडल जनता के सामने रखा था। लेकिन, पंजाब के अलावा किसी और राज्य में उसका प्रदर्शन रहा ही नहीं है। लेकिन, इससे यह भी पता चलता है कि पंजाब में आप की विशाल जीत केवल वादों पर ही आधारित नहीं है। दरअसल, चुनाव से ठीक पहले पंजाब में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी और चरणजीत सिंह चन्नी को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बना दिया था। दे ही नहीं हैं। इसके लिए प्रदेश की राजनीतिक स्थिति ने भी अहम भूमिका निभाई है। केजरीवाल पंजाब के बारे में यह कह रहे हैं कि वहाँ इनकी पुरानी पहचान है तो उत्तर प्रदेश से केजरीवाल खुद ही मोदी के खिलाफ चुनावों में अपनी पहचान भी बना नहीं पाये थे। वही हाल इस बार भी आआपा का 4 राज्यों में रहा है।

चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 92 सीट जीत कर इतिहास रच दिया। आप की आंधी ने बड़े-बड़े दिग्गज धराशाही कर दिए। आम आदमी पार्टी का झाडू़ ऐसा चला कि सूबे की 117 सीटों में से 92 पर पार्टी का परचम लहरा गया। पंजाब के इतिहास में अब तक की ये सबसे बड़ी जीत है। 3 राज्य, 460 सीटों पर लड़े, 2 जीते, 2024 में मोदी से लड़ने का ख्वाब देखने वाली आआपा का परफॉर्मेंस यह भी है। यहाँ आआपा के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रैली की थी। पार्टी को कुल 0.38 प्रतिशत वोट मिले हैं, जो कि नोटा (0.69) से भी कम है। कानपुर में 10 में से 7 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। आआपा भाजपा से जीतने कि बात कर रही है जबकि सच यह है कि पंजाब में भाजपा कभी भी सत्तारूढ़ नहीं थी अपितु सत्ताधारियों का एक सहयोगी ही रही।

जब आम आदमी पार्टी के बीजेपी के खिलाफ उतरने की बात हो रही है तो आइए एक नजर डालते हैं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में उनकी क्या स्थिति रही। सबसे पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश की। प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की लहर के आगे इस बार भी विरोधियों और विपक्ष की एक नहीं चली। इसी के चलते भाजपा एक बार फिर अकेले अपने दम पर 403 में से 255 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। वहीं, पंजाब में करामात करने वाली आम आदमी पार्टी का यूपी में खाता भी नहीं खुला।

AAP ने यूपी चुनाव में 350 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। खलीलाबाद सीट पर पूर्व सांसद भालचंद्र यादव के बेटे सुबोध यादव से पार्टी को काफी उम्मीदें थी लेकिन वह पाँचवें नंबर पर खिसक गए। यहाँ AAP के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रैली की थी। पार्टी को कुल 0.38 प्रतिशत वोट मिले हैं, जो कि नोटा (0.69) से भी कम है। कानपुर में 10 में से 7 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।

वहीं उत्तराखंड की बात करें तो यहाँ आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे कर्नल अजय कोठियाल अपनी सीट भी नहीं बचा सके। वह उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गए। उनकी जमानत जब्त हो गई। उत्तराखंड में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन वो वहाँ पर कुल 3.31 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी।

गोवा में पहली बार आम आदमी पार्टी के दो प्रत्‍याश‍ियों ने जीत तो दर्ज की है। लेकिन उनके सीएम उम्‍मीदवार अमित पालेकर अपनी सीट हार गए हैं। वहाँ उन्हें 6.77 प्रतिशत वोट मिले हैं। AAP ने सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।