अभाविप जींद इकाई ने सावित्री बाई फुले की पुण्यतिथि पर की उनको श्रधांजलि अर्पित
जींद, हरियाणा :
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि मनाई गई। इस मौके पर विश्वविद्यालय इकाई सह मंत्री रोहन सैनी और इकाई मंत्री वर्षा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ! सावित्रीबाई फुले हमारी पहली महिला शिक्षिका समाज सुधारक एवं मराठी कवित्री थी। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मेरे स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य किया! उन्होंने 1852 में बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। उन्होंने महिलाओं के लिए बहुत ही सराहनीय कार्य किए हैं।
इस मौके पर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य परमिंदर सैनी और विश्वविद्यालय उपाध्यक्ष परविंदर डोला ने कहा कि सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल के संस्थापक थी उन्होंने अपने जीवन को एक मिशन की तरह जिया, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना! वह हमेशा समाज में महिलाओं आगे बढ़ता देखना चाहती थी और उनके लिए परस्पर प्रयासरत रहती थी! वह उस दौर में खुद भी पढ़ी बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया! जब वे स्कूल जाती थी तो विरोधी लोगों पर पत्थर मारते थे उन पर गंदगी फेंकते थे स्कूल खोलने का काम उन्होंने उस समय किया जहां पर बालिकाओं को स्कूल भेजना पाप माना जाता था।
विश्वविद्यालय मीडिया प्रभारी नवीन मलिक ने कहा कि सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं। सावित्रीबाई फुले ने जो काम उस समय में महिलाओं के लिए किया आज उसी का नतीजा है कि महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को आगे लेकर आई है और समाज के साथ देश का भी नाम रोशन किया है जिसे महिलाओं का सर्वांगीण विकास हुआ है! एक ऐसी प्रतिभा की धनी शिक्षिका, समाज सुधारीका और कवित्री को पूरा विद्यार्थी परिषद परिवार सलाम करता है।
इस मोके पर अन्नू, पूजा, आरती, कुसुम, अक्षिता, ममता, सोनम आदि छात्राए मोजूद रही।