‘आगे दौड़, पीछे छोड़’ की नीति पर चल रही है सरकार- हुड्डा
- कोरी भाषण बाजी और भ्रामक आंकड़े बाजी का मिश्रण है बजट- हुड्डा
- आर्थिक गतिविधियों के बजट में 3 और शिक्षा के बजट में 1 प्रतिशत की कटौती- हुड्डा
- सर्वाधिक बेरोजगारी व रिकॉर्ड महंगाई का सामने करने में यह बजट सक्षम नहीं- हुड्डा
- बुढ़ापा पेंशन में बढ़ोत्तरी ना करके सरकार ने बुजुर्गों के साथ किया बड़ा धोखा- हुड्डा
- पुरानी पेंशन स्कीम की मांग कर रहे कर्मचारियों के हाथ रहे खाली- हुड्डा
- महिला दिवस पर आशा और आंगनवाड़ी कर्मचारियों की हुई अनदेखी- हुड्डा
8 मार्च, चंडीगढ़ः
बीजेपी-जेजेपी सरकार द्वारा पेश किया गया बजट कोरी भाषण बाजी और भ्रामक आंकड़े बाजी का मिश्रण है। बजट को हर बार बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाता है लेकिन बाद में उसे संशोधित करके कम कर दिया जाता है। ऐसा लगता है मानो सरकार ‘आगे दौड़, पीछे छोड़’ की नीति पर चल रही है। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का।
हुड्डा ने कहा कि सरकार ने रिकॉर्ड बेरोजगारी के इस दौर में भी आर्थिक प्रगति व ढांचागत बजट में 3 प्रतिशत की कटौती कर दी। इतना ही नहीं पिछले साल के मुकाबले शिक्षा के बजट को भी कम कर दिया गया। प्रदेश पर कर्ज की मात्रा बढ़कर करीब ढाई लाख करोड़ हो चुका है। इसलिए पिछले साल के मुकाबले इस बार के बजट में कर्ज भुगतान का खर्च बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के बजट और सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते ही प्रदेश में काम धंधे ठप और रोजगार खत्म हुए हैं। ऐसा लगता है कि बजट में की गई घोषणाओं को पूरा करने में सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है। उदाहरण के तौर पर सरकार की तरफ से 4 नए मेडिकल कॉलेज बनाने का ऐलान किया गया है। जबकि सत्ता में आने के बाद से लगातार बीजेपी हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने का ऐलान करती आई है। लेकिन पिछले साढ़े 7 साल में इस सरकार द्वारा कोई भी मेडिकल कॉलेज प्रदेश में नहीं बनाया गया।
इसी तरह पिछली बार बजट में गुरुग्राम और पिंजौर में फिल्म सिटी बनाने का ऐलान किया गया था। लेकिन सरकार का यह वादा छूमंतर हो चुका है। सोहना में आईएमटी बनाने का ऐलान भी किया गया था, लेकिन नई आईएमटी बनाना तो दूर, कांग्रेस कार्यकाल में बनी आईएमटी को भी मौजूदा सरकार विकसित नहीं कर पाई।
हुड्डा ने बताया कि यही हाल 4000 नए प्ले स्कूल बनाने के वादे का है, जो जमीन पर कहीं नजर नहीं आते। सरकार ने 8वीं से 12वीं क्लास तक के बच्चों को टैबलेट बांटने की घोषणा की थी। लेकिन 1 साल बाद भी वह पूरी नहीं हो पाई। स्वास्थ्य विभाग में नई भर्तियां करने का वादा आज भी अधर में लटका हुआ है। आज भी स्वास्थ्य महकमे में करीब 10,000 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह शिक्षा विभाग में करीब 50,000 पद खाली पड़े हुए हैं।
मौजूदा बजट में किसानों के हाथ भी धोखा ही लगा है। बीजेपी पिछले कई साल से 2022 में किसानों की आय डबल करने का जुमला उछालती आ रही है। पिछले बजट भाषण में भी मुख्यमंत्री की तरफ से आय डबल की प्रतिबधता जताई गई थी। लेकिन आज के बजट में इसका कहीं कोई जिक्र नहीं है। इसी तरह धान छोड़कर अन्य फसलें उगाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7000 रुपये देने का वादा भी जुमला साबित हुआ। 1000 किसान एटीएम बनाने का वादा भी धुआं हो गया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल में महज सौ रूपये में किसानों को पशुधन बीमा की सुविधा दी गई थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने उस योजना को बंद कर दिया। आज किसानों को प्राइवेट बीमा के लिए 3-4 हजार रुपये देने पड़ रहे हैं।
हुड्डा ने कहा कि इसबार के बजट में सबसे बड़ा धोखा प्रदेश के बुजुर्गों के साथ हुआ है। 5100 रुपये बुढ़ापा पेंशन देने का वादा करके सत्ता में आए गठबंधन ने इसबार पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की। लगातार बुजुर्गों की पेंशन पर कैंची और मौजूदा बजट में शून्य बढ़ोत्तरी से स्पष्ट है कि सरकार इस कल्याणकारी योजना को खत्म करने की तरफ बढ़ रही है।
कर्मचारियों को भी इस बजट से निराशा ही हाथ लगी है। उनकी सबसे बड़ी मांग पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने से सरकार ने इंकार कर दिया। हरियाणा के कर्मचारियों को राजस्थान के कर्मचारियों की तरह पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिल सकेगा।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पेश हुए बजट से महिलाओं को काफी उम्मीदें थी। लेकिन जो आशा और आंगनवाड़ी वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं, उनकी मांगों पर भी बजट खामोश नजर आया। सरकार ने इन महिला कर्मचारियों की पूरी तरह अनदेखी की।
हरियाणा के युवा आज देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हैं। बावजूद इसके बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया जिससे रोजगार सृजन में मदद मिल सके। लगातार मांग के बावजूद छोटे व मध्यम स्तर के व्यापारी और उद्योगों को महामारी व मंदी से उभरने के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि महंगाई आज सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है। आने वाले दिनों में पेट्रोलियम पदार्थों के रेट और ज्यादा बढ़ सकते हैं। ऐसे में सरकार को अपनी तरफ से आम जनता को राहत देने के लिए वैट में कटौती करनी चाहिए थी। कम से कम इसे घटाकर कांग्रेस कार्यकाल के स्तर पर लाना चाहिए था। लेकिन मौजूदा सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। इसके विपरीत आर्थिक सर्वे बताता है कि महामारी के दौर में भी सरकार ने वैट के नाम पर हरियाणा के लोगों से ज्यादा वसूली की है।
बजट की घोषणाओं से सरकार की मंशा स्पष्ट हो जात है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार को जीएसडीपी का 8 प्रतिशत खर्च करना चाहिए लेकिन सरकार ने महज 4 प्रतिशत की घोषणा की है। इसी तरह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार को जीएसडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करना चाहिए लेकिन सरकार ने महज 2 प्रतिशत की घोषणा की है।