केन्द्र सरकार हरियाणा की भाजपा और जजपा सरकार को अपनी बपौती समझती है : चन्द्र मोहन

पंचकूला 1-3-22:

हरियाणा  के  पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने  आरोप लगाया है कि  केन्द्र सरकार हरियाणा की भाजपा और जजपा सरकार को अपनी बपौती समझती है इस लिए इस सरकार पर  मनमाने फैसले थोपकर,  हरियाणा प्रदेश के लोगों का और विशेषकर किसानों का अपमान कर रही है।  उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में  भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड  यानी बीबीएमबी में हरियाणा प्रदेश से  इस बोर्ड में नियुक्त किए जाने वाले स्थाई सदस्य की सदस्यता को पूर्ण रूप से खत्म करके प्रदेश के लोगों और किसानों के हितों से खिलवाड़ करने का कुत्सित प्रयास किया गया है। अब इस बोर्ड में हरियाणा के हितों की पैरवी करने वाला कोई नहीं है।

       चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा प्रदेश की इस बोर्ड में सदस्यता समाप्त करवाने के लिए  हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। इस गलत निर्णय से  हरियाणा की भाजपा और जजपा सरकार की मानसिकता स्पष्ट रूप से लोगों के सामने आ गई है। हरियाणा सरकार ने केन्द्र सरकार के  इस गलत निर्णय के खिलाफ आत्मसमर्पण कर दिया है और सबसे बड़ी विडंबना यह है कि हरियाणा सरकार इस घटनाक्रम को मुकदर्शक बने हुए देख रही है और सरकार की इस मामले में चुप्पी से  हरियाणा सरकार का वास्तविक चेहरा लोगों के  सामने आ गया है।

          चन्द्र मोहन ने जजपा के नेता दिग्विजय चौटाला के कुछ दिन पहले दिए गए बयान का मजाक उड़ाते हुए कहा कि जो यह कहते हुए नहीं थकते थे कि सतलुज यमुना सम्पर्क नहर के निर्माण को लेकर कांग्रेस और इनलो के नेताओं ने अपनी कस्सी संभाल कर रख दी है आज इस दल के नेताओं को सत्ता के लालच में सांप क्यों सूंघ गया है। उन्होंने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के नियम -1974 के अन्तर्गत इसका सदस्य सिंचाई हरियाणा से और सदस्य पावर पंजाब से नियुक्त होते रहे हैं। लेकिन 2022 के संशोधित नियम में यह अनिवार्यता समाप्त करके हरियाणा के हितों पर कुठाराघात किया गया है।

             चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा और पंजाब के किसानों को बर्बाद करने और  तीन काले कृषि कानूनों में केन्द्र सरकार की फजीहत होने के कारण इसका बदला लेने के लिए ही केन्द्र सरकार ने  इस षड्यंत्र को अंजाम दिया है। उन्होंने उप मुख्यमंत्री दुश्यन्त चौटाला से आग्रह किया है कि वह सत्ता के मोह का परित्याग करके इस फैसले को वापस करवाए अन्यथा इस अन्याय के खिलाफ अपना त्यागपत्र दे दे अन्यथा आने वाले समय में इसका प्रकोप झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है इस मामले में सभी दलों की तुरंत ही  बैठक बुलाकर हरियाणा प्रदेश के हितों के लिए सभी राजनैतिक पार्टियां  एकजूट होकर और मिलकर केन्द्र सरकार से गुहार लगाएं ताकि हरियाणा को न्याय मिल सके।