भारत के परमाणु परीक्षणों के खिलाफ खड़ा था यूक्रेन, आज भारत से मांग रहा मदद
रूस के साथ युद्ध की आशंका के बीच पूर्वी यूक्रेन में कई धमाके हुए हैं। ये धमाके रूस समर्थित अलगाववादियों के नियंत्रण वाले शहर दोनेस्क में हुए हैं। वहीं अलगाववादियों के हमले में यूक्रेन के दो सैनिकों की मौत की खबर है। इस बीच रूस ने बैलेस्टिक और क्रूज मिलाइलों के परीक्षण के साथ परमाणु युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। अमेरिका ने रूस के इस परीक्षण को यूक्रेन पर हमले का काउंटडाउन करार दिया है। आशंका जताई जा रही है कि अगर ये युद्ध हुआ तो इसके गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को झेलने पड़ेंगे।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, नई दिल्ली:
रूस और यूक्रेन में जंग शुरू हो चुकी है और ताबड़तोड़ हमले करने के बाद रूस अब यूक्रेन के सैनिकों से सरेंडर करने के लिए कह रहा है। ऐसे में यूक्रेन दुनियाभर की सभी प्रमुख शक्तियों से रूस को रोकने का अनुरोध कर रहा है। उसने भारत सरकार से भी रूस पर दवाब बनाने की अपील की है। यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की की अगुवाई वाली सरकार ने भारत से रूस से शांति के लिए बातचीत करने का आग्रह करते हुए कहा कि भारत का रूस के साथ अच्छा ताल्लुक है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से रूस से शांति के लिए बातचीत करने का उनुरोध करते हुए कहा कि भारत का रूस के साथ अच्छा संबंध है।
गुरुवार (24 फरवरी 2022) को भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रूस के साथ तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह करते हुए कहा कि मोदी और पुतिन एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। दरअसल, यूक्रेन भारत के प्रभाव को स्वीकार कर रहा है औऱ चाहता है कि पीएम मोदी इसके लिए कदम उठाएँ।
इससे पहले कि यूक्रेन के ऊपर बात करें हम दोनों देशों के बीच संबंधों पर नजर डालते हैं। क्योंकि, पहले भारत के साथ यूक्रेन के संबंध अच्छे नहीं थे। उल्लेखनीय है कि जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था तो यूक्रेन उन देशों में से एक था जिसने 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों का कड़ा विरोध किया था और 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद सुरक्षा परिषद में भारत के कदम की निंदा की थी।
गौरतलब है कि साल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के नाम से पाँच परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। उस दौरान यूक्रेन 25 अन्य देशों के साथ भारत के परमाणु परीक्षणों की कड़ी निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1172 के पक्ष में मतदान किया था। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित किए गए इस प्रस्ताव में माँग की गई थी भारत अपने परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाए और एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करे।
इसके अलावा प्रस्ताव में भारत से परमाणु कार्यक्रमों को रोकने, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास और उत्पादन पर भी रोक लगाने को कहा गया था। इन सब में यूक्रेन ने संयुक्त राष्ट्र का साथ दिया था।
जैसै कि आज हम सभी कह रहे हैं कि रूस के हमले के कारण यूक्रेन एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। दरअसल, यूक्रेन अपने शक्तिशाली दोस्तों के साथ रहना चाहता है, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका को न तो दुनिया में कोई सम्मान मिलता है औऱ न ही उसका वैश्विक आधिपत्य है। वहीं करीब 22 साल पहले भारत की सुरक्षा जरूरतों के खिलाफ खड़े होने वाला यूक्रेन आज चाहता है कि भारत उसका साथ दे।
लेकिन जिस तरह से कहा जाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कोई स्थाई मित्र या स्थाई दुश्मन नहीं होते हैं, केवल स्थाई हित मायने रखते हैं।