गुरमीत राम रहीम आएंगे जेल से बाहर, कहीं पंजाब में चुनावॉन में तो असर नहीं होगा?

डेरा सच्चा सौदा हरियाणा के सिरसा जिले में स्थित है। इसका पंजाब के मालवा रीजन की करीब 69 सीटों पर प्रभाव है। गुरमीत राम रहीम की रिहाई के मद्देनजर सुनारिया जेल के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। सिरसा डेरा के प्रमुख राम रहीम का 21 दिन की फरलो (छुट्टी) का आवेदन हरियाणा जेल विभाग पहले ही मंजूर कर चुका था। रोहतक के कमिश्नर के दस्तखत के बाद उसे जेल से बाहर लाया गया। जानकारी के अनुसार गुरमीत राम रहीम 21 दिन की फरलो पर गुरुग्राम में रहेगा। आज शाम 4:00 बजे के बाद कड़ी सुरक्षा के बीच उसे गुड़गांव के साउथ सिटी में स्थित डेरे पर लाया गया। इसके लिए संयुक्त पुलिस आयुक्त, डीसीपी ईस्ट, एसीपी सदर ने डेरे का निरीक्षण किया।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, हरियाणा(ब्यूरो) :

राम रहीम को फरलो मिलने की जानकारी सिरसा डेरे को मिलते ही वहां से 10 गाड़ियों का एक काफिला राम रहीम को लेने रोहतक की सुनारिया जेल के लिए रवाना हुआ। इसमें राम रहीम की मां नसीब कौर समेत कई सेवादार शामिल थे। डेरे में श्रद्धालु भी खुशियां मनाने लगे हैं। राम रहीम दो साध्वियों से दुष्कर्म और दो हत्याओं के मामले में सुनारिया जेल रोहतक में सजा काट रहा है।

राम रहीम को फरलो मिलने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि सभी समाज को पता है कि फरलो का चुनाव से कोई संबंध नहीं है। यह संयोग भर है और इसकी जानकारी सभी के पास है। कोई भी कैदी जेल में तीन साल पूरे होने के बाद इसके लिए आवेदन कर सकता है। एडमिनिस्ट्रेशन रोल देखता है कि इससे कोई कानून व्यवस्था प्रभावित तो नहीं हो रही। आवेदन के बाद उसका निरीक्षण करके फैसला लिया जाता है। पहले भी कोर्ट के बहुत से फैसले इस पर आ चुके हैं।

कारागार में बंद विचाराधीन व सजायाफ्ता कैदियों को दो तरह से रियायत दी जाती है। पहली पैरोल तथा दूसरी फरलो। कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है। फरलो उसी सूरत में दी जाती है जब सजा के तीन साल पूरे हो चुके हो। इसमें शर्त यह भी होती है कि कैदी का चाल चलन जेल के भीतर ठीक रहा हो। पैरोल की कई श्रेणी बनाई गई हैं। खेती के लिए छह सप्ताह की पैरोल दिए जाने का प्रावधान है। यह साल में एक बार ही मिल सकती है। बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए चार सप्ताह की पैरोल दी जा सकती है। यह भी साल में एक बार दी जा सकती है। मकान बनाने या उसकी मरम्मत के लिए तीन साल में एक बार पैरोल का प्रावधान है। यह तीन सप्ताह की अधिकतम हो सकती है। पैरोल की खास बात है कि यह सजा में नहीं जुड़ती है। यानी कैदी जितना समय पैरोल पर रहेगा उतनी सजा उसे काटनी होगी।

फरलो के बारे में अलग से नियम हैं। तीन साल की सजा पूरी होने के बाद यह शुरू होती है। पहली दफा इसकी अवधि 21 दिन की होती है तो उसके बाद यह सिमटकर 4 दिनों की रह जाती है। फरलो की खास बात है कि यह अवधि सजा में जुड़ जाती है। यानी जितनी अवधि इस कैटेगरी में कैदी जेल से बाहर रहा उतनी सजा कम हो जाएगी।

हरियाणा के जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने दो दिन पहले बयान दिया था कि फरलो या पैरोल लेना हर कैदी का अधिकार है। इसके बाद राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिल गई। उसे आज सुबह ही सुनारिया जेल से निकाला गया है। फरलो देते हुए एक कड़ी शर्त यह रखी गई है कि वह 21 दिन पुलिस की निगरानी में रहेगा। उसका अधिकांश समय डेरे में ही व्यतीत होगा।

साध्वियों के यौन शोषण मामले में सजा काट रहे डेरा प्रमुख ने 17 मई 2021 को मां की बीमारी का हवाला देकर 21 दिन के इमरजेंसी पैरोल की मांग की थी। इस आवेदन पर उसे 21 मई 2021 को 12 घंटे की पैरोल मिली थी। इस तरह पिछले 8 महीने में राम रहीम को दूसरी बार जेल से रिहाई मिली है।

डेरे की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना ने की थी। 1960 में शाह सतनाम डेरे की गद्दी पर बैठे। इसके बाद 1990 में 23 साल की उम्र में राम रहीम डेरे की गद्दी पर बैठा था। साल 2006-07 में डेरा सच्चा सौदा ने राजनीतिक विंग बनाई। इसमें डेरा प्रमुख के विश्वासपात्र लोग शामिल हैं। साथ ही हर राज्य की 45 सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई।

साल 2007, 2012, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनावों में डेरे ने पूरी तरह से भागीदारी की। 2014 के लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव में डेरा प्रमुख ने PM के स्वच्छ भारत मिशन की सराहना करते हुए समर्थन दिया। सभी नेता वोटों की राजनीति के लिए डेरे में माथा टेकने पहुंचते हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी विधानसभा चुनावों से पहले पत्नी और परिवार के साथ डेरे में पहुंच चुके हैं। बादल परिवार भी डेरे में हाजिरी लगा चुका है।