विश्व कैंसर दिवस : ब्रेस्ट कैंसर का जल्द पता लगने से मरीज के स्वस्थ होने की संभावना अधिक: डा. राजन साहू

अज्ञानता, इलाज का डर तथा गरीबी ब्रेस्ट कैंस का पता लगाने में देरी का मुख्य कारण
ब्रेस्ट पुननिर्माण सर्जरी साधारण व मरीज को हौंसला देने वाली: डा. राजन साहू

पंचकूला, 3 फरवरी:

विश्व कैंसर दिवस पर आयोजित एक सेमीनार को संबोधित करते हुए पारस अस्पताल पंचकूला के सर्जिकल ऑनकालॉजी विभाग के सीनियर कंस्लटेंट डा. राजन साहू ने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर एक उपचारयोग बीमारी है तथा इस बीमारी का पता जल्द लग जाए तो आसानी से मरीज को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन तथा परिवारिक मेडीकल इतिहास प्रति सुचेत रहने से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है।

‘स्तन की संभाल व ब्रेस्ट कैंसर के इलाज दौरान ब्रेस्ट इम्पलांट’ संबंधी एक सेमीनार को संबोधित करते हुए डा. राजन साहू ने कहा कि 14 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीडि़त हैं, जिसको आम तौर पर साधारण कैंसर समझा जाता है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट मुताबिक हर चौथे मिनट में ब्रेस्ट कैंसर के नए मरीज का पता चलता है। वर्ष 2018 की रिपोर्ट अनुसार 162468 ब्रेस्ट कैंसर के नए मरीज सामने आए थे, जबकि 87090 मौतें दर्ज की गईं।

डा. साहू ने बताया कि महिलाएं खुद भी ब्रेस्ट कैंसर के प्राथमिक लक्ष्णों का पता लगा सकती हैं। इस संबंधी जागरूकता की जरूरत है। छाती में किसी किस्म की गिलटी या मासपेशियों में इजाफे से भी इस का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि असल में भारत में ब्रेस्ट कैंसर का देरी से पता लगता है, जिस कारण मौत दर में इजाफा होता है। डा. साहू ने बताया कि अज्ञानता, इलाज का भय तथा गरीबी कैंसर का पता लगाने में देरी का मुख्य कारण है।

डा. साहू ने बताया कि अब ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी के समय छाती को बचाया जा सकता है। यदि कैंसर के कारण छाती निकालने की नौबत भी आती है, तो भी आप्रेशन द्वारा छाती का पुननिर्माण किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जल्द ही मरीज को इलाज के बाद घर भेज दिया जाता है।